राकेश तिवारी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और उसकी चिर प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी के बीच है। यही वजह है कि भाजपा और सपा ने इस चुनाव को लेकर अपनी रणनीति को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है। प्रदेश के अधिकसंख्य जिलों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलनों को सम्बोधित कर चुके हैं। जबकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव प्रदेश के सभी जिलों में अपने दौरों की शुरुआत कर चुके हैं। निकाय चुनाव में आरक्षण को ले कर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में मामला लंबित है। इस वजह से सभी राजनीतिक दल इस मामले में निर्णय आने की प्रतीक्षा में हैं।
इस बार के निकाय चुनाव में 17 नगर निगमों में महापौर पद के लिए दो सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गई हैं। इसमें दो सीटों में एक महिला के लिए आरक्षित की गई है। वहीं, उत्तर प्रदेश नगर निगम में चार सीटें पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित की गई हैं। इनमें दो सीटें महिला के लिए सुरक्षित रखी गई हैं। नगर निगम के अलावा उत्तर प्रदेश में 200 नगर पालिका परिषद की सीटें हैं। इनमें अनुसूचित जाति के लिए 27 सीटें आरक्षित हैं।
जबकि पिछड़ा वर्ग के लिए 54 आरक्षित हैं। इनमें 79 सीटें अनारक्षित हैं। वहीं महिलाओँ के लिए 40 सीटें आरक्षित की गई हैं। भारतीय जनता पार्टी ने निकाय चुनाव का ले कर नगर निगम, नगर पंचायत और टाउन एरिया प्रभारियों की नियुक्ति की है। इन प्रभारियों में कैबिनेट स्तर के मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। यहां इस बात का खास ख्याल रखा गया है कि जिन कबीना मंत्रियों को जिम्मा सौंपा गया है, उनका ताल्लुक उस इलाके से न हो। इसी क्रम में नगर पंचायत और नगर पालिका स्तर पर स्थानीय लोगों को संयोजक बनाया गया है। वहीं उम्मीदवारों के नाम तय करने के लिए सांसद, विधायक, भाजपा के जिला व नगर अध्यक्ष और सभी उप क्षेत्रों के महामंत्रियों को स्क्रीनिंग कमेटी में रखा गया है।
इस बाबत भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता मनीष शुक्ला कहते हैं कि सभी नगर निगमों और नगर पालिकाओं में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन किए जा चुके हैं। इन सम्मेलनों में से अधिकांश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद शिरकत की है। उधर, समाजवादी पार्टी ने भी निकाय चुनाव के लिए अपनी कमर कस ली है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेन्द्र चौधरी कहते हैं कि मंहगाई, बेरोजगारी, लचर कानून व्यवस्था के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए यह अभियान चलाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की खस्ताहाल सड़कें और शहरों में फैली गंदगी भी इस बार के निकाय चुनावों में बड़ा मुद्दा होंगे जिसे पार्टी प्रमुखता से जनता के बीच ले कर जाएगी। वे कहते हैं, उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव 2024 में होने वाले लोगसभा चुनाव की तस्वीर साफ कर देंगे।इस चुनाव के परिणाम इस बात की ताकीद करांगे कि जमीनी स्तर पर प्रदेश में किस पार्टी की कितनी पकड़ है।
Author: samachar
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