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18 January 2025 6:43 pm

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इधर 29 दिन के बच्चे के सिर से उठा पिता का हाथ, उधर बूढ़े बाप के कंधों पर लदा बेटे की शहादत का बोझ

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अरमान अली की रिपोर्ट 

जम्मू-कश्मीर। “डीएसपी हुमायूं हसन नहीं रहे!” जैसे ही यह सच उनके घर वालों को पता लगा, वे बेसुध से हो गए। होते भी क्यों न…एक ओर 29 महीने के बच्चे के सिर से बाप का हाथ उठा, तो दूसरी ओर जांबाज पुत्र की शहादत पर पिता के कंधों का बोझ बढ़ गया।

ये दोनों ही दुख भरे दर्द दुनिया के किसी भी पहाड़ से अधिक भारी हैं।

हसन बुधवार (13 सितंबर, 2023) को जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग में हुए एनकाउंटर के दौरान जवानों को लोहे के चने चबवाते हुए शहीद हुए। समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट में बताया गया कि काफी ब्लीडिंग (रक्तस्राव) होने के चलते भट की मृत्यु हो गई।

डीएसपी भट आतंकियों से लोहा लेते वक्त कोकेरनाग (Kokernag) में शहीद हुए। उनका सिर्फ 29 दिन का बच्चा है। यानी वह पिता बनने का सुख एक महीने भी न ले सके और देश के लिए न्यौछावर हो गए। भट के पिता का नाम गुलाम हसन भट्ट, जो कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के सेवानिवृत्त आईजी हैं।

भट के पिता 1984 में जम्मू और कश्मीर में डीएसपी बने थे, जबकि आगे आईजी होकर साल 2018 रिटायर हुए। रोचक बात है कि ठीक उसी बरस बेटे हुमायूं डीएसपी बने थे। जिस हिसाब से वह ईमानदारी से काम कर रहे थे, उस लिहाज से कहा जा सकता है कि वह भी आगे चलकर पापा का नाम करते उनके जैसे बड़े आला-अफसर बनते, पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। 

J&K के DGP ने यूं जताया दुख

जम्मू और कश्मीर पुलिस परिवार की ओर से वहां के डीजीपी दिलबाग सिंह ने उनकी शहादत पर संवेदना जाहिर की। उन्होंने कहा- मैं तीन युवा बहादुरों कर्नल मनप्रीत सिंह, 19 आरआर के मेजर आशीष धोनैक और डीएसपी हुमायूं मुजामिल भट के भयानक नुकसान से बहुत दुखी हूं। जीवन का हर नुकसान दुर्भाग्यपूर्ण है। इस आपराधिक कृत्य के लिए जिम्मेदार लोगों को जल्द ही न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। पूरा जम्मू-कश्मीर पुलिस बल शहीदों के परिजनों के समर्थन में है।

क्या है मूल खबर? जानिए

दरअसल, बुधवार को जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकेरनाग के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आतंकियों के साथ मुठभेड़ हुई थी। अफसरों के अनुसार, सुबह गारोल इलाके में इस दौरान 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धोनैक और पुलिस उपाधीक्षक हुमायूं भट गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इलाज के दौरान इन अधिकारियों की जान चली गई। आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के छद्म समूह प्रतिबंधित रेजिस्टेंस फ्रंट ने इस हमले की जिम्मेदारी ली।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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