आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों को जीत पाना भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए आसान नहीं। 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी गठबंधन के हाथों 15 सीटों पर पराजय का स्वाद चख चुकी भाजपा के लिए इस चुनाव में मिशन 80 को पूरा कर पाना किसी चुनौती से कम नहीं।
पार्टी के लिहाज से प्रदेश के 25 हजार कमजोर बूथ आलाकमान की पेशानी पर बल पैदा कर रहे हैं। यही वजह है कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद भी ‘मिशन 80’ को ले कर पार्टी इत्मीनान की मुद्रा में नजर नहीं आ रही है।
बात सिर्फ 25 हजार कमजोर बूथों को साधने की होती तब भी गले के नीचे उतर सकती थी। प्रदेश में पुलिस भर्ती परीक्षा से लेकर तमाम परीक्षाओं के पेपरों का ‘लीक’ होना भी पार्टी की पेशानी पर बल पैदा कर रहा है।
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को पता है कि प्रदेश की लगभग 53 फीसद युवा आबादी परीक्षाओं में लगातार हो रहे पेपर लीक से खासा खफा नजर आ रही है। युवा इसे योगी आदित्यनाथ सरकार की बड़ी नाकामी के तौर पर देख रहा है।
पेपर लीक बन सकता है बड़ा मुद्दा
सरकार की इस नाकामी का सीधा असर 18वीं लोकसभा के चुनाव में सीटों के नुकसान की शक्ल में पार्टी के सामने आ सकता है। हालांकि योगी सरकार ने जिन परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं, उनको छह महीने के भीतर दोबारा कराने का फैसला किया जरूर है लेकिन इससे अभ्यर्थियों का रोष कम होता नजर नहीं आ रहा है।
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद भी भाजपा सिर्फ राम के भरोसे नहीं है। उसे पता है कि अकेले राम भरोसे रह कर उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों को जीतने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को पूरा नहीं किया जा सकता। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन ने भी भाजपा को सियासी जमीन पर असहज किया है। इसकी वजह से पार्टी को लखनऊ में यादव महाकुंभ का आयोजन करना पड़ा जिसमें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शिरकत की।
यादवों के बीच सेंधमारी आसान नहीं
भाजपा को लगता है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को उत्तर प्रदेश की जमीन पर उतार कर वो समाजवादी पार्टी के पारंपरिक यादव वोट बैंक में सेंधमारी कर पाने में कामयाब हो पाएगी।
हालांकि, समाजवादी पार्टी की यादवों के बीच गहरी पैठ में सेंधमारी उसके लिए इतनी आसान भी नहीं होगी।
वहीं, रामपुर, अलीगढ़ सहित प्रदेश की 27 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुसलमान मतदाता हार-जीत का फैसला करने की कुव्वत रखता है। इन सीटों पर इस बार सेंधमारी करना भी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बनता नजर आ रहा है।
Author: samachar
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