मोहन द्विवेदी की खास रिपोर्ट
मशहूर पाकिस्तानी पत्रकार और लेखक तारिक फतेह (Tarek Fatah Death) जन्म से तो पाकिस्तानी थे लेकिन वे अपने बयानों में जमकर भारत की तरफदारी करते थे। बाबरी मस्जिद ढहाने का उन्होंने सीधा-सीधा समर्थन कर डाला था। यही नहीं, कई अन्य मुद्दों पर भी वह सीधे भारत के साथ खड़े नजर आते थे। उन्होंने कहा था कि ये भी हकीकत है कि बाबरी ढांचा भी बनाया गया था। उनके इन बयानों से पाकिस्तान तक को जमकर मिर्ची लगती थी।
बाबरी पर डिफेंसिव होने की जरूरत नहीं
एक निजी चैनल को दिए दो इंटरव्यू में तो उन्होंने भारत को दुनिया को रास्ता दिखाने वाला बताते हुए कहा था कि बाबरी मस्जिद पर भारत को डिफेंसिव होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने दावा किया था कि बाहर से आया एक शख्स मंदिर पर मस्जिद बना दिया और पूरे मुल्क को बांट दिया। फतेह ने उस इंटरव्यू में कहा था, ‘ आप दुनिया की सबसे बड़ी सभ्यता हैं। 10 हजार साल से दुनिया को रास्ता दिखाया है। पहाड़ों को काटकर मंदिर बनाया। आप क्यों डिफेंसिव हो रहे हैं? किसने बोला था उन्हें मस्जिद (बाबरी) बनाने के लिए? तू यहां पैदा नहीं हुआ, मरा कहीं और जाकर। आकर एक मंदिर पर मस्जिद बना दिया और पूरे मुल्क को बांट दिया। डिफेंस ऑफ इंडिया इज इंड ऑफ सिविलाइजेशन। इंडिया है तो दुनिया है, अगर इंडिया खत्म हुआ तो दुनिया खत्म।’
बाबरी ढांचा बनाया गया था
कैंसर के कारण 73 साल की उम्र में आखिरी सांसें लेने वाले फतेह भारत से बेहद मोहब्बत करते थे। हालांकि, उनके बयानों के कारण उनकी काफी आलोचना भी होती थी। उनको खतरा भी था लेकिन वह अपनी बातों को बड़ी बेबाकी से रखते थे। जब उनसे बाबरी मस्जिद को ढहाने को लेकर सवाल पूछा गया था तो उन्होंने कहा था, ‘बाबरी ढांचा बनाया गया, ये भी एक हकीकत है। सीधी बात है एक गुंडा आया अफगानिस्तान से आपकी जमीन पर घर बनाकर चला गया। ये कमाल कर दिया साहब। एक शख्स आपको गाली देकर गया, आपकी फ्रिज, टीवी सब उठाकर चला गया और जाते-जाते दरवाजे को सील कर गया और कह गया ये मेरा है।आज से 50 हजार जेनरेशन तक मैं यहां बैठूंगा।’
एक मंदिर थोड़े तोड़ा है….
इस इंटरव्यू में फतेह ने कहा कि उन्होंने एक मंदिर थोड़े ने तोड़ा है। बाबरी मस्जिद की जगह मंदिर मुसलमानों की हाथ से बनना चाहिए। और मंदिर वही बनेगा। मंदिर वहीं बनेगा क्योंकि बहुत हो गई। 1 हजार साल तक जो आ रहा है चपत लगाकर चला जा रहा है। जिसकी मर्जी दो थप्पड़ मारे चला गया। कोई गोवा ले गया। नालंदा यूनिवर्सिटी में 3 लाख किताबें जला दीं। बाबरी मस्जिद ढहाना मजहब पर हमला नहीं था। वो एक गैर कानूनी गैर इस्लामी मस्जिद थी। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."