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November 23, 2024 3:01 am

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54वें पुण्य स्मृति दिवस पर याद किये गए प्रजापिता ब्रह्मा बाबा

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आर के मिश्रा की रिपोर्ट

गोण्डा। नगर पंचायत परसपुर स्थित प्रजापिता ब्रह्मा कुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवा केन्द्र द्वारा बुधवार को ब्रह्मा कुमारीज संस्थान के साकार संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा का 54वां पुण्य स्मृति दिवस , विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया गया।

इस अवसर पर भाई बहिनों ने राजयोग (मेडिटेशन) द्वारा विश्व को शांति का दान दिया।ब्रह्मा कुमारी अनामिका बहन समेत उपस्थित भाई बहनों ने ब्रह्मा बाबा के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुये उन्हें याद किया।

वरिष्ठ राजयोगी ब्रह्माकुमार प्रताप नारायण मिश्रा ने उपस्थित भाई बहिनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रजापिता ब्रह्मा बाबा का सम्पूर्ण जीवन मानव जाति के लिए प्ररेणा स्रोत है।आज भी लाखों लोग उनके बताए मार्ग पर चलकर मानव कल्याण के लिए समर्पित हैं।

वर्तमान समय में सच्ची शांति की प्राप्ति का एक ही सत्य मार्ग शांति के सागर परमात्मा द्वारा स्थापित ब्रह्मा कुमारीज संस्थान है। परिवार को एक सूत्र में पिरोकर ही मूल्य निष्ट समाज की स्थापना कर वसुधैव कुटुम्बकम के सपने को साकार किया जा सकता है।

प्रजा पिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय परसपुर केन्द्र की प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्मा कुमारी अनामिका बहिन ने अपने सम्बोधन में कहा कि मनुष्य को संस्कार परिवार से ही मिलता है।यदि परिवार ठीक नहीं है तो बच्चों का जीवन बर्बाद हो जाता है,आज लोगों के घर टूटे जा रहें हैं।भाई -भाई,पिता -पुत्र में भी कड़ुआहट देखने को मिल रही है।आत्मीयता व परस्पर सामंजस्य का भाव अगर कम हो गया तो बच्चे समाज के अच्छे नागरिक नहीं बन पायेंगे।परिवार ठीक रहेगा तभी सब ठीक रह पायेगा।इसलिए परिवार में जीवन मूल्य सिखाएं तभी मानवता सुखी रहेगी।
वह संस्था के संस्थापक सदस्य दादा लेखराज जी के 54वें अवरोहण दिवस पर कार्यक्रम में आये हुए जिज्ञासुओं को संबोधित करते हुए आगे कहा कि सद्भावना व सत्कर्म से जो संस्कार बनता है उससे राष्ट्र वा समाज तथा विश्व का कल्याण होता है। आदर्श परिवार बनाने के लिए सबके प्रति स्नेह का भाव वा सबको जोड़कर एक समाज के नाते मिलकर रहने से समाज की शक्ति बढ़ेगी।एक दूसरे के प्रति प्रेम, करूणा दया क्षमा सद्भावना आत्मीयता सहयोग वा समन्वय की भावना होनी चाहिए।दूसरे के विकास में मन को प्रसन्नता होनी चाहिए। इसी को परिवार कहते हैं।परिवार का रूप क्या होता है इसके संदेश को परिभाषित करते हुए कहा कि प्रजापिता ब्रह्मा बाबा (दादा लेखराज) जी ने अपने जीवन में आत्मसात किया और यही शिक्षा अपनाये जाने के लिए बल दिया है। इसलिए हम जहां भी कार्य करें,वहां हमें परिवारिक भावना से ही कार्य करने चाहिए।आत्मिक प्रेम ,सामंजस्य-समन्यवय तथा सहयोग की भावना जो एक परिवार में होनी चाहिए वही भावना आपको प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में देखने को मिलती है,इस ईश्वरीय विश्वविद्यालय का संचालन विश्व के143 देशों में हो रहा है,जिसमें 99प्रतिशत लोग घर गृहस्थ वाले हैं तकरीबन 11लाख भाई- बहिनें प्रतिदिन एक समय पर,एक ही शिक्षा को जो विश्व भर के ब्रह्मा कुमारीज के सेंटरों पर दी जा रही, नियमित उसे अपने जीवन में धारण कर भाई-बहिनें अपने जीवन को श्रेष्ठ बना रहे हैं,इस परिवार में जो प्रेम और अपनत्व है,वह वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को सच्चे अर्थों में साकार कर रहा है।सबके प्रति आत्मिक दृष्टि कोण को अपना कर परिवारिक भाव से ही सबका भला होगा।

रामेंद्र नारायण सिंह ने कहा कि तपस्या सिर्फ जंगल में बैठने से नहीं होती,कोई भी कर्म साधना के साथ बिना स्वार्थ के किया जाए तो वह तपस्या है।आध्यात्मिक शिक्षा से आत्मा की उन्नति के अलावा विकास के साथ समाज के हित के लिए होता है।

सभासद जगदीश सोनी जी ने कहा कि ऐसी संस्थाएं समाज को नई दिशा देने का कार्य करतीं हैं।पिता श्री ब्रह्मा बाबा के पदचिन्हों पर चलकर उनके सत्य ज्ञान की बातें प्रतिदिन पांच लोगों तक पहुंचाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।

 इस अवसर पर प्रमुख रूप से अधिशाषी अधिकारी नगर पंचायत परसपुर उपेन्द्र कुमार उपाध्याय, अरूण कुमार सिंह,अनूप सिंह, रोहित सिंह,दिव्यांस चतुर्वेदी,ने अपने अपने विचार रखे।

उक्त अवसर पर वासुदेव सिंह,डी.एन.सिंह,राधेश्याम मिश्रा , अशोक मिश्रा, विनोद मिश्रा, प्रणोद मिश्रा, विपिन मिश्रा, उमा, रमा, पूनम,  पिंकी, सुषमा, रमा, ममता, सुन्दर पती माता समेत हजारों की संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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