दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
कहते हैं कर्मों की सजा यहीं मिलती है। सालों तक उत्तर प्रदेश में अपनी दहशत फैलाने वाले माफियाओं ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन उनकी ईद (Eid) इतनी बेरंग हो जाएगी। कुछ ही सालों में इतनी बदल जाएगी तस्वीर ये खुद इन माफियाओं ने कभी कल्पना भी नहीं कि होगी। सालों तक न जाने कितने ही लोगों की ईद और दीवाली को मातम में बदलने वाले माफिया आज रो रहे होंगे।
उत्तर प्रदेश के माफियाओं की बेरंग ईद
सबसे पहले बात मुख्तार अंसारी की। मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) बांदा जेल में बंद है। पिछले कुछ समय से उसने जेल में लोगों से बातें करना भी बंद कर दिया है, लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब इस माफिया को जेल के अंदर रहने के बावजूद किसी राज से कम ट्रीट नहीं किया जाता था। किसी के कत्ल के बाद कोर्ट ने बेशक सजा दे दी हो, लेकिन जेल में भी इस माफिया के लिए किसी महल से कम नहीं होती थी।
मुख्तार अंसारी जेल में भी देता था कुर्बानी
ईद के दिन जेल में ही जश्न मनाया जाता था। जेल में ही ये डॉन बकरे की कुर्बानी देता था। बिरयानी हो या मटन कीमा, हर तरह की डिश मुख्तार के लिए परोसी जाती थी। परिवार ही नहीं इसके ना जाने कितने ही चाहने वाले जेल में इसे ईद की बधाई देने आते थे। ईद के लिए जेल के दरवाजे खुले होते थे मुख्तार के लोगों के लिए। उस अपराधी के लिए जिसमें हत्या, रंगदारी, किडनैपिंग, लूटपाट जैसे न जाने कितने ही आरोप हैं। ईद के दिन पूरे जेल कर्मियों को पार्टी दी जाती थी। माफिया को अपना रुतबा जो साबित करना था।
अब ईद पर न बकरा है न बिरयानी
अब तस्वीर एकदम बदली हुई है। अब न तो जेल में बकरा है और न ही बिरयानी। जेल की रोटियां भी अब मुख्तार के नसीब में है। चाहने वाले तो छोड़िए ये माफिया अपने परिवार से भी नहीं मिल सकता। बेटे अब्बास अंसारी का भी यहीं हाल है। बेटा अलग जेल में बंद, बहू अलग जेल में, पत्नी फरार। ये कर्मो की ही सजा है कि कभी लोगों में खौफ पैदा करने वाला ये अपराधी अब इस हाल में है।
अतीक के परिवार में भी नहीं मन रही ईद!
उत्तर प्रदेश के दूसरे माफिया अतीक अहमद ( Atique Ahmed) के परिवार का हाल तो इससे भी खराब है। अतीक और उसका भाई अशरफ तो रहा नहीं, परिवार भी पूरी तरह से बिखर चुका है। पत्नी शाइस्ता परवीन दर-दर छुप रही है, पुलिस से खुद को बचा रही है। बेटे जेल में बंद हैं। अशरफ की पत्नी का भी कुछ पता नहीं है। कभी अतीक के परिवार में धूम-धाम से ईद मनाई जाती थी, लेकिन वक्त के साथ सब कुछ बदल गया। या यूं कहें कि बुरा रास्ता चुनने का बुरा नतीजा तो होना ही था और यही वजह है कि आज माफियाओं के ये परिवार त्यौहार मनाने के लिए तरस रहे हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."