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November 23, 2024 6:53 am

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हवा, जमीन, समंदर से एक साथ अचानक हमले ने इजरायल को स्तब्ध कर दिया और दुनिया चौंक उठी

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मोहन द्विवेदी की खास रिपोर्ट 

यह एक देश ने दूसरे देश के खिलाफ युद्ध नहीं छेड़ा है। फिलस्तीन की गाजा पट्टी के अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन ‘हमास’ ने संप्रभु, स्वायत्त देश इजरायल पर अचानक आतंकी हमला किया है। हमास इजरायल के प्रति नफरत और दुश्मनी की हद तक सोचता है, लिहाजा उसके अस्तित्व को ही मान्यता नहीं देता। यह युद्ध कहां तक खिंचेगा, अभी आकलन करना मुश्किल है, लेकिन इजरायल ने इस हमले को ‘युद्ध’ करार देते हुए पलटवार किया है। नतीजतन गाजा पट्टी में विध्वंस जारी है। हमास इजरायल पर हमला कर बहुत कुछ तबाह कर चुका है।

हैवानियत की हद तक उसके लड़ाके चले गए हैं। हमास ने जिन्हें बंधक बना कर गाजा की सुरंगों में रखा है, वह उन्हें मानव-ढाल के तौर पर इस्तेमाल करेगा। दोनों पक्षों के 1000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। घायलों की संख्या 4000 से ज्यादा बताई जा रही है। इजरायल ने हवाई हमले कर गाजा पट्टी में हमास के 426 ठिकानों को ‘मलबा’ बना दिया है।

इजरायल के कुछ सैन्य अधिकारी 800 से ज्यादा ठिकानों पर हमले का दावा कर रहे हैं। उनमें रिहायशी इलाके, अस्पताल, स्कूल, बाजार भी शामिल हैं। गाजा करीब 23 लाख की आबादी वाला सबसे घना इलाका है, लिहाजा नुकसान और मौतें भी उसी अनुपात में होंगी। आखिर इजरायल वहां कितने हमले करेगा, क्योंकि गाजा के बाद अन्य देशों की सीमाएं शुरू होती हैं।

बहरहाल इस अचानक, अप्रत्याशित युद्ध ने दुनिया के प्रमुख देशों को दो हिस्से में विभाजित कर दिया है। हालांकि हमास एक आतंकी संगठन है, जिसकी ताकत 50,000 से अधिक लड़ाके हैं, लेकिन ईरान, लेबनॉन, कुवैत, कतर, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, ओमान, बांग्लादेश, पाकिस्तान आदि इस्लामी देश हमास का समर्थन कर रहे हैं।

वे उसकी फंडिंग भी करते हैं। दूसरी तरफ भारत समेत अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, यूरोपीय देशों ने हमास के इजरायल पर हमले को ‘9/11 जैसा आतंकी हमला’ करार दिया है और उसकी निंदा भी की है। भारत इजरायल के साथ खड़ा है, लेकिन उसने फिलिस्तीन के खिलाफ एक भी शब्द नहीं बोला है। भारत के 18,000 से अधिक छात्र और कामगार, पर्यटक आदि इजरायल में हैं। फिलहाल सभी सुरक्षित बताए जा रहे हैं। उनकी सकुशल वापसी के प्रयास शुरू हो चुके हैं। खुद प्रधानमंत्री दफ्तर इस अभियान की निगरानी कर रहा है।

दरअसल अमरीका ईरान, सऊदी अरब और इजरायल की ‘दोस्ती’ कराने की मध्यस्थता कर मध्य-पूर्व की परिभाषा ही बदल देना चाहता था। उसका हमास, हिजबुल्लाह सरीखे आतंकी संगठन और कुछ अन्य देशों ने जमकर विरोध किया। अरब की दुनिया और यहूदियों के देश इजरायल के बीच एक शाश्वत वैमनस्य रहा है। विरोध और जंगों का लंबा अतीत है। दरअसल इजरायल में शनिवार को छुट्टी थी और अधिकतर लोग ‘यहूदी उत्सव’ के मूड में थे। सैनिक भी छुट्टी लेकर गए थे। ऐसे में हमास के लड़ाकों ने घुसपैठ की और इजरायल पर 5000 रॉकेट भी दागे गए। हवा, जमीन, समंदर से एक साथ अचानक हमले ने इजरायल को स्तब्ध कर दिया और दुनिया चौंक उठी।

यदि बीते डेढ़ साल से गाजा पट्टी में खामोशी थी और हमास भी अपेक्षाकृत शांत था, तो इजरायल की विख्यात खुफिया एजेंसी ‘मोसाद’ और परम मित्र अमरीका की ‘सीआईए’ और सेटेलाइट प्रणालियों को आतंकी हमले की तैयारियों की भनक तक क्यों नहीं लगी? यह इजरायल की प्रतिष्ठा पर बहुत बड़ा सवाल और धब्बा है।

यह बहुत बड़ी नाकामी भी है, जिस पर मंथन किया जा रहा होगा! सवाल यह भी है कि हमास के पास मिसाइल, रॉकेट, ड्रोन, बम, टैंक आदि सैन्य हथियार इतनी संख्या में कहां से आए, जिनके सहारे एक जंग लड़ी जा सके?

कार्यकारी संपादक, समाचार दर्पण 24
Author: कार्यकारी संपादक, समाचार दर्पण 24

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