दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
कानपुर देहात । जनसुनवाई के दौरान हुए इस अनोखे मामले ने सबको भावुक कर दिया है। यह सत्यापित होता है कि इस मामले में एक महिला ने अपनी जमीन की समस्या के संबंध में एक पत्र लिखा और जनसुनवाई के माध्यम से इसे डीएम (जिला प्रशासनिक अधिकारी) नेहा जैन तक पहुंचाया।
पत्र को पढ़कर डीएम नेहा जैन व्यक्तिगत रूप से प्रभावित हुईं और उन्होंने तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया है। यह उपयुक्त और प्रभावी पहल है, जो समस्या के तत्काल समाधान की ओर इशारा करती है। इससे सामान्य नागरिकों को न्याय मिलता है और सामाजिक न्याय के मानकों का पालन होता है।
ऐसे सामाजिक प्रयास और अधिकारिकों की संवेदनशीलता देश की न्यायिक प्रक्रिया को मजबूत बनाते हैं और लोगों के आवासीय और संबंधित मुद्दों को निपटाने में सहायता करते हैं।
यह एक अद्वितीय और अप्रत्याशित घटना है जो डीएम नेहा जैन के साथ घटी है। इसमें एक 77 वर्षीय व्यक्ति ने डीएम को अपना प्रार्थना पत्र सौंपा जिसमें वह अपनी समस्या को दर्शाते हुए उनसे मदद मांग रहे थे। डीएम नेहा जैन इस पत्र को पढ़ते ही भावुक हो गईं और उन्होंने अपने अधीनस्थ अफसरों को बुलाया और कुसुम सिंह को उनके सामने बुलाकर उनकी समस्या को सुनी।
डीएम नेहा जैन ने इस मामले को गंभीरता से लिया और तत्काल उपाय किए जिससे कुसुम सिंह की समस्या का निस्तारण हो सके। उन्होंने कुसुम सिंह को अपने सरकारी वाहन से एसडीएम के पास भेजकर तत्काल आदेश दिए जिससे कि समस्या का समाधान हो सके।
इस घटना ने सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा का विषय बना है। डीएम को कुसुम सिंह के द्वारा सौंपे गए प्रार्थना पत्र की प्रति भी वायरल हो गई है। यह घटना लोगों को एक ऐसे अधिकारी के बारे में सोचने पर मजबूर करती है जो नागरिकों की समस्याओं को सुलझाने में मदद करें।
सोचा राहे देर हो जाई, तो कुछ रोटियां रख ली थीं
कुसुम सिंह द्वारा अपना झोला दिखाने के साथ ही, वह अपने द्वारा रखी गई रोटियों के बारे में बताते हैं कि उन्होंने उन्हें जनसुनवाई के दौरान कुछ खाने के लिए लिया था, ताकि यदि देर हो जाए तो वह उन्हें खा सकें. इससे यह स्पष्ट होता है कि कुसुम सिंह को उस समय खाने की आवश्यकता थी और उन्होंने इसे ध्यान में रखा था।
जब डीएम नेहा जैन ने कुसुम सिंह से किसी अन्य तरह की मदद के लिए बात की, तो कुसुम सिंह ने उन्हें बताया कि वह केवल अपनी जमीन की समस्या का हल चाहती हैं। यह दिखाता है कि उन्हें अपनी जमीन से संबंधित मुद्दे को हल करने की जरूरत थी और वे उस समय उसी मुद्दे के बारे में बात करना चाहती थीं।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."