कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
यूपी निकाय चुनाव की तारीखों के ऐलान पर हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है। एक हफ्ते तक तारीख पर तारीख के बाद अब 27 दिसंबर, मंगलवार को कोर्ट इस पर फैसला सुनाएगा। मंगलवार को जब कोर्ट का फैसला आएगा तो बहुत मुमकिन है कि चुनाव पर रोक जारी रहे। ऐसा कहने के पीछे तीन अहम वजह हैं। ये तीन ऐसी वजहें हम बता रहे हैं।
पहली वजह नंबर 1
शनिवार को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जज राज्य सरकार के हलफनामे से बहुत खुश नहीं दिखे थे। मामले पर कोर्ट ने सरकार के वकील से कहा, “आपने जो ये एक्सरसाइज की है उसका कोई डाटा नहीं है। बिना डाटा के ये एक्सरसाइज पूरी कैसे कर ली है। कोर्ट उनसे डाटा मांग रही थी लेकिन सरकार ने कोर्ट के सामने कोई डाटा पेश नहीं किया है।”
आरक्षण पर कोर्ट का ये कहना है कि ये तभी लागू होगा, जब ट्रिपल टेस्ट को फॉलो कर किया जाए। कोर्ट ने ये भी कहा कि इस बार ओबीसी आरक्षण को लागू करने में ट्रिपल टेस्ट को फॉलो नहीं किया गया है। वहीं सरकार का कहना है कि स्थानीय निकाय चुनाव मामले में 2017 में हुए ओबीसी के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। कोर्ट इस बात से सहमत नहीं है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान जिस तरह का रुख अपनाया उसे देखते लगता है कि मौजूदा नोटिफिकेशन पर अदालत राजी नहीं होगी। ऐसे में फिलहाल रोक जारी रह सकती है।
वजह नबंर 2
16 फरवरी से 28 फरवरी तक यूपी बोर्ड के प्रैक्टिकल एगजाम होने हैं। सभी कक्षाओं में कोर्स पूरा करने की आखिरी तारीख 20 जनवरी है। जनवरी के तीसरे हफ्ते में प्री -बोर्ड के प्रैक्टिकल एग्जाम हैं। 1 से 15 फरवरी तक प्रीबोर्ड के एग्जाम शुरू होंगे। बोर्ड परीक्षा मार्च में होगी। चुनाव के लिए स्कूलों की जरूरत होती है, ऐसे में तारीखें आपस में टकराई तो फिर चुनाव आगे बढ़ाना पड़ सकता है।
2017 में नंवबर में पड़ गए थे वोट
2017 में नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना 28 अक्टूबर को जारी हुई थी, और पहले चरण की वोटिंग 22 नवंबर को हुई थी। 26 को दूसरे चरण और 29 नवंबर तीसरे चरण के लिए मतदान हुआ। वोटों की गिनती 1 दिसंबर को हुई थी।
वजह नंबर 3
शुक्रवार को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई समय की कमी के चलते टल गई थी। इसके बाद 24 दिसंबर दिन शनिवार को सुनवाई हुई। समय की कमी के चलते अब कोर्ट 27 दिसम्बर को कोर्ट इस पर फैसला सुनाएगा।
24 दिसंबर से 31 दिसंबर तक कोर्ट में अवकाश है। कोर्ट ने अगली सुनवाई 27 दिसंबर यानी छुट्टी वाले दिन ही रखी है। अगर 27 दिसंबर को कुछ हल नहीं निकलता तो फिर हो सकता है कि लंबी तारीख मिल जाए। इसके बाद मामला मार्च तक भी खिंच जाए, ऐसा हो सकता है।
Author: samachar
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