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November 2, 2024 2:59 am

मान गए उस्ताद ; अखिलेश ने कांग्रेस के साथ तय किया गठबंधन, इन सीटों पर बनी सहमति

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सियासी लिहाज से बड़ी उठापठक देखने को मिल रही है। विपक्षी गठबंधन के साझीदार कांग्रेस (Congress) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने एकसाथ आकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने बुधवार को स्पष्ट कहा कि यूपी में कांग्रेस के साथ गठबंधन तय है। अंत भला तो सब भला। दोनों दलों में डील तय हो चुकी है। किसी भी समय गठबंधन और सीटों का बंटवारे का ऐलान किया जा सकता है।

कांग्रेस ने 17 सीट पर चुनाव लड़ने पर सहमति जताई है लेकिन कांग्रेस चाहती है कि लखीमपुर खीरी और श्रावस्ती सीट उसे दी जाए।

इसके आवाज में वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बुलंदशहर सीट छोड़ने को तैयार है। सूत्रों का कहना है कि इस प्रस्ताव पर समाजवादी पार्टी ने विचार कर बृहस्पतिवार को अंतिम फैसला सुनाने की बात कही है। लंबे समय से जारी बातचीत के बाद सपा और कांग्रेस के बीच सीटों का फॉर्मूला तय हो गया है। वाराणसी कांग्रेस के ही खाते में रहेगी। अखिलेश यादव यहां से अपना उम्मीदवार वापस लेंगे। कांग्रेस आलाकमान ने अखिलेश की दी हुई सीटों पर आखिर में सिर्फ दो बदलाव मांगे। पहला- हाथरस सपा को वापस देकर सीतापुर दी जाए। सपा ने कांग्रेस की इस मांग को मान लिया।

कांग्रेस की तरफ से मुरादाबाद सीट की डिमांड ड्रॉप

बताया जा रहा है कि प्रियंका गांधी ने राहुल गांधी से आज बात की और फिर उन्होंने अखिलेश यादव से बात की है। कांग्रेस की तरफ से मुरादाबाद सीट की डिमांड ड्रॉप कर दी गई है। आगे का बातचीत कांग्रेस के यूपी प्रभारी और समाजवादी पार्टी के बीच जारी है। आज या कल में सीटों के बंटवारे का ऐलान हो सकता है। अखिलेश यादव शाम तक मुरादाबाद से लौट कर आ जाएंगे। उसके बाद फायनल राउंड की बातचीत संभव है। समाजवादी पार्टी ने वाराणसी से उम्मीदवार वापस लेने की बात कही है।

ये 17 सीटें कांग्रेस को?

फाइनल डील के आधार पर कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में जिन 17 सीटें फाइनल हो रही हैं, उनमें- अमरोहा, झांसी, बुलंदशहर, रायबरेली, अमेठी, कानपुर, फतेहपुर सीकरी, बांसगांव, सहारनपुर, सीतापुर, प्रयागराज, महाराजगंज, वाराणसी, देवरिया, बाराबंकी, गाजियाबाद, मथुरा शामिल हैं।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."