ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट
Mathura. साल का वह समय आ चुका है जब मथुरा-वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के साथ श्रद्धालु भी होली के रंग में रंग जाते हैं। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अलग-अलग देशों से बरसाना और मथुरा-वृंदावन की होली में शामिल होने के लिए लोग यहां पहुंचते हैं।
विदेशों से आने वाले मेहमानों में सिर्फ कृष्णभक्त ही नहीं बल्कि जिन लोगों की दिलचस्पी भारत की समृद्ध संस्कृति को समझने में होती है, वो भी इस समय मथुरा और वृंदावन में आते हैं।
वसंत पंचमी के दिन मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में भगवान को गुलाल लगाने के साथ ही 40 दिनों के होली महोत्सव की शुरुआत हो चुकी है।
40 दिनों तक चलने वाले होली महोत्सव में कई तरह की होली खेली जाती है, जिसमें कभी बरसाने की लट्ठमार होली तो कभी वृंदावन की कीचड़ वाली होली होती है। अलग-अलग दिनों की होली में लोग होली के विभिन्न रंग में खुद भी रंगते हैं और अपने अराध्य बांके बिहारी को भी रंग देते हैं।
40 दिवसीय होली उत्सव के पहले दिन यानी बसंत पंचमी (बुधवार) के दिन ब्रज में सिर्फ बांके बिहारी मंदिर में ही नहीं बल्कि निधिवन, सेवाकुंज, राधावल्लभ, मथुरा आदि में भी रंग-गुलाल उड़ाकर होली का आयोजन किया गया।
चलिए जानते हैं, मथुरा-वृंदावन और मथुरा में कब कौन सी खास होली मनायी जाएगी :-
- बरसाना के श्रीजी मंदिर में लड्डुओं की होली – 17 मार्च
- बरसाना की मुख्य लट्ठमार होली – 18 मार्च
- नंदगांव के नंदभवन में लट्ठामार होली – 19 मार्च
- वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर में फूलोवाली होली – 21 मार्च
- मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर और पूरे मथुरा में होली का विशेष आयोजन – 21 मार्च
- गोकुल में होली और रमण रेती के दर्शन – 22 मार्च
- होलिका दहन – 24 मार्च (द्वारकाधीश मंदिर में डोला, वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर और मथुरा के विश्राम घाट पर होलिका दहन की जाएगी)
- द्वारकाधीश बृज में धुलंडी होली – 25 मार्च (इसमें टेसू के फूलों से बने रंग और अबीर-गुलाल से होली खेली जाती है)।
अगर इस साल होली के समय ब्रजभूमि में मथुरा-वृंदावन-बरसाना जाने की योजना बना रहे हैं तो 17 मार्च से लेकर 25 मार्च के बीच इन जगहों पर जा सकते हैं।
हम दावे के साथ कह सकते हैं कि इन जगहों की होली में शामिल होकर आपको जो अनुभव होगा, वह निश्चित रूप से आपको और कहीं नहीं होगा। यह कुछ ऐसा अनुभव होगा, जिसे आप जीवन भर अपने साथ संजो कर रखना चाहेंगे।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."