विरेन्द्र हरखानी की रिपोर्ट
जिला झुंझुनूं के मेहरादास गाँव की एक छोटी सी ढाणी में रहने वाला नोजवान कुलदीप BSF में तैनात है जो कि देश की सीमाओं की रक्षा की जिम्मेदारी निभाने के साथ साथ बाबा साहेब अंबेडकर मिशन के प्रति भी अपनी जिम्मेदारियों को समझता है।
बाबा साहेब अंबेडकर ने 22 वर्ष तक सभी धर्मों का गहन अध्ययन कर निर्णय लेकर 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर की भूमि पर दस लाख लोगों के बीच 22 प्रतिज्ञाओं के जरिये हमें संदेश देते हुए स्वयं ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रतिज्ञा की थी कि मैं कोई भी संस्कार ब्राह्मण से नहीं करवाऊँगा।
बाबा साहेब अंबेडकर की इस महत्वपूर्ण प्रतिज्ञा के बारे मे जिस दिन फौजी कुलदीप को पता चला उसी दिन मन में ठान लिया कि चाहे कितना भी विरोध क्यों न झेलना पड़े लेकिन मैं अपने परिवार में किसी भी संस्कार के लिए ब्राह्मण को नहीं बुलाऊंगा,आखिर 19 व 21 अप्रैल 2022 के दिन कुलदीप के लिए परीक्षा की घड़ी आ गई क्योंकि 19 अप्रैल को बहिन की शादी व 21 अप्रैल को स्वयं की शादी का कार्यक्रम निश्चित हुआ था।
कुलदीप ने अपने मन की बात अपने माता पिता व परिवार वालों के साथ साथ होने वाले बहिन के ससुरालियों व स्वयं के ससुरालियों को बतायी तो सब के सब उखड़ गए और कहने लगे कि ऐसा कभी होता है क्या जो कि बिना ब्राह्मण व बिना फेरे लिए शादी सम्पन्न हो।
कुलदीप ने दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ सभी को समझाने का प्रयास किया तो सभी ने स्वीकार कर लिया कि ठीक है आप बौद्ध रीति से शादी कर सकते हो इस पर 19 अप्रैल को कुलदीप की बहिन प्रियंका सुपुत्री शुभकरण स्नेही संग राहुल सुपुत्र रामप्रताप जी रोलन निवासी जांटवाली की शादी बौद्ध रीति से उपासक बी एल बौद्ध ने सम्पन्न करवाई तथा स्वयं कुलदीप की शादी पिलानी निवासी अंजू सुपुत्री गुलाब जी आलड़िया संग बौद्ध रीति से धर्मपाल जी बौद्ध ने सम्पन्न करवाई।
फौजी कुलदीप के साहस को हम सब सैलूट करते हैं कि उसने दृढ़तापूर्वक मिशन को समझाने का काम कर मनुवाद को कमजोर करने का प्रयास किया एवं बाबा साहेब अंबेडकर के भारत को बौद्धमय बनाने के सपने को साकार करने में अपनी ओर से जो शुरुआत की गई है उसके लिए तहेदिल से साधुवाद देते हुए दोनों नव दम्पति जोड़ो को हार्दिक बधाई देते हुए ढ़ेर सारी शुभकामनाएं देते हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."