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November 1, 2024 8:54 pm

‘हिंदू’ और ‘हिंदी’ से नफ़रत करते हुए खोली ‘हिंदुस्तान’ में मुहब्बत की दुकान…राजनीति के बहाने हंगामे की बुनियाद 

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अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट 

विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. की सबसे बड़ी पार्टी और उसके नेता राहुल गांधी ‘मोहब्बत की दुकान’ की बात करते हैं। लेकिन गठबंधन के ही नेता कभी सनातन (Sanatan Dharm controversy) के नाम पर हिंदू का विरोध कर रहे तो कभी सियासत के नाम पर हिंदी का विरोध। आखिर ये कैसी ‘मोहब्बत की दुकान’ है? 

लोकतंत्र में विरोध और अपनी बात रखने का सबको हक है लेकिन विरोध के नाम पर नफरत फैलाने का हक तो बिल्कुल नहीं है। किसी धर्म को जड़ से मिटाने का आह्वान (call to eradicate Sanatan Dharm), उसकी तुलना एचआईवी वायरस और खतरनाक बीमारियों से करना (Comparing Sanatan with dengue, HIV) आखिर नफरत नहीं तो और क्या है? 

सरकारी कॉलेज में स्टूडेंट से ‘सनातन का विरोध’ करने के लिए कहना क्या मोहब्बत है? क्या I.N.D.I.A. गठबंधन के नेता ऐसे ही शब्द किसी भी अन्य धर्म, मत या संप्रदाय के लिए इस्तेमाल करने का दुस्साहस दिखा सकते हैं? हद तो ये है कि हिंदी दिवस (Hindi Diwas) पर राजभाषा के साथ सभी भारतीय भाषाओं को सशक्त करने के आह्वान में भी सनातन धर्म के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी करने वालों को ‘हिंदी थोपना’ नजर आ रहा। 

हो सकता है कि हिंदू और हिंदी के विरोध की सियासत कुछ पार्टियों को रास आए लेकिन I.N.D.I.A. को इससे नुकसान ही होगा। बीजेपी भी इस मुद्दे पर आक्रामक है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को मध्य प्रदेश की रैली में साफ कर दिया कि लोकसभा चुनाव में ‘सनातन विवाद’ एक बड़ा मुद्दा रहने वाला है।

अब हिंदी दिवस पर गृह मंत्री के संदेश से उदयनिधि को दिक्कत

सनातन को मिटाने की बात करने वाले उदयनिधि स्टालिन अब वह हिंदी दिवस पर गृह मंत्री अमित शाह के ‘हिंदी प्रेम’ पर सवाल उठा रहे हैं। 14 सितंबर 1949 को संविधान में हिंदी को संघ यानी केंद्र सरकार की राजभाषा घोषित किया गया था। तभी से 14 सितंबर को हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 

इस बार हिंदी दिवस पर गृह मंत्री अमित शाह ने एक संदेश जारी कर कहा कि हिंदी ने न कभी दूसरी भारतीय भाषाओं के साथ प्रतिस्पर्धा की है और न ही करेगी। कोई देश तभी मजबूत होकर उभर सकता है जब उसकी सभी भाषाएं मजबूत हों।

अमित शाह ने एक्स पर पोस्ट किया,’ हिंदी दिवस के अवसर पर सभी को शुभकामनाएं देता हूं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की भाषाओं की विविधता को एकता के सूत्र में पिरोने का नाम ‘हिंदी’ है। स्वतंत्रता आन्दोलन से लेकर आजतक देश को एकसूत्र में बांधने में हिंदी की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। आइए, ‘हिंदी दिवस’ के अवसर पर राजभाषा हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाओं को सशक्त करने का संकल्प लें।’

हिंदी दिवस के मौके पर शाह के संदेश और ट्वीट में आखिर क्या आपत्तिजनक है? हिंदी समेत सभी भारतीय भाषाओं को मजबूत करने की जरूरत पर जोर देने में आखिर क्या गलत है? लेकिन उदयनिधि स्टालिन को इससे भी दिक्कत है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करके पूछा कि हिंदी तमिलनाडु और केरल को कैसे एक सूत्र में पिरोएगी? तमिलनाडु में तमिल है, केरल में मलयालम है। स्टालिन ने अपने पोस्ट के साथ स्टॉप हिंदी इम्पोजिशन यानी हिंदी थोपना बंद करो का हैशटैग भी लगाया। वैसे तो ‘हिंदी विरोध’ डीएमके समेत दक्षिण की तमाम दूसरी पार्टियों की राजनीति का प्रमुख औजार रहा है। लेकिन कम से कम हिंदी दिवस पर तो विरोध से बच सकते थे, वह भी तब जब हिंदी के साथ-साथ बाकी भारतीय भाषाओं के विकास की बात कही गई हो।

क्या किसी अन्य धर्म को लेकर इस तरह का दुस्साहस हो सकता है?

इससे पहले उदयनिधि स्टालिन ने हाल ही में सनातन धर्म को जड़ से मिटाने का आह्वान किया। डीएमके चीफ और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि ने एक कार्यक्रम में सनातन की तुलना बीमारियों से करते हुए कहा ‘हमें मच्छर, डेंगू बुखार, मलेरिया, कोरोना वायरस इत्यादि का विरोध नहीं करना चाहिए। हमें इसका उन्मूलन करना चाहिए। सनातन धर्म भी ऐसा ही है। हमें इसका विरोध नहीं करना है, बल्कि इसका उन्मूलन करना है।’ बयान पर विवाद बढ़ा लेकिन उदयनिधि उस पर कायम रहे। इस बयान ने कांग्रेस समेत I.N.D.I.A. के बाकी दूसरे दलों को भी असहज किया। कांग्रेस के लिए तब और असहज स्थिति पैदा हो गई जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खरगे ने भी स्टालिन के बयान का समर्थन कर दिया। उन्होंने कहा, ‘कोई भी धर्म जो समानता को बढ़ावा नहीं देता है, जो मानव गरिमा सुनिश्चित नहीं करता है, वह एक बीमारी की तरह ही है।’ 

स्टालिन के बयान का विवाद अभी थमता तबतक डीएमके के ही एक दूसरे सीनियर लीडर ए. राजा ने सनातन की तुलना एचआईवी वायरस और कोढ़ से कर दी। बाद में उन्होंने सनातन धर्म को न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के लिए खतरा बता दिया। समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य भी जब तब सनातन के खिलाफ टिप्पणियां करते ही रहते हैं। 

सनातन के खिलाफ जहर बुझे बयानों के बचाव में बड़ी चालाकी से ‘जातिवाद, भेदभाव’ जैसी बुराइयों के विरोध का जुमला उछाला जाता है। अगर नीयत बुराइयों के ही विरोध की होती तो सुधार की मांग होती न कि जड़ से मिटाने की। क्या सनातन के अलावा बाकी धर्मों में कोई दिक्कत नहीं है? क्या इसी तरह की शब्दावलियों के इस्तेमाल का दुस्साहस दूसरे धर्मों को लेकर भी हो सकता है?

सनातन के विरोध’ में बोलो, सरकारी कॉलेज तक में स्टूडेंट को फरमान!

ये सनातन का विरोध नहीं, बल्कि असल में सनातन से नफरत है। नफरत का स्तर ये है कि सरकारी कॉलेज तक में स्टूडेंट से ‘सनातन के विरोध’ में कार्यक्रम में शामिल होने तक का फरमान दे दिया जाता है। तमिलनाडु के तिरुवरुर में एक गवर्नमेंट कॉलेज के प्रिंसिपल ने बाकायदे सर्कुलर जारी करके स्टूडेंट को ‘सनातन धर्म के खिलाफ’ आवाज उठाने की अपील की थी। पूर्व सीएम सी. एन. अन्नादुरई की जयंती पर 15 सितंबर को कॉलेज में डीएमके विधायक की तरफ से ‘सनातन धर्म के विरोध’ का कार्यक्रम रखा गया था। 

12 सितंबर को प्रिंसिपल ने सर्कुलर जारी कर स्टूडेंट्स को इसमें शामिल होने और ‘सनातन के विरोध’ में अपनी बात रखने को कहा गया। सर्कुलर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इसका विरोध होने लगा। इसके बाद प्रिंसिपल ने सर्कुलर को वापस लेते हुए एक दूसरा सर्कुलर जारी किया। इसमें स्टूडेंट से ‘सनातन के विरोध’ में विचार रखने के बजाय सिर्फ ‘सनातन धर्म’ पर विचार रखने को कहा। साथ में ये भी कहा गया कि ये एक निजी कार्यक्रम है, स्टूडेंट चाहे तो शिरकत करें, चाहें तो नहीं। ये बानगी है कि ‘सनातन विरोध’ किस स्तर पर हो रहा है जो सरकारी कॉलेज तक को इसका जरिया बनाया जा रहा है।

कांग्रेस की दुविधा!

‘सनातन धर्म’ के खिलाफ इस तरह की टिप्पणियों का खामियाजा I.N.D.I.A. गठबंधन को उठाना पड़ सकता है। कुछ ही महीनों में हिंदी पट्टी के तीन अहम राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं। एमपी में कमलनाथ बीजेपी के हिंदुत्व की काट के लिए सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चलने की कोशिश कर रहे हैं। 

खुद को हनुमान भक्त बताने वाले पूर्व मुख्यमंत्री ने हाल ही में धीरेंद्र शास्त्री और कथावाचक प्रदीप मिश्रा के कार्यक्रम भी करवाए। उन्हें लाने के लिए हेलिकॉप्टर का इंतजाम किया, खूब स्वागत-सत्कार किया। लेकिन I.N.D.I.A. गठबंधन के नेताओं की सनातन के खिलाफ की जा रहीं टिप्पणियां कमलनाथ जैसे कांग्रेस नेताओं के प्रयासों में पलीता लगा सकते हैं।

सनातन पर हमले से राहुल के ‘हिंदुत्व बनाम हिंदुइज्म’ का क्या होगा?

इतना ही नहीं, सनातन के खिलाफ की जा रहीं टिप्पणियां राहुल गांधी की तरफ से शुरू की गई हिंदुत्व बनाम हिंदूइज्म की बहस को भी कुंद कर सकती है। राहुल पिछले काफी समय से हिंदुत्व और हिंदूइज्म यानी हिंदुत्व और हिंदू धर्म को अलग-अलग बताने की कोशिश करते दिखते हैं। वह ये बताने की कोशिश करते हैं कि बीजेपी का जो हिंदुत्व है, वह हिंदू धर्म के हिसाब से नहीं है, दोनों अलग-अलग चीजें हैं। लेकिन गठबंधन सहयोगियों की तरफ से सनातन के खिलाफ जहरीले बोल उनकी मुश्किल बढ़ा सकते हैं। अब वह किन-किनको अलग-अलग बताने की कोशिश करेंगे- हिंदुत्व और हिंदू धर्म को या फिर सनातन को।

सनातन पर खुद पीएम मोदी ने संभाल लिया विपक्ष के खिलाफ मोर्चा

बीजेपी भी I.N.D.I.A. गठबंधन के नेताओं की तरफ से सनातन धर्म के खिलाफ की जा रही टिप्पणियों का मुद्दा जोर-शोर से उठा रही है। पार्टी ने I.N.D.I.A. गठबंधन पर सनातनविरोधी होने का आरोप लगाया है जिसका उद्देश्य सनातन को जड़ से खत्म करना है। 

अब तो खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोर्चा संभाल लिया है। कुछ दिन पहले ही उन्होंने बीजेपी नेताओं को सनातन के मुद्दे पर आक्रामक होने को कहा था। गुरुवार को उन्होंने मध्य प्रदेश के बीना में एक रैली के दौरान सनातन के मुद्दे पर विपक्ष के खिलाफ बहुत ही आक्रामक रुख अपनाया। अपने करीब 38 मिनट के भाषण में करीब 5 मिनट तक वह इसी मुद्दे पर बोलें। 

मोदी ने कहा, ‘यहां कुछ ऐसे दल भी हैं, जो देश और समाज को विभाजित करने में जुटे हैं। इन्होंने मिलकर एक INDI अलायंस बनाया है, जिसे कुछ लोग ‘घमंडिया’ गठबंधन भी कहते हैं। इनका नेता तय नहीं है और नेतृत्व पर भ्रम है लेकिन इन्होंने मुंबई में बैठक कर ‘घमंडिया गठबंधन’ की नीति और रणनीति तय कर ली है और साथ ही एक छुपा हुआ एजेंडा भी तय कर लिया है। इस घमंडिया गठबंधन की नीति और रणनीति भारत की संस्कृति पर हमला करने की है। इस आईएनडीआई अलायंस का निर्णय है कि भारतीयों की आस्था पर हमला करो। इस घमंडिया गठबंधन की नीयत है कि भारत को जिन विचारों और संस्कारों ने हजारों वर्ष से जोड़ा है, उन्हें तबाह कर दो। ये घमंडिया गठबंधन वाले सनातन संस्कारों और परंपरा को समाप्त करने का संकल्प लेकर आए हैं। जिस सनातन को महात्मा गांधी ने जीवन पर्यंत माना, जिस सनातन ने उन्हें अस्पृश्यता के खिलाफ आंदोलन चलाने के लिए प्रेरित किया। ये घमंडिया गठबंधन के लोग उस सनातन परंपरा को समाप्त करना चाहते हैं।’

जाहिर है, चुनाव से पहले विपक्ष ने बीजेपी के हाथ में एक बड़ा मुद्दा थमा दिया है और प्रधानमंत्री मोदी के तेवरों से साफ है कि पार्टी इस पर काफी आक्रामक रहने वाली है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."