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18 January 2025 6:32 pm

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गजब की करवटें ले रही है सियासत… कौन किसके साए में कब आ जाए… खुद ही पढ़ लीजिए… ?

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सियासत में जोरदार हलचल मची हुई है। एक तरफ समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच उठापटक के संकेत मिल रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ अखिलेश यादव अब लोकसभा चुनाव में जीत का समीकरण तलाशने की कोशिश करते दिख रहे हैं। 

इस क्रम में एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम आकार लेता दिख रहा है। समाजवादी पार्टी और रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के बीच गठबंधन की खबरें आ रही हैं। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक समाजवादी पार्टी राजा भैया की पार्टी को पांच सीटें ऑफर कर सकती है। यूपी चुनाव 2022 में राजा भैया ने प्रतापगढ़ की दो सीटों पर जीत दर्ज कर खुद को कांग्रेस के समकक्ष ला दिया था। 

दरअसल यूपी चुनाव 2022 में कांग्रेस को दो और बहुजन समाज पार्टी को महज एक सीट पर जीत हासिल हुई थी। हालांकि इस चुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और राजा भैया के बीच बयानों के वाण खूब चले थे। सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल की राजा भैया से मुलाकात की तस्वीरें सामने आई हैं। 

लोकसभा चुनाव से पहले राज्यसभा चुनाव की वोटिंग को लेकर समर्थन जुटाने के प्रयास के तौर पर भी इस मुलाकात को देखा जा रहा है।

सपा की परेशानी है बड़ी

समाजवादी पार्टी के सामने इस समय परेशानी काफी बढ़ी हुई है। एक तरफ यूपी चुनाव 2022 के बाद साथी बने दल एक- एक कर साथ छोड़ चुके हैं। 

सुभासपा, महान दल से लेकर राष्ट्रीय लोक दल तक अखिलेश यादव का साथ छोड़ती दिखी। पार्टी के भीतर भी बगावत के सुर उभरने लगे हैं। इस बीच पार्टी अपने पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक फ्रंट यान पीडीए के जरिए लोकसभा चुनाव में बड़ा असर छोड़ने की कोशिश में है। इसके लिए अखिलेश यादव लगातार प्रयास कर रहे हैं। 

हालांकि, कांग्रेस पार्टी के रुख के बाद यूपी में विपक्षी गठबंधन के आकार लेने की संभावना कम ही है। समाजवादी पार्टी ने पहले ही 27 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। सूत्रों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में सपा की ओर से राजा भैया को पांच सीटें दी जा सकती है।

कांग्रेस की ओर से समाजवादी पार्टी की विनिंग सीटों पर दावे की खबरें हैं। इस पर सपा तैयार नहीं है। ऐसे में दोनों दलों की राहें अलग होती दिख रही हैं। 

राज्यसभा चुनाव से पहले बढ़े राजनीतिक तनाव ने अखिलेश की चिंताएं बढ़ा दी हैं। जयंत चौधरी पहले ही अखिलेश यादव का साथ छोड़कर एनडीए की तरफ जा चुके हैं। इस प्रकार की स्थिति में समाजवादी पार्टी अब एक बड़े चेहरे को साथ जोड़ने की कोशिश करती दिख रही है। राजा भैया इसमें मुफीद नजर आ रहे हैं।

मुलायम से रहे हैं नजदीकी संबंध

राजा भैया और मुलायम सिंह यादव के संबंध काफी पुराने हैं। दोनों ने लंबे समय तक एक साथ राजनीति की। मुलायम सिंह यादव के बीमार होने के दौरान राजा भैया लगातार उनसे मुलाकात करते रहे थे। हालांकि, अखिलेश यादव के साथ उनके संबंध कभी भी मधुर नहीं रहे हैं। 

यूपी चुनाव 2022 की चुनाव के दौरान कुंडा की जनसभा में अखिलेश यादव ने उन पर जमकर हमला बोला था। कुंडा की कुंडी लगाने तक की बात कह दी थी। उस समय राजा भैया ने जवाबी हमला करते हुए कहा था कि किसी में इतनी हिम्मत नहीं है कि कुंडा में हमारी कुंडी लगा दे। 

हालांकि, अब दोनों दलों के बीच तनाव कम होता दिख रहा है। वैसे राजा भैया की पार्टी के दो विधायकों पर अखिलेश की नजर है। राज्यसभा चुनाव में अगर ये विधायक उनके तीसरे उम्मीदवार को वोट करें तो इसका असर उनकी जीत के समीकरण पर पड़ सकता है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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