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November 23, 2024 9:41 am

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नदियों की अठखेलियां मचा रही बरबादियां ; कहीं आशियाना डूबे कहीं रास्ते, तंग ओ तबाह हो रहे हैं लोग

10 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

कानपुर, यूपी के कई जिले इस वक्त बाढ़ की चपेट में हैं। यमुना, बेतवा और चंबल नदियां उफान पर बह रही हैं। जिससे कई क्षेत्रों में पानी घुस गया। बस्तियां डूबने से लोगों को पलायन तक करना पड़ रहा है। स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार और जिला प्रशासन लोगों को राहत पहुंचाने के लिए दौरा कर रहे हैं। 

यमुना में आए उफान के बाद बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा करने का सिलसिला जारी है। सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम खादी एवं ग्रामोद्योग रेशम हथकरघा और वस्त्रोद्योग विभाग मंत्री राकेश सचान शुक्रवार की सुबह पैलानी डेरा पहुंचे। यहां स्टीमर पर डीएम अनुराग पटेल के साथ पानी से घिरे गांवों का निरीक्षण किया। प्रभावित इलाकों में जल्द राहत पहुंचाने का निर्देश दिया। खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं यमुना के पानी में चालीस से ज्यादा गांव घिर चुके हैं। निचले इलाकों के गांवों को खाली करने का निर्देश दिया गया है। कई गांवों के लोग परिवार व सामान के साथ सुरक्षित स्थानों की शरण ले चुके हैं। पैलानी तहसील क्षेत्र में केन, चंद्रावल और यमुना का पानी कहर बरपा रहा है। राज्यमंत्री रामकेश निषाद ने बुधवार व गुरुवार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था, शुक्रवार को कैबिनेट मंत्री राकेश सचान पहुंचे। डीएम अनुराग पटेल व तहसील अधिकारियों के साथ बाढ़ से घिरे गांवों का हाल देखा। उन्होंने बाढ़ पीड़ितों का हाल जानने के साथ अधिकारियों को निर्देश दिया कि राहत कार्य में किसी प्रकार की कमी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने सिंधनकला के मजरा तगड़ा डेरा, पंडवन डेरा, गुरगवां और लसड़ा आदि गांंवों का हाल देखा। भाजपा जिलाध्यक्ष संजय सिंह, रामबली निषाद आदि मौजूद रहे।

निषाद आदि मौजूद रहे।

उरई: नदियों का जलस्तर और बढ़ा, टापू बने कई गांव

प्रमुख नदियों में उफान की वजह से  माधौगढ़ से लेकर कालपी तक करीब सौ गांवों  में बाढ़ के हालात बनते जा रहे हैं। यमुना नदी में 12 घंटे के भीतर दो मीटर पानी और बढ़ गया। वर्तमान में खतरे निशान से यमुना नदी में चार मीटर ऊपर पानी बह रहा है। जिसकी वजह से शहर के कई मोहल्ले में भी बाढ़ खतरा मंडराने लगा है।  बेतवा नदी का  जलस्तर जरूर स्थिर होता दिख रहा है। जिले के माधौगढ़, कुठौंद व रामपुरा ब्लाक में कई गांव बाढ़ के पानी में घिर गए हैं। बिलौड़, सुल्तानपुरा, जखेता जैसे गांवों में लोगों ने गृहस्थी का सामान घर की छत पर पहुंचा दिया है। वहां कालपी क्षेत्र करीब 50 गांव बाढ़ के पानी से घिरे हैं वहां पर न तो लोगों के सामान सुरक्षित करने की कोई व्यवस्था है और न ही अस्थायी कैंप बनवाए गए हैं।

शुक्रवार को स्थिति में सुधार होने की जगह त्रासदी और बढ़ गई। शुक्रवार को यमुना नदी का जलस्तर 112 मीटर तक पहुंच गया। गुरुवार को पानी 110 मीटर पर था। वर्तमान में यमुना नदी खतरे के निशान से चार मीटर ऊपर बह रही है और लगातार पानी बढ़ रहा है। प्रशासन हालात पर नजर रखते हुए राहत कार्य में भी जुटा है, लेकिन जिस तरह से नदियां रौद्र रूप में हैं। उसे देखते हुए राहत इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। रामपुरा व कुठौंद क्षेत्र पिछले साल बाढ़ की विभीषिका झेल चुके लोग अपने स्तर से बचाव कार्य में जुटे हैं। नदियों में उफान की वजह से खरीफ की फसल तो तबाह हो ही गई है, आशियाना भी गिरने की आशंका से लोग विचलित नजर आ रहे हैं।

इटावा: खतरे के निशान से 9 मीटर ऊपर बहने के साथ चंबल में बाढ़ का रिकार्ड टूटा

चंबल नदी में बाढ़ ने पिछले सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। खतरे के निशान 120.80 मीटर से 9.1 मीटर ऊपर बहने से शुक्रवार को पूर्वाह्न 11 बजे 129.90 मीटर जलस्तर दर्ज किया गया है। इसके बाद से जलस्तर स्थिर है। देर शाम तक जलस्तर में गिरावट आने की संभावना है। इससे पहले वर्ष 1971 में चंबल का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर 128.06 मीटर, वर्ष 1996 में 128.35 मीटर और वर्ष 2019 में 128.53 मीटर दर्ज किया गया था। गुरुवार को जलस्तर 10 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ता रहा था। 

इससे अब तक का सर्वाधिक 128.53 मीटर के रिकार्ड को पार करके चंबल का रौद्र रूप सामने आया है। लखना-सिंडौस मार्ग बंद होने से चकरनगर तहसील का जनपद मुख्यालय से संपर्क टूट गया है। बाढ़ में डूबे गांवों में त्राहि-त्राहि के हालत हैं। भूखे-प्यासे ग्रामीणों की चार दिन से नींद उड़ी हुई है। फसलें बर्बाद हो गई हैं। इसी प्रकार पचनद पर डाउन स्ट्रीम में चंबल का दबाव बढ़ने से यमुना के जलस्तर में लगातर वृद्धि हो रही है। शुक्रवार को यमुना नदी खतरे के निशान 121.92 मीटर से कुछ ही दूर 121.65 मीटर पर बह रही थी।

बांदा: यमुना खतरे के निशान से 2.30 मीटर ऊपर, टूटा की सालों का रिकार्ड

यमुना घटने के बजाए लगातार बढ़ रही है। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक शुक्रवार को सुबह 11 बजे तक यमुना नदी 102.32 मीटर है। जबकि खतरे का निशान 100 मीटर पर है। वहीं केन नदी भी 102.20 मीटर पर है। दोनों नदियों का जल स्तर धीरे-धीरे (प्रति घंटे चार सेंटीमीटर की रफ्तार) बढ़ रहा है। यमुना और केन किनारे बसे कई गांवों में बाढ़ का पानी तबाही मचा रहा है। कई मकान डूब गए हैं।  ग्रामीण मवेशियों व गृहस्थी का सामान लेकर बांदा-कानपुर हाईवे किनारे डेरा डाल लिया है। खुले आसमान के नीचे बच्चे-महिलाएं दुश्वारियां झेल रहे हैं। बांदा-कानपुर हाईवे पर दोहतरा के पास मुख्य मार्ग पर करीब एक फीट ऊपर पानी बह रहा है। इससे यहां बडे़ वाहनों का आवागमन रोक दिया गया है।

बाइक व साइकिल सवार ही जान जोखिम में डालकर गुजर रहे हैं। प्रदेश के उद्योग मंत्री राकेश सचान, जिलाधिकारी अनुराग पटेल, एसडीएम पैलानी लाल सिंह सहित अन्य अधिकारी क्षेत्र में है और बाढ़ का जायजा ले रहे हैं। बाढ़ से बड़े पैमाने पर खरीफ की फसलें ज्वार, अरहर, तिल, मूंग, ज्वार आदि डूब गई है। किसान अपनी आंखों के सामने बाढ़ की तबाही देख सदमे में हैं। जनपद में 2005 और इसके पहले 1997 में यमुना व केन में बाढ़ से भारी तबाही हुई थी। 

पैलानी के नांदादेव और बरेहटा गांव में बाढ़ की चपेट में आकर करीब 20 मकान डूबे। गृहस्थी बर्बाद हुई बर्बाद। चंद्रावल और केन नदी की  बाढ़ से रिहायशी मकानों में पानी भर गया। क्योटरा गांव में बाढ़ से घिरे घरों से ग्रामीणों ने बची खुची गृहस्थी का सामान उठाकर आनन-फानन ऊंचे इलाके में बने मकानों और हाईवे पर रखा।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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