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November 1, 2024 4:01 pm

कविता
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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में “कन्या भ्रूण का मर्म”

3 Views– बल्लभ लखेश्री मैं अबला नहीं हूं मां , सबला बन के दिखलाऊंगी। मैं किसी से कम नहीं हूं मां, हर अवसर पर दिखलाऊंगी

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कविता ; माँ तेरा नाम   

3 Views–संदीप कुमार जैन  माँ तेरा नाम , जब कभी आता है मेरी जुबां पर , एहसास कराता है मुझे तेरे बेटे होने का ,

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हिन्दी रो बखाण ; कविता

3 Views– वल्लभ लखेश्री हिंदी मनडो मोवणी, आखर लागे अंग । पढ़ें जिनासूं जाण जो, कैडो आवे रंग । संस्कृत री लाडली, भारत भू री

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कविता : अखबार

1 Views– बल्लभ लखेश्री हर मुंडेर पर हर रोज, अखबार आता है, और वो कहता है । जुल्मों जख्म सितम का, पैगाम लाता हूं ।

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दास्तां ए दर्द…..

2 Views– वल्लभ लखेश्री  मैं दर्द से दर्द लिखता हूं बुलंद वायदों की बस्ती में, सियासत की साजिश लिखता हूंl इन कुर्सी के किस्सों पर,

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कविता महक बिखेरती…..??

0 Views⏺️ प्रमोद दीक्षित मलय कविता स्वप्न सँवारती, भाव भरे उर इत्र। जीवन पुस्तक में गढ़े, रुचिर सफलता चित्र।। कविता महक बिखेरती, कविता है जलजात।

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सुन फागुन के राग…..

0 Viewsप्रमोद दीक्षित मलय फागुन दस्तक दे रहा, बानी मीठी बोल। प्रेमसुधा भर लीजिए, हृदय झरोखा खोल।। सरिता तट तरुणी खड़ी, डगर बिछाये नैन। जोति

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कविता ; जीवन उपवन सा खिले

3 Views प्रमोद दीक्षित मलय जंगल करते हैं सदा, मानव पर उपकार। औषधियां-फल भेंटकर, दें जीवन संसार।। तरुवर माता-पिता सम, तरुवर मानव मीत। पोषण-सुख देते सदा,

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तुम जीवन हो ….

1 Viewsप्रमोद दीक्षित मलय  कविता की मधुरिम भाषा हो तुम। प्रेमिल हृदयों की आशा हो तुम। सौंदर्य शास्त्र का आधार सुखद, सुंदरता की परिभाषा हो

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भारत माता का वंदन ; कविता

0 Views• प्रमोद दीक्षित मलय भारत माता के वंदन में उपवन महक रहे। कलरव करतीं सरिताएँ, नभ पंछी चहक रहे।। सूरज ने माथे मल दी

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