दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
रामनगरी अयोध्या में बुधवार की सुबह करीब तीन घंटे तक हुई मूसलाधार बारिश के चलते एक बार फिर रामपथ धंस गया। इसके बाद रिकाबगंज रोड पर बैरियर लगाकर एक लेन पर आवागमन बंद कर मरम्मत का काम शुरू कर दिया गया। इसके अलावा नगर के कई इलाके जलमग्न हो गए हैं।
स्मार्ट नगरी बन रही अयोध्या मानसून की पहली बरसात भी नहीं झेल सकी। रात को हुई झमाझम बारिश से अयोध्या पूरी तरह से जलमग्न हो चुकी है। पहली बारिश ने ही अयोध्या के विकास की पोल खोली दी है।
कई जगह बारिश से सडक़ें धंस गई हैं। वहीं रामनगरी अयोध्या में बुधवार की सुबह करीब तीन घंटे तक हुई मूसलाधार बारिश के चलते एक बार फिर रामपथ धंस गया। रामपथ पर 10 से अधिक गड्ढे पर गए हैं और कॉलोनियों में पानी भर गया है।
बता दें कि इससे पहले शनिवार की रात भर हुई बारिश में रिकाबगंज के आसपास कई जगहों पर रामपथ धंस गया था। यहां गिट्टी और बालू डालकर मरम्मत कराई गई थी। एक बार फिर बारिश होने पर यहीं पर सड़क धंस गई है। आनन-फानन में जेसीबी से रोड की पटाई कराई जा रही है। इसके अलावा बारिश के चलते बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के अंदर पेड़ गिर गया है। जल निकासी न होने के कारण बेसिक शिक्षा डायरेक्ट ऑफिस, पीडब्ल्यूडी ऑफिस और जिला पशु चिकित्सालय समेत कई ऑफिसों में पानी भर गया है। पुलिस लाइन गेट से पुष्पराज चौराहे तक रोड पर लबालब पानी भर गया है।
अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन से लेकर राम मंदिर से 200 मीटर दूरी पर स्थित जलवानपुरा कॉलोनी पूरी तरह से जलमग्न की स्थिति में है। जलवानपुरा के लोग कमर भर पानी में चलने को मजबूर हैं। अयोध्या नगर निगम का हनुमान कुंड वार्ड भी बेहद खास माना जाता है।
ये क्षेत्र राम मंदिर से जुड़ा होने के साथ ही मॉडल रेलवे स्टेशन भी है ,जहां पर श्रद्धालुओं की सबसे अधिक भीड़ होती है। तो वहीं इस क्षेत्र से में बड़ी संख्या में धर्मशालाएं भी हैं जहां आए दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आकर रुकते हैं, लेकिन मंगलवार रात हुई बरसात में राम मंदिर के मुख्य द्वार और रेलवे स्टेशन के बीच स्थित जलवानपुरा कॉलोनी जलमग्न हो गया। इस कॉलोनी के कई घरों में पानी भरा हुआ है और लोग किसी तरह छतों पर रहने को मजबूर हैं। इस क्षेत्र में जल भराव की समस्या 10 वर्षों से अधिक है।
लोग बोले, ये कैसा विकास
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यहां के जनप्रतिनिधि हो या अधिकारी कोई देखने तक नहीं पहुंचा, तो वहीं आने वाले श्रद्धालु भी अयोध्या के विकास में इस क्षेत्र को देखने के बाद विकास के कार्यों पर आपत्ति जता रहे हैं। उनका कहना है कि यह कैसा विकास जब यहां के लोग ही पानी में रह रहे हैं यानी कि यह कहा जाए कि रामनगरी भारी बारिश में दलदल से जूझ रही है। हजारों करोड़ों की योजनाएं तो चल रही है, लेकिन सीजन की पहली बारिश ने पोल खोल कर रख दी।
शहर की कई कालोनी और मोहल्ले भी जलमग्न हो गए हैं। कई जगहों पर घरों में पानी घुस गया है। अयोध्या धाम में जलवानपुरा के हालात एक बार फिर बिगड़ गए। यहां चारों तरफ पानी ही पानी दिख रहा है। लोग अपने घरों में घुसे पानी को निकालने की कवायद में जुटे हुए हैं।
मानसून कहां-कहां पहुंचा
दक्षिण-पश्चिम मानसून निकोबार में 19 मई को पहुंच गया था। केरल में इस बार दो दिन पहले, यानी 30 मई को ही मानसून पहुंच गया था और कई राज्यों को कवर भी कर गया। फिर 12 से 18 जून तक (6 दिन) मानसून रुका रहा। 6 जून को मानसून ने महाराष्ट्र में एंट्री ली और 11 जून को गुजरात में दाखिल हुआ।
मानसून 12 जून तक केरल, कर्नाटक, गोवा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को पूरी तरह कवर कर चुका था। साथ ही दक्षिण महाराष्ट्र के ज्यादातर हिस्सों, दक्षिणी छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों, दक्षिणी ओडिशा, उपहिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम और सभी पश्चिमोत्तर राज्यों में पहुंच गया था।
18 जून तक मानसून महाराष्ट्र के जलगांव, अमरावती, चंद्रपुर, छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा, ओडिशा के मलकानगिरी और आंध्र प्रदेश के विजयनगरम तक पहुंचा था। हालांकि, इसके बाद मानसून रुका रहा। 21 जून को मानसून डिंडौरी के रास्ते मध्य प्रदेश पहुंचा और 23 जून को गुजरात में आगे बढ़ा।
25 जून को मानसून ने राजस्थान में एंट्री ली और मध्य प्रदेश के आधे के ज्यादा क्षेत्र को कवर कर लिया है। मौसम विभाग के मुताबिक 27 जून तक मानसून गुजरात के आधे से ज्यादा हिस्से को कवर कर लेगा।
मानसून 3 जुलाई तक दिल्ली-पंजाब को कवर करेगा
अनुमान है कि 1-2 दिन में मानसून पूरे मध्य प्रदेश, पूरे बिहार, पूरे झारखंड, पूरे पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से को कवर कर लेगा। 27 जून तक मानसून दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में एंट्री ले सकता है और 3 जुलाई तक इन राज्यों को पूरी तरह कवर करके आगे बढ़ेगा। मौसम विभाग का अनुमान है कि जून में मानसून सामान्य से कम यानी 92% लंबी अवधि के औसत (LPA) से कम रहेगा।
10 साल में छठी बार जून में बारिश सामान्य से कम
मानसून के पहले महीने में न केवल बारिश घट रही है, बल्कि गर्मी के दिन भी बढ़ रहे हैं। मौसम विभाग के मुताबिक, जून खत्म होने में 4 दिन बचे हैं और देश में अब तक सामान्य से 19% कम बारिश हुई है। ऐसा लगातार तीसरे साल हो रहा है। 10 साल में 6 बार जून में बारिश सामान्य से कम, एक बार सामान्य और तीन बार सामान्य से ज्यादा हुई है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव एम. राजीवन का कहना है कि जून में मानसून 20 दिन तक पश्चिम बंगाल और दो हफ्ते तक गुजरात-महाराष्ट्र में अटका रहा। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायर्नमेंट के मुताबिक 1988 से 2018 के दौरान 62% जिलों में जून में कम बारिश हुई।
Author: samachar
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