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November 2, 2024 12:58 am

180 फ्लाप फिल्मों के बावजूद जिनका स्टारडम आज भी कायम है वो मिथुन चक्रवर्ती कभी खाने को भी तरसते थे… 

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-टिक्कू आपचे 

बॉलीवुड में कई एक्टर्स रहे हैं, जिन्होंने बेहद ही गरीबी के दिन देखे हैं और कड़ी मेहनत के बाद बॉलीवुड में अच्छे मुकाम पर पहुंच पाए हैं। सिनेमा जगत में कई ऐसे अभिनेता भी रहे हैं, जो आज भले ही सुपरस्टार हैं मगर एक समय था जब उन्होंने घोर गरीबी का सामना किया था। उनके पास ना तो खाने के पैसे थे ना तो सोने का कोई ठिकाना। काम के लिए संघर्ष के दौरान एक्टर फुटपाथ पर सोए और मां के गहने बेचकर FTII की फीस दी। यहां तक कि कभी तो ऐसा रहा कि पैसे मांगकर दिन काटते थे। ये कोई और नहीं बल्कि 90 के दशक के पॉपुलर एक्टर मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) हैं। ऐसे में चलिए आपको उनके बारे में बताते हैं।

दरअसल, मिथुन चक्रवर्ती आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। बॉलीवुड के डिस्को डांसर कहे जाने वाले एक्टर अपना 74वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं। उनका जन्म 16 जून, 1950 को कोलकाता में हुआ था। कोलकाता से मुंबई तक का सफर मिथुन के लिए आसान नहीं था। इस बीच उन्होंने काफी उतार-चढ़ाव देखे। वो नॉन फिल्मी बैकग्राउंड से आते हैं। ऐसे में आपको उस समय का किस्सा बता रहे हैं जब उनकी पहली फिल्म ‘मृगया’ रिलीज हुई। इसके लिए उन्हें नेशनल फिल्म अवॉर्ड भी मिला था लेकिन, इसके बाद उनकी जो फिल्म रिलीज हुई उसे दर्शकों ने पसंद नहीं किया। इसमें ‘मेरा रक्षक’, ‘भयानक’, ‘तराना’ और ‘सुरक्षा’ जैसी फिल्मों के नाम शामिल हैं। पहली फिल्म के बाद एक्टर ने बताया था कि उनकी हालत पहले के जैसे ही हो गई थी। उनकी जेब में फूटी-कौड़ी नहीं बची थी। दो दिनों तक भूखा रहना पड़ा था।

अपने जीवन के कठिन दिनों के बारे में अनसुनी बातें शेयर करते हुए मिथुन दा सेट पर भावुक हो गए। उन्होंने बताया- “मैंने कभी सपने देखना नहीं छोड़ा और हमेशा हकीकत का सामना किया। जब मैं मुंबई आया था, मेरे पास रहने का कोई ठिकाना नहीं था और वे ऐसे दिन थे जब मैं इमारतों की छतों पर बनी पानी की टंकियों पर छिप जाता था और वहीं सो जाता था ताकि सिक्योरिटी गार्ड मुझे देख न सकें और मुझे वहां से बाहर न निकाल दें।

जब मैंने फिल्म इंडस्ट्री में काम ढूंढ़ने की शुरुवात की, तभी मेरे रंग के वजह से मुझे कई बार रिजेक्ट किया गया।  तभी मैंने ये सोच लिया की में अपने डांस के बलबूते सबको दिखाऊंगा जिस के कारन लोग मेरे रंग के जगह मेरे डांस पे ध्यान दे।” मिथुन दा की इस कहानी को सुनने के बाद, सेट पर मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गईं थी।

गार्डन में गुजारते थे रात

बिना किसी बैकसपोर्ट इंडस्ट्री में पहचान बनाने वाले मिथुन चक्रवर्ती के बारे में जानकर हैरानी होगी कि उन्हें ऐसा महसूस होता था कि वो जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएंगे और उन्हें सुसाइड जैसे ख्याल आते थे। एक इंटरव्यू में एक्टर ने बताया कि ‘मेरा स्ट्रगल ऐसा था कि समझ लीजिए मैं सचमुच फुटपाथ से आया हूं। मुंबई में, मैंने कई दिन और रात ऐसे बिताए जहां मैं कभी फाइव गार्डन्स में सोया तो कभी किसी हॉस्टल के सामने रात बिताया करता था। इतना ही नहीं बाथरूम यूज करने के लिए मेरे दोस्त ने मुझे माटुंगा जिमखाना का मेम्बरशिप दिलवाया था। उन्होंने बताया कि मुझे ये नहीं पता होता था कि मैं कहां जाऊंगा, मुझे अगला खाना कब मिलेगा और कहां सोउंगा। 

तीन बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और दो बार फिल्मफेयर पुरस्कार जीतने वाले मिथुन को हिंदी सिनेमा के इतिहास के सबसे सफल अभिनेताओं में से एक माना जाता है। उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। मिथुन चक्रवर्ती ने फिल्म ‘मृगया’ से अपने करियर की शुरुआत की। इस फिल्म के लिए डायरेक्टर मृणाल सेन ने उन्हें फिल्म इंस्टीट्यूट पूना से खोजा था।

उस दिन सभी छात्र डिप्लोमा और डिग्री के प्रमाण पत्र प्राप्त कर रहे थे, तभी मृणाल सेन की नजर मिथुन पर पड़ी जो बड़ी बेफिक्री के साथ कुछ खूबसूरत लड़कियों के साथ फ्लर्ट कर रहे थे। मिथुन का यह अंदाज मृणाल को पसंद आया और दो साल बाद उन्होंने अपनी इस फिल्म के लिए मिथुन को कास्ट किया।

इस फिल्म में शानदार अभिनय के लिए मिथुन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया, लेकिन दिल्ली जाकर अवॉर्ड लेने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। तब रेखा उन्हें अपना स्पॉटबॉय बनाकर ले गई थीं।

इस फिल्म के बाद भी मिथुन की आर्थिक स्थित बहुत खराब थी। उन दिनों एक पत्रकार उनका इंटरव्यू लेने गए तो उन्होंने पहले खाना खिलाने की शर्त रखी, उसके बाद इंटरव्यू दिए। आज मिथुन दा 347 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं। 

फिल्मों में आने से पहले नक्सली थे

कोलकाता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से केमिस्ट्री में ग्रेजुएट करने के बाद मिथुन का झुकाव नक्‍सलवाद की तरफ हो गया था। वो परिवार को छोड़ नक्‍सलियों के साथ रहने लगे थे। उसी बीच एक दुर्घटना में उनके भाई की मृत्यु हो गई और वे अपने परिवार के पास वापस आ गए। किसी तरह खुद को और परिवार को संभाला और नक्‍सली दुनिया को छोड़ दिया।

पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट से एक्टिंग का कोर्स किया

मिथुन चक्रवर्ती 1974 बैच के भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (FTII) से पासआउट हैं। FTII में ही डायरेक्टर मृणाल सेन की नजर मिथुन पर पड़ी थी। लड़कियों के साथ फ्लर्ट करना मिथुन का अंदाज मृणाल को पसंद आया और दो साल बाद उन्होंने अपनी फिल्म ‘मृगया’ के लिए मिथुन को कास्ट कर लिया।

रेखा का स्पॉटबॉय बनकर नेशनल अवॉर्ड लेने पहुंचे

FTII से पासआउट होने के दो साल बाद डायरेक्टर मृणाल सेन की फिल्म ‘मृगया’ में मिथुन को काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में शानदार अभिनय के लिए मिथुन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया, लेकिन अवॉर्ड को लेने के लिए दिल्ली जाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। उन दिनों रेखा दिल्ली में फिल्म की शूटिंग करने जा रही थीं। उन्होंने अपना स्पॉटबॉय बनाकर फ्लाइट में उनका टिकट बुक करवाया और मिथुन को लेकर दिल्ली गईं।

हीरोइनों को लगता था कि कभी हीरो नहीं बन पाऊंगा

मिथुन चक्रवर्ती खुद इस बात का जिक्र कई इंटरव्यू में कर चुके हैं कि उनके साथ बड़ी हीरोइनें काम करने को तैयार नहीं थीं। मिथुन ने कहा- उन्हें लगता था मैं एक छोटा कलाकार हूं। लोगों को इस पर शक था कि मैं कभी हीरो बन पाऊंगा। अक्सर हीरोइनें फिल्म के अनाउंसमेंट के बाद बाहर हो जाती थीं। इन सबके बारे में सोचकर आज भी दुख होता है।

जीनत अमान ने थामा था मिथुन चक्रवर्ती का हाथ

उस जमाने में जीनत अमान अपने समय की नंबर 1 हीरोइन थीं। उन्होंने मिथुन का साथ दिया। जीनत के साथ मिथुन की फिल्म ‘तकदीर’ रिलीज हुई। इस फिल्म के बाद मिथुन ए कैटेगरी के हीरो में आ गए। जो हीरोइनें मिथुन के साथ काम नहीं करना चाह रही थीं, सबने उनके साथ काम किया। मिथुन कहते हैं- मैं जीनत जी का हमेशा शुक्रगुजार रहूंगा।’

350 फिल्मों में किया काम

अब तक वे 350 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं और अब भी बॉलीवुड में सक्रिय हैं। उन्होंने ‘वारदात’, ‘अविनाश’, ‘जाल’, ‘डिस्को डांसर’, ‘भ्रष्टाचार’, ‘घर एक मंदिर’, ‘वतन के रखवाले’, ‘हमसे बढ़कर कौन’, ‘चरणों की सौगंध’, ‘हमसे है जमाना’, ‘बॉक्सर’, ‘बाजी’, ‘कसम पैदा करने वाले की’, ‘प्यार झुकता नहीं’, ‘करिश्मा कुदरत का’, ‘स्वर्ग से सुंदर’ जैसी फिल्मों में काम किया है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."