अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाथरस में मंगलवार को हुए हादसे की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को पत्रकारों से कहा कि इस हादसे की जांच इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस हादसे के लिए जो भी लोग जिम्मेदार हैं, उन्हें सजा दिलाई जाएगी और कोई भी दोषी बच नहीं पाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हादसे के आयोजन के दौरान अंदर की व्यवस्था सेवादारों द्वारा की गई थी, जबकि बाहर की सुरक्षा पुलिस प्रशासन द्वारा संभाली जा रही थी। हादसा होते ही सेवादार वहां से भाग गए और उन्होंने घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं की।
योगी आदित्यनाथ ने बताया कि इस घटनाक्रम की जांच के लिए एडीजी आगरा की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन किया गया है, जिसने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट दी है। इस रिपोर्ट के आधार पर घटनाक्रम की तह तक जाने के लिए आगे की जांच की जाएगी। उन्होंने बताया कि घटना के कई पहलुओं की जांच करना आवश्यक है।
एफआईआर के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राथमिक तौर पर एफआईआर उन लोगों पर होती है जिन्होंने कार्यक्रम की अनुमति मांगी थी। इसके बाद इसका दायरा बढ़ाया जाएगा और जो भी लोग इस घटना के जिम्मेदार होंगे, उन सभी को इसके दायरे में लाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिकंदराराऊ तहसील के एक गांव में यह दुखद और दर्दनाक घटना हुई थी। इस घटना के बाद प्रशासन ने मंगलवार को ही कदम उठाए थे। इस हादसे में 121 श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई, जिनमें से कुछ उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों और अन्य राज्यों जैसे हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश से थे। जो घायल हुए हैं, उनमें से 31 का इलाज हाथरस, अलीगढ़, एटा और आगरा के अस्पतालों में चल रहा है और सभी खतरे से बाहर हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि गंभीर रूप से घायल लोगों ने बातचीत में बताया कि हादसा उस समय हुआ जब कार्यक्रम के उपरांत कथावाचक का काफिला जीटी रोड पर आया और उन्हें छूने के लिए महिलाओं का एक दल उधर बढ़ गया। उनके पीछे भीड़ बढ़ गई और लोग एक-दूसरे पर चढ़ते चले गए। सेवादार भी लोगों को धक्का देते रहे, जिसके चलते यह हादसा घटित हुआ। सेवादारों ने दुर्घटना के बाद मामले को दबाने का प्रयास किया और ज्यादातर सेवादार वहां से भाग गए।
उन्होंने बताया कि प्राथमिक तौर पर राहत और बचाव कार्य को प्राथमिकता दी गई है और इसके बाद आयोजकों से पूछताछ की जाएगी। घटना के कारणों के बारे में उनसे बातचीत की जाएगी और घटना में लापरवाही और जिम्मेदारों की जवाबदेही तय की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने तय किया है कि इस घटना पर एक न्यायिक जांच होगी, जो उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में होगी। इसमें प्रशासन और पुलिस के रिटायर्ड सीनियर अधिकारी भी शामिल होंगे। यह जांच घटना की तह तक जाएगी और दोषियों को सजा दिलाई जाएगी। न्यायिक जांच का नोटिफिकेशन आज ही जारी किया जाएगा। इसके साथ ही, इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए सुझाव और एसओपी बनाई जाएगी, जिसे आगे के आयोजनों में लागू किया जाएगा।
योगी ने कहा कि आज स्वयं हाथरस में और सिकंदराराऊ के घटनास्थल का भी दौरा किया। यद्यपि वहां काफी बारिश थी, लेकिन इसके बावजूद वहां जाकर के हादसे के कारणों की प्रारंभिक व्यवस्था को देखने का प्रयास किया। हमारे तीन मंत्री और मुख्य सचिव व डीजीपी यहां हादसे के बाद से ही कैंप कर रहे हैं।
पुलिस और प्रशासन के सीनियर अधिकारी भी यहां पर कैंप करते हुए इस घटना के लिए जिम्मेदारों की जवाबदेही तय करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसके लिए कुछ विशेष दल बनाए गए हैं,जिनके माध्यम से अलग-अलग जनपदों में कार्यवाही प्रारंभ होगी। प्रारंभिक जांच के बाद आगे की कार्यवाही को हम आगे बढ़ाने का काम करेंगे।
विपक्षी नेताओं द्वारा हादसे पर की जा रही राजनीति को लेकर योगी ने कहा कि कुछ लोगों की यह प्रवृत्ति होती है कि इस प्रकार की दुखद और दर्दनाक घटनाओं में भी वो राजनीति ढूढ़ते हैं। ऐसे लोगों की फितरत है चोरी भी और सीनाजोरी भी। यह हर व्यक्ति जानता है कि कथावाचक सज्जन के फोटो किसके साथ हैं।
उनके राजनीतिक संबंध किसके साथ जुड़े हुए हैं। आपने देखा होगा कि पिछले दिनों रैलियों के दौरान इस तरह की भगदड़ कहां मचती थी और कौन उसके पीछे थे। मुझे लगता है कि इन सबकी तह में जाना आवश्यक है। जो लोग निर्दोष लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करते हैं उनकी जवाबदेही भी तय होगी।
सीएम ने कहा कि जो निर्दोष लोग इस हादसे के शिकार हुए हैं उनके नाबालिग बच्चों को हम लोग उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के अंतर्गत पढ़ाई की व्यवस्था कराएंगे। वो जिन भी स्कूलों या संस्था में पढ़ रहे होंगे राज्य सरकार व्यवस्था करेगी। हादसे में मृतक लोगों के परिजनों को केंद्र और राज्य की ओर से कुल 4 लाख रुपए और घायलों को कुल एक लाख रुपए की सहायता प्रदान कर रहे हैं।
उन्होने कहा कि प्रशासन प्रथम दृष्टया ये मानकर चलता है कि धार्मिक आयोजन है और उनके सेवादार इस प्रकार के आयोजनों की अंदर से जिम्मेदारी स्वयं निभाएंगे। बड़े-बड़े आयोजन होते हैं और सावधानीवश वहां पर फोर्स प्रशासन तैनात करता है, लेकिन फोर्स आउटर रिंग में होती है। यदि आप अंदर देखेंगे तो उनके स्वयंसेवक या सेवादार ही व्यवस्था का संचालन करते हैं। इस तरह के आयोजनों में धार्मिक और आध्यात्मिक श्रद्धाभाव से लोग आते हैं तो वहां भीड़ अनुशासित ही रहती है। लेकिन जब वही कार्यक्रम निहित स्वार्थी तत्वों के हाथों का खिलौना बन जाता है तो अनुशासनहीनता का नजारा देखने को मिलता है। इसका शिकार अंततः वो निर्दोष व्यक्ति होता है जो धार्मिक श्रद्धा के साथ उस आयोजन में भागीदार होता है। उसे साजिश क बारे में तो पता नहीं होता है। साजिश करने वाले लोग साजिश करके चुपचाप खिसकने का प्रयास करते हैं। होना ये चाहिए था कि अगर हादसा हुआ था तो सेवादारों को वहां पर अपनी व्यवस्था को सुदृढ़ करना चाहिए था। और अगर सुदृढ़ नहीं कर पा रहे थे तो प्रशासन का सहयोग लेकर घायलों को अस्पताल में पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए थी। हादसे में लोग मर रहे और सेवादार वहां से भाग चुके थे। हम इसके निष्कर्ष पर आएंगे और इसके जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे।
प्रेस कांफ्रेंस से पहले योगी ने हाथरस पुलिस मुख्यालय में पूरे घटनाक्रम को लेकर समीक्षा बैठक की। इस दौरान स्थानीय अधिकारियों ने उन्हें घटना से जुड़ी एक-एक महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्हें पूरे क्षेत्र के विषय में विस्तार से बताया गया।
उन्होंने पूरी घटना को लेकर पुलिस की ओर से प्रस्तुतिकरण को भी देखा और उचित कार्रवाई के निर्देश दिए। इस दौरान योगी के साथ प्रदेश सरकार में मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी, असीम अरुण, संदीप सिंह, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह और डीजीपी प्रशांत कुमार समेत अन्य अधिकारीगण और स्थानीय विधायक शामिल रहे।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."