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26 December 2024 11:00 pm

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शान, आन, मान, सबकुछ धरा रह गया और मुसाफिर हमेशा के लिए चला गया, सहाराश्री की खास बातें

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मोहन द्विवेदी की खास रिपोर्ट

लखनऊ: बिहार के एक मध्‍यम वर्गीय परिवार में जन्‍मे सुब्रत रॉय सहारा देखते ही देखते बिजनेस टायकून बन गए थे। उनका पूरा जीवन शानो-शौकत से भरा रहा। लखनऊ में उन्होंने अपनी एक अलग दुनिया बसा ली थी जिसे सहारा सिटी के नाम से जाना जाता है। यहां हेलीपैड, क्रिकेट स्टेडियम, एक छोटा खेल परिसर, 11 किमी में फैली झील, मिनी-गोल्फ कोर्स जैसे इंतजाम भी हैं। इसके अलावा 3,500 लोगों के बैठने की जगह वाला एक अत्याधुनिक ऑडिटोरियम, 124 सीटों वाला मूवी थियेटर, एक एम्बुलेंस के साथ पांच बिस्तरों वाला स्वास्थ्य केंद्र, एक फायर स्टेशन और एक पेट्रोल पंप भी यहां है।

75 साल के सुब्रत रॉय सहारा का मुंबई के कोकिला बेन हॉस्पिटल में मंगलवार रात निधन हो गया। उनके पार्थिव शरीर को उनके लखनऊ स्थित आवास सहारा सिटी लाया जा रहा है। एक समय वह भी आया था जब सुब्रत रॉय लखनऊ में बड़े-बड़े भव्य कार्यक्रमों की मेजबानी करते किया थे। उन्‍हें यहां अक्‍सर पेज थ्री पार्टियों में बड़े क्रिकेटरों और बॉलीवुड सितारों के साथ देखा जाता था। इतना ही नहीं, विदेशी और भारतीय नेताओं से भी उनके कनेक्‍शन थे। मीडिया से लेकर रियल एस्टेट तक के बिजनेस में उनकी भागीदारी थी। उनकी कंपनी का हेड ऑफिस लखनऊ में ही है। उनके पास न्यूयॉर्क और लंदन में होटल भी थे। करीब 10 सालों तक वह भारतीय क्रिकेट टीम के स्‍पांसर रहे। उनके पास सहारा की फॉर्मूला वन रेसिंग टीम भी थी।

1990 में लखनऊ आ गए

सुब्रत रॉय सहारा का जन्म 10 जून 1948 को बिहार के अररिया में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता के होली चाइल्ड स्कूल से पूरी की। सुब्रत रॉय सहारा ने सरकारी तकनीकी संस्थान, गोरखपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। सुब्रत रॉय 1976 में सहारा फाइनेंस से जुड़े और बाद में उन्‍होंने कंपनी की कमान अपने हाथों में ले ली। 1990 के दशक में वह लखनऊ चले आए और यहां कंपनी का हेडक्‍वार्टर बनाया। इसी साल, सुब्रत रॉय ने 217 आत्मनिर्भर टाउनशिप को कवर करते हुए सहारा सिटी परियोजना शुरू की।

23 साल पहले लॉन्‍च किया सहारा टीवी

कंपनी ने धीरे-धीरे वित्तीय सेवाओं, रियल एस्टेट, मीडिया, मनोरंजन, पर्यटन, स्वास्थ्य देखभाल और हॉस्पिटैलिटी तक अपना विस्तार कर लिया। 2000 में सुब्रत रॉय ने सहारा टीवी लॉन्च किया, जिसे बाद में सहारा वन नाम दिया गया। सहारा इंडिया में 9 करोड़ से अधिक निवेशक और जमाकर्ता हैं जो भारत में लगभग 13 प्रतिशत परिवारों का प्रतिनिधित्व करते हैं। 2019 में सुब्रत रॉय सहारा ने अन्य उन्नत संबद्ध सेवाओं के साथ अपना खुद का इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) ब्रांड ‘सहारा इवोल्स’ लॉन्च किया। सुब्रत रॉय सहारा की मां का नाम छवि रॉय और पिता का नाम सुधीर चंद्र रॉय था। उनका विवाह स्वप्ना रॉय से हुआ। सुब्रत रॉय सहारा के दो बेटे हैं – सुशांतो रॉय और सीमांतो रॉय।

स्कूटर पर बेचे बिस्किट, पैरा बैंकिंग शुरू की

1978 में सुब्रत रॉय ने गोरखपुर में अपने एक दोस्त के साथ मिलकर स्कूटर पर बिस्किट और नमकीन बेचने का काम शुरू किया। एक कमरे, दो कुर्सी और एक स्कूटर जैसे रिसोर्स के साथ शुरू हुआ बिजनेस कुछ वर्षों में दो लाख करोड़ की वर्थ तक पहुंचा। सुब्रत रॉय ने पैरा बैंकिंग की शुरुआत की। उन्होंने दोस्त के साथ मिलकर चिट फंड कंपनी शुरू की। 

उनका टारगेट गरीब और मध्यम वर्ग के लोग थे। एक वक्त तो यहां तक कहा जाता था कि मात्र 100 रुपये कमाने वाले लोग भी उनके पास 20 रुपये जमा करवाते थे। देश की गलियों-गलियों तक उनकी यह स्कीम मशहूर हो गई।

लाखों की संख्या में लोग सहारा के साथ जुड़ते चले गए। साल 1980 में सरकार ने इस स्कीम पर रोक लगा दी गई थी। इस दौरान सहारा ग्रुप ने रियल इस्टेट, एफएमसीजी, क्लोदिंग और एयरलाइंस जैसे कई सेक्टरों में निवेश किया। निवेशकों का पैसा न लौटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जेल भी भेजा था।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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