ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट
मथुरा। उत्तर प्रदेश के मथुरा में एएनएम (सहायक नर्स मिडवाइफ) ट्रेनिंग सेंटर की छात्राओं ने अपनी ट्रेनर पर आरोप लगाए हैं कि वह नंबर काटने की धमकी देकर उन्हें मंदिर और अन्य स्थानों पर जाने के लिए मजबूर करती हैं। यह आरोप न केवल छात्रों की शैक्षिक और व्यावसायिक प्रगति को प्रभावित करता है, बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल सकता है।
इस मामले में अधिकारियों की चुप्पी और प्रतिक्रिया का अभाव और भी चिंताजनक है। यह आवश्यक है कि इस मामले की पूरी जांच की जाए और यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो उचित कार्रवाई की जाए ताकि छात्रों को न्याय मिल सके और भविष्य में ऐसे मामलों को रोका जा सके। साथ ही, छात्रों की शिकायतों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और उन्हें एक सुरक्षित और सकारात्मक शिक्षण वातावरण प्रदान किया जाना चाहिए।
छात्राओं ने कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। मथुरा में सीएमओ कार्यालय के प्रांगण में स्थित एएनएम ट्रेनिंग सेंटर की छात्राओं ने अपने ट्रेनर, नरेश, पर आरोप लगाए हैं कि वह नंबर काटने की धमकी देकर उन्हें मंदिर और अन्य स्थानों पर अपने साथ घूमने के लिए मजबूर करता है। इन आरोपों से स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली और उसकी निगरानी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
इस तरह के मामलों में तुरंत और निष्पक्ष जांच आवश्यक है। यह जांच निम्नलिखित बिंदुओं पर केंद्रित होनी चाहिए:
- छात्राओं के आरोपों की सत्यता की जांच की जाए और उनकी शिकायतों को गंभीरता से लिया जाए।
- नरेश की गतिविधियों और व्यवहार की जांच की जाए और यदि आरोप सही साबित होते हैं तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।
- हॉस्टल और ट्रेनिंग सेंटर में छात्राओं की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित किया जाए।
- स्वास्थ्य विभाग को इस मामले में अपनी भूमिका स्पष्ट करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसे मामले न हों।
छात्राओं की शिकायतों की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। उन्हें एक सुरक्षित और सकारात्मक शिक्षण वातावरण प्रदान करना प्रशासन की जिम्मेदारी है।
इस मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि न्याय हो सके और अन्य छात्राओं को भी विश्वास हो सके कि उनकी सुरक्षा और शिक्षा को गंभीरता से लिया जा रहा है।
यह मामला कई परतों में उलझा हुआ है और इसमें गंभीर आरोप और चिंताएं सामने आ रही हैं। छात्राओं ने आरोप लगाया है कि उनकी पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और उनकी शिकायतों के बावजूद दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
इसके अलावा, अनुज यादव द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, एक शादीशुदा छात्रा ने अपने पति को प्रशिक्षण केंद्र बुलाया और उसके साथ बाहर घूमने चली गई। साथ ही, एक लड़की पर कपड़े बदलते समय अन्य छात्राओं का वीडियो बनाने का गंभीर आरोप भी लगा है, और उसे दोषी पाया गया है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) एके वर्मा और जिलाधिकारी (DM) शैलेंद्र की चुप्पी और कार्रवाई की कमी से छात्रों और उनके परिजनों में असंतोष और अविश्वास बढ़ रहा है। मामले को दबाने की कोशिश से यह प्रतीत होता है कि उच्च अधिकारी इस समस्या को नजरअंदाज कर रहे हैं या इससे बचने की कोशिश कर रहे हैं।
इस मामले में निम्नलिखित कदम उठाने की आवश्यकता है:
एक स्वतंत्र जांच आयोग का गठन किया जाए जो छात्राओं के आरोपों की गहन जांच करे और निष्पक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
छात्राओं की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए तुरंत कदम उठाए जाएं। हॉस्टल और प्रशिक्षण केंद्र में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की जाए।
- दोषी पाए जाने पर संबंधित व्यक्तियों पर सख्त कार्रवाई की जाए, चाहे वह कोई भी हो।
- CMO और DM को मामले की पारदर्शिता बनाए रखते हुए सार्वजनिक रूप से बयान देना चाहिए और छात्रों और उनके परिजनों को आश्वस्त करना चाहिए कि न्याय होगा।
5.पीड़ित छात्राओं को आवश्यक मानसिक और भावनात्मक समर्थन प्रदान किया जाए और उनकी पढ़ाई को फिर से सही ट्रैक पर लाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।
यह महत्वपूर्ण है कि प्रशासन इन आरोपों को गंभीरता से ले और त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और छात्रों का विश्वास बहाल हो सके।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."