वसीम फिरोज की रिपोर्ट
नई दिल्ली। उस्ताद अकरम अली खान (आजरा घराना) ने भारतीय संस्कृति को जीवित करने का निरंतर प्रयास किया। वह समय-समय पर सुंदर कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों का रुझान भारतीय संगीत और कला की ओर करते रहते हैं।
इसी श्रृंखला में उन्होने उस्ताद हसमत अली खान की याद में दिल्ली के अजारा घराने की ओर से शानदार कार्यक्रम का आयोजन किया देश के जाने-माने कलाकारों ने हिस्सा लिया।
उस्ताद अकरम अली खान ने कहा कि आज घर-घर से संगीत कहीं ना कहीं विलुप्त हो गया है, हम भारतीय संगीत और उसकी परंपराओं को जीवित रखने का पूरा प्रयास करते हैं कर रहे हैं। आज हमारे साथ मुंबई से कई परफॉर्मर आए जिन्होंने सुंदर नृत्य की प्रस्तुति की तथा हमने न केवल कला बल्कि कला से जुड़े लोग, जो की म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट का निर्माण करते हैं, उन्हें भी आज यहां सम्मानित किया ।
आजारा घराना विगत कई वर्षों से अपना जीवन संगीत को समर्पित कर रखा है। मशहूर तबला वादक उस्ताद अकरम अली खान ने आगे कहा कि आदिकाल से ही हम लोग संगीत को सुन रहे हैं ,समझ रहे हैं, और उसकी इबादत कर रहे हैं।
बदलते वक्त के साथ संगीत सुनने वाले, वाध यंत्र बनाने वाले तथा संगीत कला से जुड़े लोगों में बहुत परिवर्तन आया है।
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प्राचीन भारतीय संगीत की समृद्ध परंपरा को आधुनिक और नए रुप में ढालने के लिए आवश्यक और अनावश्यक और रुचि के अनुसार इसमें अनेक परिवर्तन किए। भारत की संगीत परंपरा का जीवित रखने का कार्य हमेशा किया गया जिसके चलते नई शैलियां भी प्रचलन में आईं है। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान पाश्चात्य संगीत से भी भारतीय संगीत का परिचय हुआ।
आज हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों को संगीत की इस धरोहर को सजो के रखने का संदेश देना है।
हाजी जी( तबला मेकर) ने कहा की आज उमा डोगरी जी ने सुंदर नृत्य प्रस्तुति की तथा इस तरह के कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित होने बहुत ही आवश्यक है।
उस्ताद अकरम अली खान और तरन्नुम खान जी को इस सुंदर आयोजन के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं कि आज उन्होंने हम जैसे लोगों को जो पर्दे के पीछे रहते हैं यहां बुलाकर सम्मान दिया।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."