सीमा शुक्ला की रिपोर्ट
रतलाम। मध्य प्रदेश का रतलाम ज़िला न्यायालय 10 जनवरी को एक ऐसे मामले की सुनवाई करने जा रहा है जिसमें मांगी गई मुआवज़े की रकम चर्चा का विषय है। मुआवज़े के तौर पर मांगी गई राशि है 10 हज़ार छह करोड़ दो लाख रुपये।
जी हां, आपने बिलकुल दुरुस्त पढ़ा, 10 हज़ार छह करोड़ दो लाख रुपये।
ये राशि गैंगरेप के एक ऐसे मामले के लिए मांगी गई है जिसमें कांतिलाल सिंह को दो साल तक जेल में रहना पड़ा लेकिन बाद में कोर्ट ने उन्हें तमाम आरोपों से बरी कर दिया।
लेकिन कांतिलाल के लिए केस यहीं ख़त्म नहीं हुआ है। उन्होंने कोर्ट से गुहार लगाई है कि ‘जेल में रहने के कारण हुए नुक़सान के लिए उन्हें मुआवज़ा दिलाया जाए।’
कांतिलाल ने छह करोड़ रुपये तमाम दूसरे नुक़सान के लिए मांगे हैं, जबकि 10 हज़ार करोड़ की भारी भरकर रकम ‘ जेल में बिताए 666 दिन तक यौन सुख से वंचित रहने’ के बदले मांगी गई है।
आदिवासी समुदाय के कांतिलाल ने कोर्ट में अपने वकील विजय सिंह यादव के ज़रिये याचिका दायर की है।
मुआवज़े से जुड़ी याचिकाओं में कोर्ट फ़ीस भी लगानी होती है लेकिन ‘विशेष प्रावधान के तहत’ कांतिलाल ने शुल्क मुक्ति का आवेदन भी लगाया है।
कांतिलाल सिंह उर्फ कांतु रतलाम से लगभग 55 किलोमीटर दूर स्थित घोड़ाखेड़ा के रहने वाले हैं।
कांतु ने बताया, “मुझे इस केस में बेवजह फंसाया गया था जबकि मैं बेगुनाह था। मुझे दो साल तक जेल में रहना पड़ा। मेरी पूरी जिंदगी बदल गई। मुझे कई तरह की प्रताड़ना का सामना करना पड़ा। मुझे उसका मुआवज़ा मिलना चाहिये।”
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कांतिलाल का यह भी कहना है कि न सिर्फ उन्होंने, बल्कि उनके पूरे परिवार ने तमाम दिक्क़तों का सामना किया।
वो बताते हैं, ” परिवार के पास खाने तक को कुछ नहीं रहता था।” उनकी गैरमौजदूगी में वो ‘बेघर हो गये। बच्चों का पढ़ना-लिखना छूट गया।’
कांतिलाल गिरफ़्तारी से पहले मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। उनका ये भी दावा है कि जेल से छूटने के बाद भी उन्हें कोई काम देने को तैयार नहीं. इसकी वजह वो ‘गंभीर आरोप’ हैं, जो उन पर लगाए गए थे।
कांतिलाल के परिवार में उनकी मां और पत्नी के अलावा तीन बच्चे है। उनकी एक बहन और उनका बच्चा भी उनके साथ रहते हैं। कांतिलाल के मुताबिक उनके भरण पोषण की जिम्मेदारी भी उन्हीं की थी।
10 हज़ार करोड़ मुआवज़े के सवाल पर कांतिलाल के वकील विजय सिंह यादव ने कहा कि मानव जीवन की कोई क़ीमत तय नहीं की जा सकती।
उन्होंने कहा, ” ग़लत मामले की वजह से एक व्यक्ति का जीवन बर्बाद हो जाता है। उसके परिवार को तरह-तरह की दिक्क़तों का सामना करना पड़ता है। लेकिन किसी को कोई फर्क नही पड़ता है। इसलिए ये जरुरी है कि उसे उसका उचित मुआवज़ा मिलें।”
यादव का ये आरोप भी है, ‘जिस महिला ने कांतिलाल पर आरोप लगाया था, उसने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया।’
वो ये संदेश भी देना चाहते है कि ग़रीबों के भी अपने अधिकार होते हैं और पुलिस उन्हें जब चाहे तब बेवजह के मामले में नहीं फंसा सकती।
विजय सिंह यादव कहते हैं, ” दो साल तक जेल में रहकर कांतिलाल बाइज्ज़त बरी हो गए लेकिन उनके जीवन की जो पीड़ा है या ये कहें कि एक ग़रीब को जेल से बाहर आने के बाद जिस तकलीफ़ से गुज़रना पड़ता है वो भी लोगों को पता चलना चाहिए।”
लगाए गए ग़लत आरोप
कांतिलाल पर गैंगरेप का आरोप जनवरी 2018 में लगाया गया था। ये आरोप पूरी तरह ग़लत था।
वकील यादव का कहना है कि इस मामले में जो बात सामने आयी है, उससे जानकारी हुई कि महिला के पति ने निजी वजह से आरोप लगाया था। उन्होंने बताया कि महिला छह महीने तक अपने घर नहीं लौटी। लेकिन इस दौरान उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं कराई गई थी।
किन बातों के लिए मांगा मुआवज़ा
कांतिलाल को कोर्ट ने 20 अक्टूबर 2022 को सभी आरोपों से दोषमुक्त कर दिया। इस दौरान वो पूरे 666 दिन जेल में रहे।
कांतिलाल ने वकील के जरिए जो मुआवज़ा मांगा है उसमें उन्होंने अलग अलग दिक्कतों के लिए अलग अलग मुआवज़ा मांगा है।
क्षतिपूर्ति की मांग वाली याचिका में एक करोड़ रुपये व्यवसाय में नुकसान और जीवन में उत्पादक वर्षों की हानि के लिये मांगे हैं।
एक करोड़ रुपये प्रतिष्ठा में नुकसान के लिये मांगे हैं।
एक करोड़ रुपये शारीरिक और मानसिक पीड़ा के लिए मांगे गए हैं।
एक करोड़ रुपये पारिवारिक जीवन के नुकसान के लिए और एक करोड़ रुपये शिक्षा और कैरियर की प्रगति के लिए अवसरों के नुकसान के कारण मांगे हैं।
इसके अलावा दो लाख रुपये कोर्ट में लड़ने के लिये मांगे हैं।
सबसे ज्यादा 10 हज़ार करोड़ रुपये का मुआवज़ा भगवान से इंसानों को मिले ‘यौन सुख उपहार’ से वंचित रहने के लिए मांगा गया है।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."