इरफ़ान अली लारी की रिपोर्ट
कहते हैं भाई से बड़ा मित्र और भाई से बड़ा दुश्मन कोई नहीं है। देवरिया जिले के फतेहपुर लेहड़ा टोला में हुए नरसंहार की जड़ में दो भाइयों का आपसी मनमुटाव ही है। इसका फायदा भू माफिया और दबंग प्रेमचंद ने उठाया। एक भाई को अपने पाले में करके प्रेमचंद उसकी पूरी प्रॉपर्टी अपने नाम बैनामा कर ली। फिर उसे मोहरा बनाकर दूसरे भाई की प्रॉपर्टी हथियाने का ताना-बाना बुनने लगा। इस खेल में पुलिस और राजस्व कर्मियों ने भी प्रेमचंद का साथ दिया। नतीजा यह हुआ कि सत्य प्रकाश दुबे का पूरा परिवार समाप्त हो गया और प्रेमचंद यादव को भी जान से हाथ धोना।
रूद्रपुर कोतवाली क्षेत्र के फतेहपुर गांव निवासी सत्य प्रकाश दुबे तीन भाई थे। बड़े भाई ओमप्रकाश दुबे की काफी पहले ही मौत हो चुकी है। छोटे भाई ज्ञान प्रकाश दुबे उर्फ साधू ने शादी ही नहीं की थी। साधू पहले अपने भाई सत्य प्रकाश दुबे के साथ ही रहते थे। बाद में दोनों भाइयों में किसी कारण से मनमुटाव हो गया। यह बात जब प्रेम यादव को मालूम हुई तो उसने साधु को अपने घर बुलाया और साथ ही रखने लगा। इस दौरान प्रेमचंद यादव साधु को अपने भाई के खिलाफ खूब भड़कता रहा और फिर उनकी 10 बीघा कीमती जमीन बिना पैसा दिए अपने नाम बैनामा करा लिया।
इस बात की जानकारी जब सत्य प्रकाश को हुई तो उन्होंने तहसील में आपत्ति दाखिल की मगर प्रेमचंद यादव ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर जमीन का खारिज दाखिल भी करा लिया। बताया जाता है कि इसका मुकदमा अभी भी दीवानी न्यायालय में चल रहा है। दोनों भाइयों के खेत में साइड का बंटवारा नहीं हुआ था। इसलिए प्रेमचंद साधु की जमीन के बहाने प्रेमचंद की जमीन कब्जा करने की साजिश करने लगा था। 2 अक्टूबर को प्रेमचंद मुकदमा वापस लेने के लिए सत्य प्रकाश दुबे के घर दबाव बनाने गया था। जहां पहले प्रेमचंद की हत्या हुई, उसके प्रतिरोध में उमड़ी भीड़ में सत्य प्रकाश समेत 5 लोगों की हत्या कर दी।
Author: samachar
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