हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में बस्तर, सरगुजा, मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण और छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण के पुनर्गठन का निर्णय लिया है। यह फैसला मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।
पुनर्गठन का उद्देश्य
अधिकारियों के अनुसार, इन प्राधिकरणों के पुनर्गठन का मुख्य उद्देश्य उनकी कार्यप्रणाली को अधिक प्रभावी और सशक्त बनाना है। इसके साथ ही, इन क्षेत्रों में जनसुविधा के कामों को गति प्रदान करना है। पुनर्गठित प्राधिकरणों की कमान अब सीधे मुख्यमंत्री के हाथ में होगी, जिससे प्रभावी नियंत्रण और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
संगठनात्मक संरचना
प्रत्येक प्राधिकरण का उपाध्यक्ष क्षेत्र के स्थानीय विधायकों में से एक को मनोनीत किया जाएगा। क्षेत्रीय विधायक इन प्राधिकरणों के सदस्य होंगे, और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव या सचिव इन प्राधिकरणों के सदस्य सचिव होंगे। इस व्यवस्था के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सुझाव और मुख्यमंत्री का विजन प्राधिकरणों के कार्यों में परिलक्षित हो।
2019 के बदलाव और उनके प्रभाव
2019 में कांग्रेस सरकार के दौरान इन प्राधिकरणों की कार्य संचालन प्रक्रिया में बड़े बदलाव किए गए थे, जिससे इनका महत्व कम हो गया था। इसके परिणामस्वरूप कार्यों में पारदर्शिता का अभाव रहा और शासन स्तर पर प्रभावी नियंत्रण नहीं रहा। इन्हीं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, वर्तमान मंत्रिमंडल ने प्राधिकरणों के पुनर्गठन और निधि नियम के प्रस्ताव को अनुमोदित किया है।
आदिवासी क्षेत्रों का समावेश
छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में पारित एक संकल्प के तहत, जिन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों की 25 प्रतिशत से अधिक आबादी है, उन गांवों और ब्लॉकों को मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के दायरे में शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य इन क्षेत्रों में विकास कार्यों को और अधिक सशक्त और प्रभावी बनाना है।
प्राधिकरणों का पुनर्गठन छत्तीसगढ़ के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल इन क्षेत्रों में विकास कार्यों में तेजी आएगी, बल्कि कार्यों में पारदर्शिता और प्रभावी नियंत्रण भी सुनिश्चित होगा। सरकार का यह कदम स्थानीय जनप्रतिनिधियों और जनता के साथ समन्वय स्थापित कर विकास कार्यों को गति देने का प्रयास है।
किस प्रधिकरण के लिए कितना फंड
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में प्राधिकरण सामाजिक, आर्थिक और सर्वांगीण विकास पर अपना ध्यान केन्द्रित करेगा। प्राधिकरण को सशक्त, पारदर्शी और प्रभावशाली बनाया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में प्राधिकरण के माध्यम से होने वाले विकास कार्यों के लिए बस्तर, सरगुजा, मध्य क्षेत्र, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण के लिए 50-50 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है तथा ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण के लिए 80 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है
Author: samachar
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