कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव राज्य के राजनीतिक दलों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों की दिशा में बढ़ने का संकेत माना जा रहा है।
भाजपा, जो लोकसभा चुनावों में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है, बेहतर प्रदर्शन के जरिए आगामी आम चुनावों के लिए माहौल तैयार करने में जुटी हुई है। वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) अधिक सीटें जीतकर आगामी चुनावों के लिए अपनी गति बनाए रखना चाहती है। इसलिए, दोनों दलों के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।
इन उपचुनावों के तहत गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, कुंदरकी, सीसामऊ, कटेहरी, मझवां, फूलपुर, और करहल की सीटें शामिल हैं। इन सीटों में से कुछ भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों के पास थीं, जबकि कुछ सीटें समाजवादी पार्टी के कब्जे में थीं।
खास बात यह है कि यह उपचुनाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर पूर्वांचल तक का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिससे इन चुनावों के नतीजे पूरे प्रदेश के मतदाताओं के मिजाज का संकेत देंगे।
पिछले विधानसभा चुनावों की स्थिति
1. करहल: सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 1,48,197 वोटों से जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा के एसपी सिंह बघेल को 80,692 वोट मिले थे।
2. फूलपुर: भाजपा के प्रवीण पटेल ने 1,03,557 वोटों के साथ जीत दर्ज की थी, जबकि सपा के मोहम्मद मुजतबा को 1,00,825 वोट मिले थे।
3. गाजियाबाद: भाजपा के अतुल गर्ग ने 1,50,205 वोटों के साथ विजयी रहे थे। सपा के विशाल शर्मा को 44,668 वोट मिले थे।
4. खैर: भाजपा के अनूप प्रधान ने 1,39,643 वोटों से जीत हासिल की थी, जबकि बसपा और रालोद उम्मीदवारों ने क्रमशः 65,302 और 41,644 वोट प्राप्त किए थे।
5. मीरापुर: रालोद के चंदन चौहान ने 1,07,124 वोटों के साथ जीत दर्ज की थी। भाजपा के प्रशांत चौधरी को 80,041 वोट मिले थे।
6. कुंदरकी: सपा के जियाउर रहमान ने 1,25,792 वोटों से जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा के कमल कुमार को 82,630 वोट मिले थे।
7. सीसामऊ: सपा के इरफान सोलंकी ने 79,163 वोटों के साथ जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा के सलिल विश्नोई को 66,897 वोट मिले थे।
8. कटेहरी: सपा के लालजी वर्मा ने 93,524 वोटों से जीत हासिल की थी, जबकि निषाद पार्टी के अवधेश कुमार को 85,828 वोट मिले थे।
9. मझवां: निषाद पार्टी के विनोद बिंद ने 1,03,235 वोटों से जीत दर्ज की थी, जबकि सपा के रोहित शुक्ला को 69,648 वोट मिले थे।
यह उपचुनाव राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इसलिए भी हैं क्योंकि यह सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए एक प्रकार की जनधारणा की परीक्षा साबित होंगे।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."