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November 2, 2024 3:05 am

‘रखो प्लेट, शर्म नहीं आती तुम्हे…’, कार्यक्रम के दौरान खाना खा रहे बुजुर्ग सिपाही से एसपी का ऐसा सलूक…वीडियो ?आपको भी शरमा देगा

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जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट

आजमगढ़: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में एक पुलिस अफसर का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वो खाना खा रहे एक वृद्ध सिपाही को डांटते-फटकारते दिखाई दे रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि पुलिस अफसर ने जब तक सिपाही के हाथ से खाने की प्लेट रखवा नहीं दी, तब तक माने नहीं।

अफसर महोदय ने दूसरे सिपाहियों को भी वापस ड्यूटी पर जाने की नसीहत दी। इसको लेकर लोग कई प्रकार के कमेंट्स कर रहे हैं। किसी ने कहा कि कम से कम खाना खाते समय ऐसे नहीं टोकना चाहिए था, तो किसी ने कहा कि सिपाही की उम्र का तो लिहाज रख लेते।

दरअसल, पूरी घटना आजमगढ़ जिले की है जहां पिछले दिनों मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव का दौरा था। इस के चलते एक स्कूल प्रांगण में पांच लोकसभा की समीक्षा व क्लस्टर मीटिंग में भाजपा कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारी का कार्यक्रम रखा गया था। इसमें कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों के लिए खाने की व्यवस्था की गई थी।

खाने का क्रम जारी ही था कि इसी बीच एक वृद्ध सिपाही खाने के पंडाल में पहुंच गया तथा प्लेट में खाना परोसकर खाने लगा। इतने में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने पहुंचे ASP शुभम अग्रवाल की नजर उस सिपाही पर पड़ गई। उन्होंने तुरंत सिपाही को बुलाकर फटकार लगानी शुरू कर दी। उन्होंने कहा- तुम्हें यहां खाने के लिए बुलाया गया है कि ड्यूटी के लिए। शर्म नहीं आती बिल्कुल। चलो जाओ ड्यूटी पर। रखो प्लेट।

वही ये सुनकर जब सिपाही इधर-उधर करने लगा तो ASP ने उसे बुलाकर खाने की प्लेट छोड़ने का फरमान सुना दिया। डरे-सहमे सिपाही ने फौरन खाने की प्लेट छोड़ दी तथा पंडाल से निकल गया। मौके पर उपस्थित किसी व्यक्ति ने इस घटना का वीडियो बना लिया, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।

वीडियो को लेकर पुलिस का कहना है कि जिले में VIP गेस्ट आए हुए थे। ऐसे में सिपाहियों को ड्यूटी पर लगाया था। मगर वो ड्यूटी स्थल की बजाय कहीं और उपस्थित नजर आए। जिसके चलते उन्हें अपनी जगह जाने का निर्देश दिया गया था। और कोई बात नहीं थी। हालांकि, लोगों को ASP द्वारा खाना खा रहे सिपाही से इस तरीके का बर्ताव करना पसंद नहीं आया।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."