राकेश तिवारी की रिपोर्ट
बस्ती : उत्तर प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे प्रदेश में चुनाव के कई रंग देखने को मिल रहे हैं। प्रदेश में निकाय चुनाव के उम्मीदवारों का नामांकन खत्म हो गया है और अब सभी पार्टियां अपने पूरे दमखम से चुनावी मैदान में ताल ठोक रही हैं। हालांकि इन्हीं पार्टियों के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द इस समय इनके ही बागी बन रहे हैं। पार्टियों को यह नहीं समझ में आ रहा है कि हम अपने वोटर को लुभाए या आपने बागी कार्यकर्ताओं को मनाएं।
बात की जाए अगर बागियों की तो उनका भी अपना अलग दर्द है। कई सालों से पार्टी के टिकट की आस लगाए बैठे इन कार्यकर्ताओं को जब टिकट देने की बारी आती है तो यह पार्टियां अपने निष्ठावान कार्यकर्ताओं के अरमानों पर पानी फेर कर किसी धनबली और दलबदलू को उम्मीदवार बना देते हैं।
ऐसे ही एक कार्यकर्ता की कहानी से आज हम आपको रूबरू कराएंगे। इन्हें 22 सालों से समाजवादी पार्टी की सेवा की, लेकिन जब इस कार्यकर्ता को पार्टी का टिकट देने का वक्त आया तो उसका वो एक दलबदलू को दे दिया।
सपा के इस कार्यकर्ता का आरोप है कि पार्टी के जिला अध्यक्ष और सदर के विधायक महेंद्र यादव ने उन्हें टिकट देने का वादा किया था। उन्हें भरोसा दिलाया था कि इस बार उन्हें टिकट जरूर दिया जाएगा। हालांकि नामांकन के आखिरी दिन उन्होंने इस कार्यकर्ता का टिकट काटकर दलबदलू नेता को टिकट दे दिया। इसके बाद अब यह कार्यकर्ता अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है और अपने पंचर की दुकान पर महेंद्र यादव बेवफा है और सदर विधायक बेवफा है, पोस्टर लगाकर अपने साथ हुए धोखेबाजी का बदला ले रहे हैं। बस्ती की जनता को यह बता रहे हैं।
दरअसल बस्ती के नगर पालिका बभनगांवा वार्ड में रहने वाले अकरम जो कि सपा के बहुत ही पुराने कार्यकर्ता है और पेशे से यह पंचर की दुकान चलाते हैं। इसी से अपनी आजीविका और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। बावजूद इसके वह पार्टी की पिछले 22 सालों से सेवा करते चले आ रहे हैं। इनका सपना था कि वह पार्टी के टिकट से सभासदी का चुनाव लड़े और जनता की सेवा करें। इन्होंने इस बार अपने वार्ड से दावेदारी ठोकी, उनकी दावेदारी को लेकर पार्टी के सभी नेताओं ने हरी झंडी दे दी। जब पार्टी के टिकट देने का समय आया तो सबने मुंह फेर लिया। इसके बाद अकरम अब अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।
गरीब हूं इसलिए नहीं मिला टिकट
अकरम का कहना है कि मैं गरीब हूं और गाड़ी और साइकिल का पंचर बनाता हूं। इसलिए मुझे टिकट नहीं दिया गया और दलबदल कर कुछ ही दिन पहले समाजवादी पार्टी में आए गौतम यादव को टिकट दे दिया गया, क्योंकि वह धनबली है। कुल मिलाकर आप समाजवादी पार्टी सिर्फ यादवों की पार्टी रह गई है।उन्होंने ऐसे कई कैंडिडेटों का नाम बताया जिन्हें सिर्फ और सिर्फ इसलिए टिकट दे दिया गया, क्योंकि वह यादव हैं।
अपने साथ हुए ठगी के शिकार अकरम ने अपना दुख और अपने साथ हुई बेवफाई को जाहिर करने के लिए उन्होंने अपने दुकान में कई पोस्टर लगा डालें। इसमें एक पोस्टर में यह लिखा है कि महेंद्र यादव बेवफा है और दूसरे में सदर विधायक बेवफा है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."