हिमांशु नौरियाल की रिपोर्ट
उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में फंसे 40 मजदूरों को सुरक्षित निकालने की कोशिशें जारी हैं। बचाव टीमें अब ‘ट्रेंचलेस’ तकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं। मलबे के बीच से हल्के स्टील पाइप डालकर रास्ता बनाया जा रहा है। इन्हीं से रेंगते हुए मजदूर बाहर निकल सकते हैं। चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल यमुनोत्री नैशनल हाइवे पर सिल्क्यारा और डंडालगांव (पोलगांव) के बीच बनाई जा रही थी। अधिकारियों के अनुसार, मजदूर सुरक्षित हैं। उनसे वॉकी-टॉकी के जरिए बात हो रही है। पानी सप्लाई करने वाले एक पाइप के जरिए उन्हें खाना और ऑक्सीजन दी जा रही है। शुरू में दो दिन एक्सकेवेटर मशीनों से मलबा हटाने की कोशिश की गई। इसे ‘शॉटक्रीट मेथड’ कहते हैं। इसमें मलबा हटाते ही बड़े प्रेशर से कंक्रीट फेंकी जाती है ताकि और मलबा न गिरे। हालांकि, इससे मनचाही सफलता नहीं मिली। मलबा लगातार गिरता रहा और प्लान कैंसिल करना पड़ा। अब ‘ट्रेंचलेस’ तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है, जानिए यह क्या है।
ट्रेंचलेस’ तकनीक की मदद से 900mm चौड़े माइल्ड स्टील (MS) के पाइप यूज कर एक रास्ता बनाया जा रहा है। एक बरमा मशीन, जिसमें एक पेचदार ब्लेड होता है, जो एक घूमने वाले शाफ्ट से जुड़ा होता है, पहले से ही सुरंग के अंदर है।
मंगलवार शाम को बरमा ड्रिलिंग मशीन के प्लेटफार्म का निर्माण और प्राइमिंग का काम पूरा किया जा रहा था और फ्रेम पर अन्य उपकरण असेंबल किए जा रहे थे।
पूरे ऑपरेशन के पीछे के मूल सिद्धांत में एक स्पाइरल ब्लेड का घूमना और मैटीरियल को ड्रिल किए जा रहे छेद से दूर धकेलना शामिल है।
एक बार ड्रिल करने के बाद, MS पाइपों को मलबे के ढेर के माध्यम से धकेला जा सकता है, जिससे अंदर के लोगों के लिए रेंगने के लिए पर्याप्त चौड़ा रास्ता बन जाता है।
कुल मिलाकर, 900 मिमी के आठ पाइप और 800 मिमी के 11 पाइप साइट पर हैं।
Author: samachar
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