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November 1, 2024 10:56 pm

‘पंडे-पुजारी पागलों की तरह भौंक रहे’ ; स्वामी प्रसाद मौर्य का एक और विवाद का ‘कराह प्रसाद’

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य कुछ दिनों से सुर्खियों में बने हुए हैं, उन्होंने रामचरितमानस की चौपाई को लेकर एक बयान दे दिया था। देश और प्रदेश में उनका विरोध हो रहा है। स्वामी प्रसाद मौर्य बुधवार को एक निजी कार्यक्रम में शिरकत करने रायबरेली पहुंचे थे। मीडिया के एक प्रश्न पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि सिर्फ जाति विशेष के लोग ही उनका विरोध किया जा रहे है। वह अपनी रामचरितमानस पर की गई टिप्पणी पर आज भी कायम है। सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्या आज एक निजी कार्यक्रम में रायबरेली पहुंचे थे। शहर के त्रिपुला चौराहे पर गर्मजोशी से उनका स्वागत किया गया।

स्वामी प्रसाद मौर्य के पक्ष में रायबरेली के कुछ लोग रोड पर आ गए थे, जो लोग अपने हाथों में तख्तियां लेकर रोड पर खड़े हुए थे। वह उनके पक्ष में नारे लगा रहे थे, आप संघर्ष करो हम आपके साथ हैं। एमएलसी का लोगों ने जमकर स्वागत किया। स्वागत में उन्होंने पत्रकारों के प्रश्न पर कहा कि मैंने जो बोला है, मैं अपनी उसी बात पर कायम अभी हूं। मेरा विरोध एक विशेष जाति के लोग कर रहे हैं।

पंडे और पुजारियों को धंधे पर दिख रहा खतरा

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि यह एक जाति विशेष का मामला है। पंडे और पुजारियों को अपने धंधे पर खतरा दिखाई दे रहा है, उनको आभास हो गया है कि मौर्या के आवाहन पर दलित पिछड़े एक हो गए है। यह मंदिर आना बंद कर देंगे, जिससे उनका धंधा का चढ़ावा और पेट पूजा बंद हो जाएगी। मौर्य यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि धंधा ठप हो जाएगा, इसीलिए वही लोग पागलों के तरह भौंक रहे है।

शिवपाल यादव के बयान को बताया सही

शिवपाल यादव के बयान पर स्वामी प्रसाद मौर्या स्वामी ने कहा कि उन्होंने बिल्कुल सही कहा है। मैंने अपना बयान देते समय ही कहा था कि यह मेरा स्वमं का दिया गया बयान है। सत्ताधारी पार्टी के मंत्री, विधायकों पर मौर्य ने निशाना साधते हुए कहा कि मैंने किसी धर्म किसी के आराध्य पर कोई टिप्पणी की थी, न ही अभी कर रहा हूं। मैं सिर्फ धर्म के नाम पर दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और महिलाओं पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी का विरोध कर रहा हूं और उसको करता रहूंगा।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."