सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा के थाना कोसीकलां इलाके में 2015 में किशोरी से बलात्कार के आरोप में एक शख्स को अपनी जिंदगी के आठ साल बिताने पड़ गए। बेकसूर को बलात्कार के झूठे आरोप में फंसा दिया गया था। आठ साल बाद पीड़ित को हाई कोर्ट ने दोषमुक्त करते हुए बरी कर दिया है। पीड़ित जेल से रिहा होने के बाद खुश है।
किस्मत का खेल कहें, या फिर कानून की पेंचीदगी, या फिर कहें न्यायिक विडंबना, जिसके चलते एक निर्दोष को आठ साल से अधिक समय बेकसूर होते हुए, जेल में गुजारने पड़े। मामला मथुरा के कोसी थाना क्षेत्र का, जिसमें 2015 में एक नाबालिक से रेप के आरोप में सुखवीर को जिला न्यायालय से पॉस्को एक्ट के तहत आजीवन सजा मिली। इसकी अपील हाईकोर्ट प्रयाग में हुई।
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई कर सुखवीर को दोषमुक्त करार दिया। जिसके बाद उसकी जेल से रिहाई हुई। इस मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता पवन कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि सुखवीर ने पीड़िता के पिता को उसकी बेटी के साथ हुए रेप की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पीड़िता के पिता ने उल्टा ही सूचना देने वाले सुखवीर को फंसा दिया।
पुलिस ने पीड़िता के ब्यान दर्ज करने के बाद सुखवीर को आरोपी बनाकर जेल भेज दिया। पीड़ित ने बताया कि बेवजह है उन्हें फंसा कर जेल भिजवा दिया गया। आज जब वह जेल से रिहा हुआ है उसके चेहरे पर खुशी है।
पुलिस की गलत जांच से गया था पीड़ित जेल
सवाल ये उठता है कि अगर कोर्ट ने बेकसूर को दोषमुक्त कर दिया है तो पुलिस ने आख़िर गलत जांच क्यों की। निर्दोष को 8 साल तक जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ा। जिन पुलिस कर्मियों ने जांच गलत की क्या उन पर कोई कार्रवाई होगी।
Author: samachar
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