ठाकुर धर्म सिंह ब्रजवासी की रिपोर्ट
आगरा: कतर में मृत्युदंड की सजा पाए 8 भारतीय नौसेना अधिकारियों में एक संजीव गुप्ता आगरा के रहने वाले हैं। इस खबर के बाद पूरा परिवार स्तब्ध है। बस दिन-रात भगवान से यही प्रार्थना कर रहे हैं कि कुछ चमत्कार हो जाए और परिवार का बेटा किसी तरह इस मामले से छूटकर अपने घर आ जाए। कमांडर संजीव गुप्ता की बड़ी बेटी वकील हैं और अपनी मां और छोटी बहन के साथ पिता के लिए इस कोशिश में भागदौड़ कर रही है कि कहीं से मदद मिले जिससे पिता घर लौट सकें।
करीब एक साल से कैद आठ भारतीयों को जासूसी के आरोप में मृत्युदंड की सजा सुनाई है। ये सभी भारतीय नौसेना के काबिल अधिकारी थे। यह स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर कतर की अल दहरा कंपनी में काम करते थे।इन आठ सैनिकों में कमांडर संजीव गुप्ता भी एक हैं। संजीव गुप्ता के 90 वर्षीय पिता राजपाल गुप्ता आगरा के गांधी नगर में रहते हैं। वह रेलवे से रिटायर अधिकारी हैं। पहले वे परिवार के साथ रेलवे कॉलोनी में रहते थे। 1992 से वह गांधी नगर में रहते आ गए। राजपाल गुप्ता के चार बेटे हैं। गुप्ता के मकान पर कई महीने से ताला लगा है। वे दूसरे बेटे के साथ दयालबाग में रहने लगे हैं। कभी-कभी वे घर देखने आते हैं। कमांडर संजीव गुप्ता के भाई दयालबाग और कमलानगर में रहते हैं। एक भाई वर्तमान में दिल्ली में हैं।
कमांडर संजीव गुप्ता हर त्योहार पर घर आते थे लेकिन, इस बार उनके बारे में ऐसी खबर आई जिसे सुनकर परिवार के लोग बिलख पड़े। इस दीवाली से पहले कतर की एक अदालत से उनके मृत्युदंड की खबर आ गई। इससे पूरा परिवार स्तब्ध है। बस दिन-रात भगवान से यही प्रार्थना कर रहे हैं कि कुछ चमत्कार हो जाए। मृत्युदंड की सजा जानने के बाद संजीव गुप्ता के पिता और मां बुरी तरह विचलित हैं। उनके परिवार का कहना है कि हमें अपनी सरकार पर पूरा भरोसा है। सरकार भी पूरा प्रयास कर रही है।
संजीव गुप्ता के भाई के सरला बाग स्थित घर में उनके परिवार के कुछ सदस्य मिले। उनका कहना था कि सरकार उनकी पूरी मदद कर रही है। लगातार सरकार अधिकारियों के संपर्क में है। अंतरराष्ट्रीय मामला है, इसलिए वे इस पर कुछ भी नहीं बोलेंगे।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."