ट्रक पर बना दिया 200 लोगों की क्षमता वाला सभी सुविधा उपलब्ध मैरिज हाल; वीडियो ? देखिए
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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में “कन्या भ्रूण का मर्म”
129 पाठकों ने अब तक पढा– बल्लभ लखेश्री मैं अबला नहीं हूं मां , सबला बन के दिखलाऊंगी। मैं किसी से कम नहीं हूं मां,
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कविता ; माँ तेरा नाम
114 पाठकों ने अब तक पढा–संदीप कुमार जैन माँ तेरा नाम , जब कभी आता है मेरी जुबां पर , एहसास कराता है मुझे तेरे
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हिन्दी रो बखाण ; कविता
55 पाठकों ने अब तक पढा– वल्लभ लखेश्री हिंदी मनडो मोवणी, आखर लागे अंग । पढ़ें जिनासूं जाण जो, कैडो आवे रंग । संस्कृत री
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कविता : अखबार
217 पाठकों ने अब तक पढा– बल्लभ लखेश्री हर मुंडेर पर हर रोज, अखबार आता है, और वो कहता है । जुल्मों जख्म सितम का,
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दास्तां ए दर्द…..
52 पाठकों ने अब तक पढा– वल्लभ लखेश्री मैं दर्द से दर्द लिखता हूं बुलंद वायदों की बस्ती में, सियासत की साजिश लिखता हूंl इन
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कविता महक बिखेरती…..??
53 पाठकों ने अब तक पढा⏺️ प्रमोद दीक्षित मलय कविता स्वप्न सँवारती, भाव भरे उर इत्र। जीवन पुस्तक में गढ़े, रुचिर सफलता चित्र।। कविता महक
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सुन फागुन के राग…..
55 पाठकों ने अब तक पढाप्रमोद दीक्षित मलय फागुन दस्तक दे रहा, बानी मीठी बोल। प्रेमसुधा भर लीजिए, हृदय झरोखा खोल।। सरिता तट तरुणी खड़ी,
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कविता ; जीवन उपवन सा खिले
48 पाठकों ने अब तक पढा प्रमोद दीक्षित मलय जंगल करते हैं सदा, मानव पर उपकार। औषधियां-फल भेंटकर, दें जीवन संसार।। तरुवर माता-पिता सम, तरुवर मानव
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तुम जीवन हो ….
49 पाठकों ने अब तक पढाप्रमोद दीक्षित मलय कविता की मधुरिम भाषा हो तुम। प्रेमिल हृदयों की आशा हो तुम। सौंदर्य शास्त्र का आधार सुखद,
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भारत माता का वंदन ; कविता
67 पाठकों ने अब तक पढा• प्रमोद दीक्षित मलय भारत माता के वंदन में उपवन महक रहे। कलरव करतीं सरिताएँ, नभ पंछी चहक रहे।। सूरज