इरफान अली लारी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह उर्फ मोनू और उनके भाई यशभद्र सिंह उर्फ सोनू का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। इन्हें जिले में ‘बाहुबली ब्रदर्स’ के नाम से जाना जाता है।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सपा में शामिल होने वाले सुल्तानपुर जिले के बाहुबली नेता चंद्रभद्र सिंह उर्फ सोनू और उनके भाई यशभद्र सिंह उर्फ मोनू की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रहीं। अब सोनू सिंह और मोनू सिंह पर हत्या समेत अन्य गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज हुई है।
बीते दिनों ही एक मामले में सोनू जेल से छूटे हैं। लेकिन जेल से बाहर आते ही हत्या के मामले में उनका और उनके भाई का नाम आ गया है। आरोप है कि पूर्व प्रधान के भाई की सड़क दुर्घटना करवाकर सोनू-मोनू ने हत्या करवाई है। हालांकि,’बाहुबली ब्रदर्स’ ने पूर्व प्रधान के आरोपों से इनकार किया है और इसे विपक्षी खेमे की साजिश बताया है।
मृतक के परिजनों ने सोनू-मोनू सहित उनके अन्य सहयोगियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए प्रदर्शन किया था। एफआईआर ना होने तक अंतिम संस्कार से मना कर दिया था और शव को घर के बाहर रखकर विरोध किया था। जिसके चलते पुलिस-प्रशासन में खलबली मच गई थी। बाद में पुलिस ने ‘बाहुबली ब्रदर्स’ के खिलाफ मामला दर्ज किया।
अपने लोगों के बीच इनकी छवि रॉबिन हुड जैसी है, वहीं इनके विरोधी भी इनसे टकराने में कतराते हैं। जिले में कभी गैंगवार की स्थिति नहीं बनी, इसका मुख्य कारण इनका दबदबा माना जाता है।
दोनों भाइयों पर कई मुकदमे दर्ज हैं और उन्होंने जेल की सजा भी काटी है, बावजूद इसके उनका क्षेत्र में प्रभाव बना हुआ है। छोटे-मोटे झगड़े तो उनकी जनअदालत में ही सुलझा दिए जाते हैं।
दोनों भाइयों ने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया। इसकी शुरुआत 1994 में हुई, जब मोनू और सोनू के पिता इंद्रभद्र सिंह और संत ज्ञानेश्वर के बीच अदावत शुरू हुई। संत ज्ञानेश्वर सुल्तानपुर जिले के कूड़ेभर थाना क्षेत्र के माझावर गांव में आश्रम बनाना चाहते थे। गांव के चौकीदार रामजस यादव ने अपनी जमीन देने से इनकार किया, जिसके चलते संत ज्ञानेश्वर के शिष्यों ने उसकी हत्या कर दी। इंद्रभद्र सिंह ने रामजस के परिवार का समर्थन किया, जिसके बाद जनसमूह ने ज्ञानेश्वर के आश्रम का विरोध किया और उसे उखाड़ फेंका। इसके बाद से ही ज्ञानेश्वर और इंद्रभद्र सिंह में दुश्मनी शुरू हो गई। हालांकि, बाद में ज्ञानेश्वर ने आश्रम बनवा लिया।
21 जनवरी 1999 को इंद्रभद्र सिंह की हत्या कर दी गई, जिसमें संत ज्ञानेश्वर के करीबी दीनानाथ समेत पांच लोग आरोपी बने और बाद में सजा भी हुई।
पिता की हत्या के बाद, मोनू और सोनू ने उनकी विरासत संभाली और दुश्मनी को आगे बढ़ाया। 10 जनवरी 2006 को इलाहाबाद के माघ मेले में अंतिम स्नान के दौरान, संत ज्ञानेश्वर और उनके शिष्यों पर हमला हुआ, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई।
इस घटना के बाद, इलाके में दोनों भाइयों का दबदबा बढ़ गया। चंद्रभद्र सिंह मोनू पर हत्या, हत्या के प्रयास, बलवा, गैंगस्टर और गुंडा एक्ट जैसे 19 मुकदमे दर्ज हैं। अपराध के साथ ही उन्होंने राजनीति में भी कदम रखा और मोनू सिंह तीन बार विधायक बने।
हालांकि, सांसदी के चुनाव में उन्हें सफलता नहीं मिली। 2024 के लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी की हार में भी इनका हाथ रहा। दोनों ने सपा के प्रत्याशी का समर्थन किया, जिसके परिणामस्वरूप मेनका गांधी को हार का सामना करना पड़ा।
Author: samachar
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