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November 25, 2024 11:35 am

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मुझे पीएम बना देते… .. ये क्या और क्यों बोल गए आजाद… ? पूरी खबर पढें

24 पाठकों ने अब तक पढा

इरफान अली लारी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट का चुनाव परिणाम इस बार बेहद चौंकाने वाला रहा। इस सीट पर आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद भारतीय जनता पार्टी के ओम कुमार को 151473 वोटों से हराकर पहली बार सांसद बने। 

इस बार लोकसभा चुनाव का जो परिणाम रहा उसे देखते हुए आने वाले पांच सालों में सभी छोटे-छोटे दलों और निर्दलीय सांसदों की भूमिका अहम हो गई है। ये निर्दलीय और छोटे-छोटे दलों के सांसद आने वाले समय में किसी की भी सरकार बनाने और गिराने का दम रखते हैं। ऐसे में जब आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद से पूछा गया कि क्या आप एनडीए में शामिल होंगे। इस पर उन्होंने कहा, ‘अगर एनडीए वाले मुझे प्रधानमंत्री पद भी ऑफर करें तो भी वो उस गठबंधन में शामिल नहीं होंगे।’

‘विचारधारा से समझौता नहीं’

एबीपी न्यूज से बातचीत में आजाद ने कहा, ‘नगीना की जनता ने मुझे उनके हितों की रक्षा के लिए वोट दिया है, संविधान के विरोधियों को सबक सिखाने के लिए वोट दिया है। राजनीतिक शक्ति जरूरी है लेकिन उसके लिए विचारधारा से समझौता नहीं कर सकते। ऐसे में एनडीए में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता। ‘

‘भाजपा की जीत यह एक हार जैसी है’

आजाद ने कहा, ‘सत्ता पक्ष अगर इतना ही अच्छा काम कर रहा होता तो इतनी कम सीटें नहीं आतीं। यह भाजपा के लिए एक हार के समान है. उन्होंने 400 सीटों का दावा किया था लेकिन जनता ने उन्हें कहां लाकर छोड़ा। अगर भाजपा के शीर्ष नेता डैमेज कंट्रोल न किए होते तो वे 200 सीटें भी नहीं ला पाते। हमारी पार्टी अपने हितों के लिए काम करेगी. मैं पद प्रतिष्ठा के लिए राजनीति में नहीं आया हूं।’

चंद्रशेखर का जीतना क्या यूपी की दलित राजनीति में नया उभार है?

इस सवाल पर आजाद ने कहा कि मुझे सिर्फ दलितों ने वोट नहीं किया बल्कि पाल, प्रजापति, कश्यप, सैनी, मौर्य, शाक्य, मुस्लिम सभी ने वोट किया है। 

चंद्रशेखर की जीत के मायने क्या हैं?

आजाद पार्टी के सांसद ने कहा, ‘मैं किसी का विपक्ष नहीं हूं। नगीना में पिछले मुसलमान और दलित का गठजोड़ बना है। अगर यही मौका मुझे यूपी में मिला तो तो यूपी में बहुत बड़ा बदलाव होगा. हम तो वंचित हैं लेकिन हमारा समाज वंचित न रहे इसके लिए लड़ना है।’

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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