कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ: विधानसभा में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव अब साथ-साथ बैठेंगे। संगठन में बड़े पद के बाद अखिलेश ने सदन में भी अब चाचा को अहमियत दी है। सदन में अगल-बगल बैठने जा रहे अखिलेश यादव और शिवपाल यादव का रिश्ता ‘कितने दूर कितने पास’ का रहा है। बीते एक दशक में दोनों मंच तक पर लड़ चुके हैं तो सुलह का भी ये पहला मौका नहीं है।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में शिवपाल यादव का अपना अलग स्थान रहा है। समाजवादी पार्टी में कभी नंबर दो की हैसियत रखने वाले शिवपाल यादव, अखिलेश यादव के सक्रिय होने के बाद हाशिए पर चले गए थे। हालांकि, मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद स्थिति बदली। समाजवादी पार्टी में वापसी करने के बाद से शिवपाल यादव लगातार मजबूत होते दिख रहे हैं। पिछले दिनों अखिलेश यादव की सहमति के बाद उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। अब नेता विपक्ष अखिलेश यादव के अनुपस्थिति में वे समाजवादी पार्टी विधायक दल की बैठक का नेतृत्व करते दिखाई दिए। इससे ही उनके बढ़ते प्रभाव की झलक दिखती है। यूपी चुनाव 2022 के बाद हुई विधायक दल की बैठक में शिवपाल नहीं बुलाए जाने के कारण नाराज हो गए थे। एक साल के भीतर ही वे उस विधायक दल का नेतृत्व करते दिखे। दरअसल, अखिलेश यादव इन दिनों लंदन में हैं। उनकी अनुपस्थिति में शिवपाल ने विधायक दल के नेता की भूमिका को निभाया।
सपा की सरकार को घेरने की तैयारी
उत्तर प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। सत्र के दौरान समाजवादी पार्टी सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरेगी। शिवपाल यादव की अध्यक्षता में हुई विधायक दल की बैठक में तय किया गया कि विधानसभा में जनता के मुद्दों को जोर-शोर से उठाया जाएगा। सत्र शुरू होने से पहले सुबह 9:00 बजे विधानसभा में सभी विधायकों को एकत्र होने का निर्देश दिया गया है। इसके बाद सभी विधायक चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा पर धरना प्रदर्शन करने जाएंगे। रास्ते में अगर सुरक्षा बलों की ओर से रोका गया, तो वहीं पर धरने पर बैठ जाने का निर्णय लिया गया है। धरना स्थल से ही विधायक सदन की कार्यवाही में शामिल होने विधानसभा जाएंगे।
7 साल बाद पार्टी कार्यालय में शिवपाल रिटर्न
समाजवादी पार्टी के कार्यालय में 7 साल बाद शिवपाल यादव पहुंचे। वर्ष 2016 में अखिलेश यादव से मनमुटाव बढ़ने के बाद से वे सपा दफ्तर नहीं गए थे। वर्ष 2017 में उन्होंने अपनी अलग पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना ली। पार्टी ने उन्हें जसवंतनगर विधानसभा सीट से अपने सिंबल पर चुनावी मैदान में उतारा। हालांकि, सपा दफ्तर में उनके जाने और विधायकों के साथ बैठने की मंसा यूपी चुनाव 2022 के करीब एक साल बाद पूरी हुई। यूपी चुनाव के बाद शिवपाल में अखिलेश की रणनीति को लेकर कड़े तेवर दिखाए थे। एक बार तो ऐसा लगने लगा था कि दोनों की राहें बिल्कुल अलग हो जाएंगी। लेकिन, मुलायम सिंह यादव की मृत्यु के बाद समाजवादी पार्टी में अखिलेश ने शिवपाल की भूमिका को बढ़ा दिया है। अब वे पार्टी की रणनीति का अहम हिस्सा बन गए हैं।
रामचरितमानस पर अहम निर्देश
श्रीरामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से मचे विवाद के बीच विधायक दल की बैठक में शिवपाल यादव ने नेताओं को बड़ा निर्देश दिया है। उन्होंने विवाद पर कार्यकर्ताओं को विराम लगाने की बात कही। शिवपाल ने कहा कि इस मामले में किसी भी कार्यकर्ता को कोई बयान नहीं देना है। सरकार हर मुद्दे पर विफल रही है। इसके बावजूद भी जनता की सुनवाई नहीं हो रही है। शिवपाल ने कहा कि लोकसभा चुनाव को लेकर कार्यकर्ताओं के लिए लक्ष्य तैयार किया गया है। प्रदेश में कम से कम 40 सीटों पर समाजवादी पार्टी की जीत तय करनी है। बैठक के बाद शिवपाल ने कहा कि अब आजीवन समाजवादी पार्टी के लिए काम करेंगे। हम सबको मिलकर 2024 के लिए मजबूती से मैदान में उतरना है।
दरअसल, जून 2016 में शिवपाल और अखिलेश यादव के बीच मुख्तार अंसारी को लेकर तकरार शुरू हुई थी। अखिलेश मुख्तार को पार्टी में लेने से इंकार कर रहे थे। वहीं, शिवपाल यादव ने अफजाल अंसारी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उनकी पार्टी कौमी एकता दल के सपा में विलय की घोषणा कर दी थी। इस मंच पर अखिलेश और शिवपाल की तकरार साफ दिखी थी। अखिलेश से मुलायम के सामने ही शिवपाल ने माइक छीन ली थी। इस दौरान दोनों के बीच धक्का-मुक्की की स्थिति आ गई। बाद में किसी प्रकार की स्थिति को संभाला गया। अब दोनों के बीच की यह तकरार अब खत्म होती दिखी है।
Author: samachar
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