आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, उत्तर प्रदेश की राजनीति में हिंदुत्व का मुद्दा गरमाने लगा है। किसी न किसी बहाने लगातार हिंदुत्व के मुद्दे को भड़काया जा रहा है। स्वामी प्रसाद मौर्य इसमें सबसे आगे दिखाई दे रहे हैं। पहले रामचरितमानस पर की गई टिप्पणी, फिर हिंदू साधु- संतों पर हमले और अब दीपावली के मौके पर माता लक्ष्मी के खिलाफ की गई टिप्पणी को इसी नजरिए से देखा जा रहा है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने लक्ष्मी माता के चार हाथों पर जिस प्रकार से तंज कसा है, उसको लेकर उनकी पार्टी में ही कई लोग सही नहीं मान रहे हैं। हालांकि, खुलकर कोई सामने नहीं आ रहा है। स्वामी प्रसाद मौर्य की यह टिप्पणी धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाली मानी जा रही है। इसका फायदा समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को मिलता दिख नहीं रहा है। ऐसे में विपक्षी दलों का हमला समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर सीधा शुरू हो गया है।
अखिलेश यादव को हिंदुत्व की जमीन पर पटखनी देने की कोशिश की जा रही है। वहीं, समाजवादी पार्टी का एक खेमा मान कर चल रहा है कि स्वामी प्रसाद मोदी की टिप्पणी सपा के कोर वोट बैंक को एकजुट करने में सहायक हो सकती है। माय (मुस्लिम + यादव) समीकरण को मजबूत करने में यह कारगर हो सकती है। दरअसल, यादव समाज अखिलेश के साथ हर हाल में एकजुट दिखता है। वहीं, मुस्लिम समाज को साधने की कोशिश हो रही है। हालांकि, अखिलेश यादव के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समीकरण में यह टिप्पणी फिट नहीं बैठती दिख रही है। पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक में से अल्पसंख्यक को अगर हटा दें तो पिछड़ा और दलित समाज में भी कई जातियां ऐसी हैं जो हिंदू देवी- देवताओं को लेकर कट्टर रुख अपनाती हैं। ऐसे में स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी अखिलेश यादव के लिए भारी पड़ सकती है।
भारतीय जनता पार्टी ने इस पूरे मामले को एक अलग ही रूप देना शुरू कर दिया है। पार्टी का कहना है कि देश और दुनिया ने दीपावली के मौके पर अयोध्या का भव्य नजारा देखा। दीपोत्सव 2023 में दीयों के जलने का रिकॉर्ड बनाया तो कुछ लोगों के दिल जलने लाजिमी थे। समाजवादी पार्टी को यह दृश्य रास नहीं आया। स्वामी प्रसाद मौर्य पर निशाना साधते हुए पार्टी नेताओं का कहना है कि सपा के राष्ट्रीय महासचिव ने हिंदुओं के देवी- देवताओं पर लगातार विवादित बयान दिए हैं। इसके बावजूद उन पर कार्रवाई न होना जताता है कि उन्हें पार्टी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का पूरा समर्थन प्राप्त है। स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों के जरिए भाजपा ने अखिलेश को निशाने पर ले लिया है।
कांग्रेस भी हमला करने में पीछे नहीं है। पार्टी प्रवक्ता अंशु अवस्थी का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के स्लीपर सेल अन्य दलों में घुसकर बैठे हुए हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि वह भाजपा के एजेंडे को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। धार्मिक मामलों को भड़काकर वह एक प्रकार से भाजपा की सहायता कर रहे हैं। शोषितों, वंचितों, दलित, पिछड़ों और जातीय जनगणना की जो लड़ाई कांग्रेस पार्टी लड़ रही है, उसे स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे नेता कमजोर करने में जुटे हैं। धार्मिक मामलों को भड़का कर वे सामाजिक लड़ाई को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। ये नेता भाजपा के लिए जमीन तैयार करने में जुटे हुए हैं।
कांग्रेस ने साफ तौर पर समाजवादी पार्टी नेता को भाजपा का एजेंट बता दिया है। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के जरिए राज्यों के विधानसभा से इतर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा एक पाले में आती दिख रही है। लेकिन, कांग्रेस नेताओं की ओर से सपा में भाजपा के स्लीपर सेल के लोगों के मौजूद होने का दावा किया जा रहा है। कांग्रेस की रणनीति को नुकसान पहुंचाने जैसे बयान दिए जा रहे हैं। इनका जवाब देना और गठबंधन को जमीन पर उतारना कितना संभव होगा, देखने वाली बात होगी। सपा नेताओं का कहना है कि इस प्रकार के बयानों से विवाद और गहरा सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हिंदुत्व की पिच पर कांग्रेस भी बैटिंग करना चाहती है।
कांग्रेस पार्टी जातीय जनगणना और अन्य मसलों को उठाकर एक अलग ही राजनीतिक माहौल बनाने की कोशिश में है। वहीं, स्वामी प्रसाद मौर्य पर निशाना साधकर एक तरह से अखिलेश यादव को चुनौती देने की कोशिश कर रही है। अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ उठने वाली आवाजों पर पिछले दिनों में कड़ी कार्रवाई की थी। अपने दो नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
अब कांग्रेस उन्हें भाजपा का एजेंट बता रही है, ऐसे में पार्टी महासचिव पर की गई टिप्पणी को सपा अध्यक्ष किस रूप में लेते हैं, यह देखने वाली बात होगी।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."