आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
चित्रकूट: पाकिस्तान से चित्रकूट आए दो हिंदू परिवारों ने वहां के हालातों के बारे में बताया। परिवार के लोगों का कहना है कि वहां उन्हें एक वक्त की रोटी भी बड़ी मुश्किल से मिल पाती थी। दाल, सब्जी और दूध तो महीनों नसीब नहीं होता था। दाल-सब्जी और दूध की बात सुनते ही वहां मौजूद परिवार के बच्चों की आंखों में आंसू छलक आए। इन परिवारों का कहना है कि बच्चों की भूख और महंगाई से त्रस्त होकर हमें भारत आने के लिए मजबूर होना पड़ा। अब अगर हमें लंबे अरसे के लिए सरकार ने वीजा दे दिया तो भारत में ही बस जाएंगे। कम से कम यहां दो वक्त की रोटी तो नसीब होगी।
महंगाई की मार से एक वक्त की रोटी भी मुश्किल
पाकिस्तान में ही जन्मे कराची खैरपुर निवासी राकेश और संतोष ने बताया कि पाकिस्तान में बहुत महंगाई है। कई चीज तो महीनों तक देखने को भी नहीं मिलती हैं। हर चीज महंगी होने से बच्चे सिर्फ एक वक्त खाना खा पाते थे। दूध, दाल, सब्जी नसीब नहीं होता था। इसी बात से उनके परिवार ने कुछ दिनों के लिए भारत आकर रहने की योजना बनाई थी, ताकि यहां आकर मेहनत करके हम अपना और अपने बच्चों का पेट भर सके। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में आटा 150 रुपये किलो, तेल 650 रुपये किलो है। सब्जी के दाम तो आसमान छू रहे हैं।
पाकिस्तानी हिंदू परिवारों का कहना है कि हमें वहां मजदूरी के बाद सिर्फ 500 रुपये मिलते हैं, जबकि एक वक्त की रोटी के लिए 1000 रुपये से अधिक खर्च हो जाता है। जिस दिन काम नहीं मिलता था, उस दिन हमें भूखे पेट ही सो जाने के लिए मजबूर होना पड़ता था। वहां रोजगार का भी अभाव है। ऊपर से महंगाई होने के कारण परिवार का भरण पोषण नहीं हो पा रहा था। उनको रोजगार भी नहीं मिल पा रहा था। बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं। इसके अलावा वहां हमेशा हिंदू परिवारों को प्रताड़ित किया जाता है। ऐसे माहौल में रहना हमारा दुश्वार हो गया था, जिससे परिवार समेत भारत में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
संकटमोचक बनकर आए कमलेश
हिंदू परिवार ने कहा कि हमने जून में ही पाकिस्तान छोड़ दिया। इसके बाद पाकिस्तान से वीजा लेकर भारत आ गए। भारत आने के बाद दिल्ली के भाटी माइंस में अपने रिश्तेदारों के यहां ठहरे रहे। यहां रहकर मेहनत मजदूरी करके बच्चों का पेट भरते रहे। यहां रहते हुए उनका 45 दिनों का वीजा भी खत्म हो गया। इस बीच सोशल मीडिया में के जरिए चित्रकूट के कमलेश पटेल से परिचय हुआ। जिन्होंने फेसबुक में लिखा है कि प्रताड़ित हिंदुओं को वह अपने संरक्षण में रखने को तैयार हैं। इसी को पढ़कर हम लोगों ने कमलेश से संपर्क किया। कमलेश कुमार ने दिल्ली पहुंचकर दूतावास में अपना शपथ पत्र देकर हमें शुक्रवार को ट्रेन के जरिए चित्रकूट के अपने गांव संग्रामपुर ले आए। हम लोग यहां मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार को खुशहाल रख पाएंगे यही सोचकर उनके साथ यहां चले आए हैं।
इन परिवारों का ठिकाना बना पंचायत भवन
बताते चलें कि पाकिस्तान से आए दो हिन्दू परिवारों का ठिकाना पंचायत भवन बनाया गया है। सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात है। भोजन पानी के प्रबंध की जिम्मेदारी प्रधान को सौंपी गई है। शुक्रवार को दो हिंदू परिवार के 15 सदस्य संग्रामपुर गांव कमलेश कुमार के साथ दिल्ली से आ गए थे।
संतों के अखाड़े से मिली मदद
इस संबंध में एसपी वृंदा शुक्ला ने बताया कि चार अगस्त को 15 पाकिस्तानी नागरिक ट्रेन से आए, जो दिल्ली से चित्रकूट आए हैं। स्थानीय अखाडों की मदद से काम और रहने के स्थान की तलाश में आए हैं। पिछले वर्ष एक ग्रुप का आगमन हुआ था। जिसका वीजा समाप्त हो चुका है। यह दूसरा ग्रुप आया है, जिसका वीजा जल्द खत्म होने वाला है। ओरिजनल डाक्यूमेंट के अभाव में इनके द्वारा बताए गए तथ्यों की गहनता से जांच की जा रही है। इन्होंने लांग टर्म वीजा का आवेदन किया है। एफआरओ लखनऊ को आवश्यक मार्गदर्शन के लिए सूचना भेजी गई है। फिलहाल पाकिस्तानी परिवारों को पंचायत भवन में रोका गया है।
Author: samachar
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