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November 22, 2024 8:37 pm

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…जानवरों की तरह पीटना, कहीं प्राइवेट पार्ट में डंडा डाल देना..ऐसे ‘सुरक्षा’ करते हुए अपना ‘संकल्प’ दिखा रही है यूपी पुलिस 

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

कानपुर में आजादी के ठीक एक दिन बाद एक व्यक्ति को थाने के अंदर इतना पीटा गया कि उसकी मौत हो गई। इसी कानपुर में 8 महीने पहले एक व्यापारी को पुलिस ने इतना पीटा था कि उसका पूरा शरीर नीला पड़ गया। पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर चोट के 25 निशान तक ही गिन पाए थे। बदायूं में तो पुलिस ने एक लड़के को पहले करंट लगाया। इसके बाद प्राइवेट पार्ट में डंडा डाल दिया।

दौड़ाकर पीटना, थाने के अंदर टॉर्चर करना। मारते-मारते मार देना। इसके बाद पीड़ित को न्याय न मिलने की फेहरिस्त बहुत लंबी है। आज हम पुलिस के टॉर्चर की 5 दर्दनाक कहानियां जानेंगे। कहीं पीटकर मार दिया, तो कहीं जिसे मारा उसकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली।

आरोपी के साथ मिलकर दरोगा ने पीटा

दिनेश सिंह भदौरिया बिधनू के सीढ़ी लालूपुरवा के थे। दिनेश का विहार क्षेत्र में 200 गज का एक प्लॉट था। उस प्लॉट को लेकर उनका प्रीति नाम की एक महिला से विवाद चल रहा था। 16 अगस्त को दिनेश उस प्लॉट पर निर्माण कार्य करवा रहे थे। तभी प्रीति 5-6 लोगों के साथ पहुंची और काम को रोकने लगी। दिनेश नहीं माने। प्रीति के साथ गए लोगों की दिनेश से मारपीट हो गई। इसके बाद वहां मौजूद लोगों ने पुलिस को बुला लिया।

गल्ला मंडी के थाना प्रभारी अशोक कुमार सिंह भी पहुंच गए। आरोप है कि दिनेश को पहले वहां पीटा गया। इसके बाद उन्हें चौकी लाया गया और कमरे में बंद करके प्रीति के लोगों व दरोगा ने लाठियों से बहुत पीटा। दिनेश हाथ पांव जोड़ते लेकिन दरोगा ने मारना बंद नहीं किया। वह बेहोश हो गए। कुछ देर होश नहीं आया तो पुलिस के सिपाही उन्हें हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने जांच किया तो पता चला कि दिनेश की मौत हो चुकी है।

दिनेश के पिता लाखन सिंह की शिकायत पर दरोगा अशोक सिंह, प्रीति, प्रीति के पिता जगदेव वर्मा, भाई विनोद वर्मा सहित कुल 8 लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है।

केस नंबर 2ः पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर लाश की हालत देखकर हैरान हो गए

कानपुर देहात के शिवराजपुर में 6 दिसंबर 2022 को ज्वेलरी कारोबारी चंद्रभान सिंह से 2 लाख रुपए कैश और गहने लूट लिए गए। चंद्रभान उर्फ राजू ने शिवली थाने में मामला दर्ज करवाया। 6 दिन बाद राजू के ही पड़ोसी बलवंत सिंह को लूट में शामिल होने के शक पर गिरफ्तार कर लिया गया। बलवंत को शिवली थाने ले गए।

आरोप है कि एसओजी टीम के प्रमुख प्रशांत गौतम, महेश गुप्ता, मैथा चौकी इंचार्ज ज्ञान प्रकाश पांडेय, थाना प्रभारी राजेश कुमार सिंह, रनिया के थाना प्रभारी शिव प्रकाश सिंह ने बलवंत को लाठी और पट्टे से जमकर पीटा। बलवंत का पूरा शरीर काला पड़ गया। मारने वाले मारते-मारते थक गए। बलवंत के शरीर में अब कोई हरकत नहीं रही। पुलिस के बाकी सिपाही बलवंत को लेकर कानपुर देहात के जिला अस्पताल में पहुंचे। वहां मौत हो गई। पुलिस ने डॉक्टरों से कहा कि हैलेट ट्रांसफर कर दो, डॉक्टरों ने मना कर दिया।

बलवंत का शव पोस्टमॉर्टम हाउस गया। लाश की हालत देखकर डॉक्टर हैरान हो गए। शरीर पर 25 से ज्यादा गंभीर चोट के निशान मिले। दोनों हाथ की कलाइयों पर रस्सी बांधने के निशान मिले। पैर से तलवों से लेकर घुटनों तक, कमर के नीचे और पीठ पर इतनी लाठियां मारी गई थी खाल उधड़ गई थी। इस मामले में जमकर हंगामा हुआ। 9 पुलिस वालों को सस्पेंड कर दिया गया।

केस नंबर 3ः पहले करंट लगाया फिर प्राइवेट पार्ट में डंडा डाल दिया

बदायूं के ककराला पुलिस चौकी इलाके में रहने वाले 20 साल के रेहान को पुलिस ने 2 मई को उठा लिया और चौकी में बंद कर दिया। उस पर बाइक चोरी का आरोप था। आरोप है कि पुलिस ने चौकी के अंदर उसे जमकर मारा। पहले करंट लगाया और फिर प्राइवेट पार्ट में डंडा डाल दिया। बाद में पता चला कि चोरी के आरोप में गलत व्यक्ति को उठा लिया। रेहान को 100 रुपए देकर उसे छोड़ दिया गया।

रेहान घर आया तो उसकी हालत खराब होने लगी। परिवार बदायूं के एसएसपी ओपी सिंह से मिला। उन्होंने दातागंज सीओ प्रेम कुमार थापा को जांच सौंपी। आरोप सही मिले। चौकी इंचार्ज के साथ 4 और सिपाहियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। डॉक्टर कहते हैं, रेहान के साथ पुलिस ने इस कदर बर्बरता की थी कि उसके नर्वस सिस्टम पर गंभीर असर पड़ा।

केस नंबर 4ः पुलिस ने एनकाउंटर किया, पत्नी ने फेक बताकर सुसाइड कर लिया

5 अक्टूबर 2019 को झांसी में पुलिस ने पुष्पेंद्र यादव का एनकाउंटर कर दिया। पुष्पेंद्र पर आरोप था कि वह कानपुर-झांसी हाइवे पर मोंठ थाने के इंचार्ज धर्मेंद्र सिंह चौहान पर फायरिंग की और उनकी कार लूट ली। इस मामले की जांच CB-CID कर रही। पुष्पेंद्र के भाई रवींद्र CISF में हैं वही केस लड़ रहे। वह कहते हैं कि पुष्पेंद्र और पुलिसवालों में विवाद था। उन्होंने पुष्पेंद्र की ट्रक को ओवर लोड बताकर पकड़ा था। छोड़ने के लिए 1 लाख रुपए दिए। पैसे लेने के बाद भी चौहान ने नहीं छोड़ा और चालान कर दिया।

एनकाउंटर से 3 महीने पहले ही पुष्पेंद्र की शादी जालौन की शिवांगी से हुई थी। शिवांगी ने अपने पति के लिए लड़ाई लड़ी। आरोपी पुलिस वालों पर हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ तो वह शिवांगी से केस वापस लेने का दबाव बनाने लगे। शिवांगी न्याय के इंतजार में टूट गई। इसी 29 मार्च को उसने हाथ में लिखा- अपने आप खत्म हो रहे हैं, किसी पर कोई दोष न लगाए। इतना लिखकर उसने फांसी लगा ली।

केस नंबर 5ः बच्चे को लग जाएगी, पिता चिल्लाता रहा पुलिस लाठियां बरसाती रही

कानपुर देहात का एक वीडियो अक्सर सोशल मीडिया पर दिखता है। 9 दिसंबर को जिला अस्पताल के कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन चल रहा था। 3 पुलिसकर्मी पहले एक शख्स को पीट रहे थे। इसके बाद अकबरपुर थाने के प्रभारी विनोद मिश्रा ने गोद में बच्चा लेकर खड़े व्यक्ति पर ताबड़तोड़ लाठियां बरसाने लगे। वो चिल्लाता है, “बच्चे को लग जाएगी, बच्चा मर जाएगा।” वो भागने की कोशिश करता है तो पुलिस वाले उसे खींचकर वाहन के पास लाते हैं, बच्चे को जबरन उससे खींचने की कोशिश करते हैं। पुलिस ने हल्के बल के इस्तेमाल को स्वीकारा। लाठी बरसाने वाले SHO को सस्पेंड किया गया।

यह 5 मामले हैं, इसके अतिरिक्त कानपुर के मनीष गुप्ता को पुलिस ने गोरखपुर होटल में इतना पीटा की मौत हो गई। दूसरा मामला कासगंज के अल्ताफ का है। अल्ताफ ने पुलिस चौकी के टॉयलेट में लगी टोंटी में फांसी लगा ली थी।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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