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November 23, 2024 12:09 am

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स्वर्गीय वीरेंद्र कुमार सक्सेना सम्मान समारोह एवं पुस्तक का हुआ अनावरण 

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नौशाद अली की रिपोर्ट

बदायूं। “काव्य दीप” द्वारा आयोजित स्वर्गीय वीरेंद्र कुमार सक्सेना सम्मान समारोह पुस्तक अनावरण एवं कवि सम्मेलन दिनांक 14 जून 2022 को संपन्न हुआ।

कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि विधायक नगर क्षेत्र बदायूं महेश चंद्र गुप्ता द्वारा सर्वप्रथम सरस्वती मां के आगे दीप प्रज्वलन कर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध शायर अहमद अमजदी के द्वारा की गई तथा मंच संचालन पवन शंख धार एवं अजीत रस्तोगी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

बरेली से आमंत्रित कवि राजेश शर्मा के द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। तत्पश्चात अतिथि महोदय एवं समस्त कवि गणों का माला पहनाकर और बैज लगाकर स्वागत किया गया।

कार्यक्रम आरंभ हुआ नगर विधायक के कर कमलों द्वारा काव्यदीप की प्रथम पुस्तक ‘काव्यदीप प्रथम दीप’ के मुख्य पृष्ठ एवं ऑनलाइन बाल पत्रिका ‘दीया’ का अनावरण किया गया।

इसके पश्चात बरेली से राजेश शर्मा, पीलीभीत से उमेश त्रिगुणायत तथा बरेली से मुकेश कमल जी को काव्य के क्षेत्र में अमूल्य योगदान हेतु स्मृति चिन्ह, अंग वस्त्र, सम्मान पत्र एवं पुस्तक देकर सम्मानित किया गया।

इसके बाद कवि सम्मेलन में सबसे पहले सहसवान बदायूं से पधारे इकबाल अहमद जी ने अपनी गजल पढ़ कर समा बांधा,

“आ मौत की इस भीड़ से पल जिन्दगी के छांट लें
तू मुस्कुरा दे तो बुरा यह वक्त हम भी काट लें”

उसके बाद सौरभ हिंदुस्तानी जी ने अपनी देशप्रेम से पूर्ण ओज कविता प्रस्तुत कर रक्तसंचार बढ़ा दिया,

“वतन के वास्ते में मेरा ये पैगाम लिख देना
मेरे खून के कतरे कतरे से हिंदुस्तान लिख देना

तत्पश्चात बदायूं से राजवीर सिंह तरंग जी ने कुछ मुक्तक ग़ज़ल प्रस्तुत कर मंत्रमुग्ध किया,

“फसादों में मुहब्बत की रवानी भूल मत जाना।
किसी बहकाबे में आकर वो वानी भूल मत जाना।”

हमारा मुल्क है रोशन मुहब्बत के फसानों से-
बुजुर्गो ने सुनाई जो कहानी भूल मत जाना।”

इसके बाद उमेश त्रिगुणायत जी ने अपनी हास्य कविता से सबको लोटपोट किया कर दिया,

“मुहब्बत में अहद ए वफ़ा चाहता हूँ।
मैं केवल नफ़ा ही नफ़ा चाहता हूँ।”

अपनी श्रृंगार रस के गीतों के लिए प्रसिद्ध मुकेश कमल जी ने कुछ मुक्तक एवं गीत सुनाकर श्रोताओं का मन मोहा उन्होंने फरमाया,

“प्रेम पथ के पथिक हम थे हारे हुए,
तुम मिले तो स्वप्न सच हमारे हुए।
हो न पाए जहां में किसी के भी हम,
कि इक नज़र तुमने देखा तुम्हारे हुए।”

इसके बाद बरेली से राजेश शर्मा जी ने अपने मुक्तकों से दर्शकों को वाह-वाह करने पर मजबूर कर दिया,

“अपने माँ बाप की जो दिल से दुआ लेते हैं।
ऐसे जीते हैं कि जन्नत का मज़ा लेते हैं।”

नोएडा से पधारे कवि हरकीरत सिंह ढींगरा जी ने पिता पर कविता प्रस्तुत कर सबको भागो किया भावुक किया,

” पिता का पता हर किसी को नहीं होता
मन में उसके क्या है हैं कोई समझ पाता।”

इसके बाद मंच संचालक अजीत रस्तोगी अपनी रचना पढ़कर तालियां बटोरीं।

“मात पिता से बढ़कर जिसके काम सभी अर्जेंट हो गए
उनके घर इन दुनिया भर के दुखड़े परमानेंट हो गए”

तत्पश्चात काव्यदीप की संस्थापिका एवं कार्यक्रम की आयोजिका दीप्ति सक्सेना ने अपने पिता के लिए समर्पित दो कविताएं पढ़ी,

“कठोर आग्नेय शैल दृढ़ शिला हिमखंड थे
समुद्री चक्रवात थे आंधी अति प्रचंड थे।
पापी कापुरुष दुर्जन थरथराता, कांपता।
सुनके वीर की हुंकार रसातल को नापता।”

इसके बाद उन्होंने मुख्य अतिथि सभी आमंत्रित कवियों और श्रोता गणों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में कुछ व्यक्तिगत कारणों से अनुपस्थित शाहजहांपुर से प्रदीप वैरागी जी ने मैसेज के माध्यम से अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम अध्यक्ष अहमद जैदी जी ने अपनी गजलों से कवि सम्मेलन में चार चांद लगाए,

“ख्वाहिशें , हसरतें, अरमान बहुत करता है|
दिल मेरा मुझको परेशान बहुत करता है|
शहर में ज़हरे अदावत को न आने देना-
ज़हर यह बस्तियाँ वीरान बहुत करता है|”

इसके पश्चात उन्होंने कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।

कार्यक्रम में स्व. वीरेन्द्र कुमार सक्सेना जी की पत्नी एवं कार्यक्रम की संयोजिका श्रीमती मंजु सक्सेना, काव्यदीप के सह संयोजक आलोक शाक्य, सुरेंद्र कुमार मौर्य, ओम कुमारी, रैना, सुरेश बाबू, के.सी. शाक्य, प्रेमपाल ,मुकेश , हिमांशु प्रधान, नरेश , सतीश, दीप्ति, कृति आदि श्रोता गण उपस्थित थे।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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