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23 February 2025 6:21 pm

लेटेस्ट न्यूज़
कविता

कविता ; माँ तेरा नाम   

114 पाठकों ने अब तक पढा–संदीप कुमार जैन  माँ तेरा नाम , जब कभी आता है मेरी जुबां पर , एहसास कराता है मुझे तेरे

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हिन्दी रो बखाण ; कविता

55 पाठकों ने अब तक पढा– वल्लभ लखेश्री हिंदी मनडो मोवणी, आखर लागे अंग । पढ़ें जिनासूं जाण जो, कैडो आवे रंग । संस्कृत री

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कविता : अखबार

217 पाठकों ने अब तक पढा– बल्लभ लखेश्री हर मुंडेर पर हर रोज, अखबार आता है, और वो कहता है । जुल्मों जख्म सितम का,

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दास्तां ए दर्द…..

52 पाठकों ने अब तक पढा– वल्लभ लखेश्री  मैं दर्द से दर्द लिखता हूं बुलंद वायदों की बस्ती में, सियासत की साजिश लिखता हूंl इन

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कविता महक बिखेरती…..??

53 पाठकों ने अब तक पढा⏺️ प्रमोद दीक्षित मलय कविता स्वप्न सँवारती, भाव भरे उर इत्र। जीवन पुस्तक में गढ़े, रुचिर सफलता चित्र।। कविता महक

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सुन फागुन के राग…..

55 पाठकों ने अब तक पढाप्रमोद दीक्षित मलय फागुन दस्तक दे रहा, बानी मीठी बोल। प्रेमसुधा भर लीजिए, हृदय झरोखा खोल।। सरिता तट तरुणी खड़ी,

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कविता ; जीवन उपवन सा खिले

48 पाठकों ने अब तक पढा प्रमोद दीक्षित मलय जंगल करते हैं सदा, मानव पर उपकार। औषधियां-फल भेंटकर, दें जीवन संसार।। तरुवर माता-पिता सम, तरुवर मानव

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तुम जीवन हो ….

49 पाठकों ने अब तक पढाप्रमोद दीक्षित मलय  कविता की मधुरिम भाषा हो तुम। प्रेमिल हृदयों की आशा हो तुम। सौंदर्य शास्त्र का आधार सुखद,

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भारत माता का वंदन ; कविता

67 पाठकों ने अब तक पढा• प्रमोद दीक्षित मलय भारत माता के वंदन में उपवन महक रहे। कलरव करतीं सरिताएँ, नभ पंछी चहक रहे।। सूरज

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