Explore

Search
Close this search box.

Search

19 January 2025 4:22 am

लेटेस्ट न्यूज़

जमाईपुरा…. घरजमाईयों की है ये बस्ती जिसके अजब-गजब हैं किस्से

63 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

बागपतः उत्तर प्रदेश के बागपत की एक कॉलोनी ऐसी है जहां शादी के बाद दूल्हे को घर जमाई बनकर रहना पड़ता है। इस कॉलोनी में एक नहीं, दो नहीं बल्कि 300 से ज्यादा परिवार ऐसे हैं जहां से दुल्हन की डोली तो उठी लेकिन दूल्हे को ही घर जमाई रहना पड़ा। 

आज इस कॉलोनी में 500 परिवार रहते हैं। नगर पालिका ने इसका नाम बदला लेकिन कॉलोनी को लोग जमाईपुरा के नाम से ही इसे जानते हैं। 

बागपत जिले की यह कॉलोनी खेकड़ा नगर पालिका के मुबारकपुर-फखरपुर मार्ग पर पड़ती है। कहते हैं कि यहां पहले चार परिवार आए थे। उनके द्वारा अपने-अपने जमाई को यहां बसाया गया। इसके बाद खेकड़ा कस्बे से जिस लड़की की डोली उठी वह विदा तो अपने पिता की चौखट से हुई लेकिन लड़की के शौहर को यहां रोजगार और प्लॉट दिलाकर उनके मकान बनाए गए और यहीं रख लिया गया। 

यहां एक-दो नहीं बल्कि पूरे 300 परिवार ऐसे ही हैं। इस नई कॉलोनी को लोग जमाई पुरा के नाम से बुलाने लगे। क्योंकि यहाँ अधिकतर व्यक्ति बाहर से ही आकर बसे।

रोजगार भी रहा कारण

खेकडा कस्बा रोजगार की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ गंडासा फैक्ट्री से लेकर कपड़े का काम ज्यादा होता है। शादी के बाद लड़कों को यहां रोजगार दिलाया गया और फिर यहीं उन्होंने अपने घर बसा लिए।

मुस्लिम आबादी की कॉलोनी है जमाई पुरा

जमाई पुरा एक मुस्लिम आबादी की कॉलोनी है। इस कॉलोनी में खेकडा कस्बे का रहने वाला कोई नहीं है। सभी लोग बाहर से ही यहां आकर बस गए। मुस्लिम परिवार शादी के बाद लड़के को अलग कर देते हैं, जिसके बाद उसे अपना आशियाना खुद ही बनाना होता है। लड़की के परिवार से उनको सहारा मिला और धीरे-धीरे यह कॉलोनी जमाई पुरे में तब्दील हो गई।

नगर पालिका ने नाम रखा प्रेमपुरी

जमाई पुरा कॉलोनी को लोग प्रेम की नजर से भी देखते हैं। निकाह होने के बाद अधिकांश शौहर अपनी बेगम के पास ही रहने लगे। खेकडा के लोग इनको जमाई-मेहमान ही बुलाते रहे। इसलिए नगर पालिका ने इसका नाम प्रेमपुरी रखना उचित समझा। लेकिन आज भी यह कॉलोनी जमाई पुरा के नाम से चर्चित है। सभासद संजय धामा का कहना है कि यहां चार परिवार 1987 में सबसे पहले आये थे। उनकी लड़की की शादी हुई तो जमाई भी यहीं रहने लगे। 37 साल में यह कालोनी 300 घर जमाई का परिवार बन गयी।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़