दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
बाहुबली नेता अतीक अहमद को गुजरात की साबरमती जेल से प्रयागराज लाया जा रहा है। उमेश पाल अपहरण केस में अतीक की 28 मार्च को प्रयागराज कोर्ट में पेशी है। उधर, अतीक अहमद के परिवार को उसके एनकाउंटर का डर सता रहा है। यही वजह है कि अतीक अहमद की बहन साये की तरह गुजरात से यूपी पुलिस के काफिले के पीछे चल रही हैं। उन्होंने आशंका जताई है कि उनके भाई अतीक अहमद का एनकाउंटर हो सकता है।
अतीक अहमद की बहन ने बताया, भाई की तबीयत सही नहीं रहती है। सड़क के रास्ते यूपी लाने लायक उनकी तबीयत नहीं है। इसके बावजूद उन्हें सड़क रास्ते से लाया जा रहा है। बहन ने कहा, उनके भाई का एनकाउंटर हो सकता है। इसलिए वे गुजरात से ही उनके काफिले के पीछे चल रही हैं। उन्होंने कहा, उनके दूसरे भाई अशरफ अहमद को बरेली जेल से लाया जा रहा है, उनका भी एनकाउंटर किया जा सकता है।
अतीक के वकील ने दावा किया है कि पिछली सरकार के समय अतीक को उमेश पाल के अपहरण के फर्जी केस में फंसाया गया था। इसी पर फैसला आना है। अतीक के परिवार को एनकाउंटर का डर है, इसलिए हम सब उनके काफिले के साथ चल रहे हैं।
साबरमती से प्रयागराज लाया जा रहा अतीक
अतीक को जिस काफिले में लाया जाएगा, उसमें 6 गाड़ियां शामिल हैं। इनमें 2 वज्र वाहन भी हैं। सड़क मार्ग से लाते वक्त अतीक अहमद को वज्र वाहन के अंदर ही रखा गया है। अतीक को गुजरात से राजस्थान की सीमा में लाया गया। यहां से उदयपुर, कोटा होते हुए शिवपुरी (MP) पहुंचा. यहां से काफिला झांसी पहुंचा। झांसी और चित्रकूट से सीधे प्रयागराज पहुंचेगा। इससे पहले दूसरे रूट अहमदाबाद से इंदौर, गुना, शिवपुरी से झांसी और फिर चित्रकूट से प्रयागराज पहुंचने की संभावना जताई जा रही थी।
45 पुलिसकर्मी लेकर आ रहे अतीक को
साबरमती जेल से अतीक को लेकर लौट रही 45 पुलिसकर्मियों की टीम में सिर्फ 5 अधिकारियों के पास ही मोबाइल फोन है। इनमें IPS अभिषेक भारती, एक अन्य IPS और 3 डीएसपी शामिल हैं। जिस वज्र वाहन में अतीक सवार है, उसमें तैनात किसी पुलिसकर्मी के पास मोबाइल नहीं है। इन 5 अफसरों को छोड़कर सभी पुलिसकर्मियों के मोबाइल पहले ही जब्त किए जा चुके हैं। दरअसल, अतीक और उसका भाई अशरफ उमेश पाल हत्याकांड में भी आरोपी हैं. अतीक के भाई और पूर्व विधायक अशरफ की बात करें तो वह बरेली जेल में कैद है। उसे सोमवार सुबह 10 बजे यहां से प्रयागराज ले जाया जाएगा। मंगलवार को कोर्ट में उसकी पेशी होनी है।
28 मार्च को कोर्ट का जो फैसला आना है, वह उमेश पाल की हत्या का केस नहीं है। बल्कि, उस दिन फरवरी 2006 में उमेश पाल की किडनैपिंग के बाद हुई FIR में फैसला आना है। अपहरण के इस मामले को लेकर 2007 में उमेश ने अतीक और उसके साथियों के खिलाफ केस दर्ज कराया था।
Author: samachar
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