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November 2, 2024 5:55 am

शादी के बाद पति के साथ रहने को मना किया दुल्हन ने वजह जानकर सबके होश उड़ गए

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मुरारी पासवान की रिपोर्ट 

गढ़वा।  जिला के कांडी प्रखंड क्षेत्र में हफ्ते भर की दुल्हन ने पति के साथ रहने से इन्कार कर दिया। उसके सास ससुर ने दुल्हन के माता पिता को बुलाकर समाज के सामने हालात को समझकर उसे उसके प्रेमी के पास भेज दिया।

लड़की कांडी थाना क्षेत्र के बलियारी पंचायत अंतर्गत भिलमा गांव की निवासी है। जबकि उसकी शादी खरौंधी प्रखंड के गोबरदाहा गांव में हुई थी। यहीं पर सात दिन पहले व्याही एक लड़की ने अपने पति एवं माता पिता को छोड़कर अपने प्रेमी के साथ रहने का निर्णय ले लिया।

प्राप्त समाचार के अनुसार गोबरदाहा गांव निवासी गामा राम के पुत्र मनोज राम की शादी कांडी थाना क्षेत्र के भिलमा गांव में विगत 10 मई को हुई थी। भिलमा गांव में संतोष राम की पुत्री रूबी कुमारी के साथ शादी करके मनोज राम अपने घर अपनी दुल्हन को लेकर गोबरदाहा आया था। इस बीच मनोज ने अपनी पत्नी के साथ नई जिंदगी की शुरुआत करने वाला ही था कि उसके सामने पत्नी के प्रेमी की इंट्री हो जाती है।

पता चला कि लड़की रुबी किसी भी हाल मे अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती। इसके बाद ससुराल वालों ने लड़की के मां बाप को गोबरदाहा गांव बुलाकर उन्हें पुरा वृतांत बताया। इसके बाद मां बाप की उपस्थिति मे ससुराल एवं समाज के लोंगो के बीच पंचायत बैठाई गयी।

पंचायती में ससुराल वालों ने बताया कि लड़की जब से व्याह करके आयी है तब से फोन पर किसी और से बातें करती है। अपने पति से अलग रहती है। इसके बाद उसके माता पिता एवं समाज के लोंगो ने पूछा कि वह चाहती क्या है। लड़की ने बताया कि वह शादी के पहले से ही राकेश नाम के लड़के से प्यार करती है। मैं उसी के साथ रहना चाहती हूं।

इसके बाद सभी के सामने लड़की ने अपने प्रेमी से फोन पर बात की। जिसमें लड़की का प्रेमी उसे अपने साथ रखने के लिए तैयार हो गया। बात चीत के दौरान लड़की ने अपने प्रेमी राकेश से फोन पर बात की और कहा कि हम यहां नहीं रहना चाहते हैं। इधर प्रेमी ने कहा कि तुम वहां से चलकर बीच रास्ते में आ जाओ। हम वहां से तुमको अपने घर ले लाएंगे। इसके बाद मां बाप ने लड़की को अपने घर ले जाने से इन्कार कर दिया। लेकिन ससुराल से लड़की मां बाप के साथ निकली पर रास्ते में अपने मां बाप से अलग होकर प्रेमी के यहां चली गई।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."