Explore

Search
Close this search box.

Search

November 26, 2024 3:19 am

लेटेस्ट न्यूज़

कविता महक बिखेरती…..??

13 पाठकों ने अब तक पढा

⏺️ प्रमोद दीक्षित मलय

कविता स्वप्न सँवारती, भाव भरे उर इत्र।
जीवन पुस्तक में गढ़े, रुचिर सफलता चित्र।।

कविता महक बिखेरती, कविता है जलजात।
बिन कविता के जग लगे, श्वास रहित ज्यों गात।।

गीत सोरठा मनहरण, दोहा रोला छंद।
चौपाई हरिगीतिका, श्रोता करें पसंद।।

हिम सा शीतल शांत है, कभी धधकती आग।।
विजयशालिनी अस्त्र है, कविता मन का राग।।

कविता जो जन रच रहे, रहते सदा प्रसन्न।
दुख पीड़ा संताप से, कभी न होते खिन्न।

कलुष कुभावों से बचा, करती है कल्याण।
कविता मानस में भरे, प्रमुदित प्रेरक प्राण।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़