नौशाद अली की रिपोर्ट
बलरामपुर उतरौला। हजरत शेख़ अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां की यौमे पैदाइश के मौके पर शहर में अदबो-एहतराम के साथ खुशियां मनाई गई। इस मौके पर मदरसा, मस्जिद व घरों में ‘महफिल-ए-गौसुलवरा’ का आयोजन कर नियाज़ फातेहा कराया गया।
सुबह फज्र की नमाज के बाद कुरआन ख्वानी, नियाज-फातिहा का सिलसिला शुरू हुआ जो पूरे दिन चलता रहा। कई जगह लंगर ख्वानी का कार्यक्रम हुआ, जिसमें तमाम अकीदतमदों ने भोजन ग्रहण किया।
अंजुमन गुलामाने मुस्तफा दरगाह शाहजहानी कमेटी सदर नकी शाह एवं मुफ्ती जमील अहमद खान की जेरे कयादत में शाहजहानी शाह की दरगाह से जुलूस-ए गौसिया निकाला गया।
इस्लामी लिबास कुर्ता पाजामा पहने सिर पर साफा टोपी, इस्लामी झंडा लिए “गौस का दामन नहीं छोड़ेगें”नारे तकबीर अल्लाह हू अकबर, हिन्दुस्तान जिंदाबाद का नारा लगाते हुए अकीदतमंदों का काफिला आकर्षण का केंद्र रहा।
मास्टर शबी अहमद खान एवं अन्य कई नातीया शायर का नात सुनकर जुलूस में शामिल अकीदतमंद झूम उठे।
जुलूस शाहजहानी दरगाह से हाटन रोड, जामा मस्जिद, गोण्डा मोड़, कर्बला पहुंचा जहां मौलाना आसिफ रजा एवं मौलाना गुलाम अहमद रजा ने खिताब फरमाया। कहा कि आज हम अपने अकाबिर ‘औलिया-ए-किराम’ और बुजुर्गाने दीन यहां तक कि पैगंबर-ए-आजम के तरीके और वाकयात को सुनकर खुश हो लेते हैं। लेकिन अपनी जिंदगियों से उसे छोड़ रखा है। यह समझ लिया है कि यह सारी चीजें सिर्फ सुनाने के लिए हैं। अगर हम और आप हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां अम्बिया अलैहिस्सलाम के सच्चे जानशीन हैं। इस्लाम व ईमान की रोशनी इन्हीं के जरिए से हम तक पहुंची है। अहकाम-ए-शरीयत का पालन कीजिए, जिंदगी संवर जायेगी।
इस मौके पर महफूज गनी, सलमान जमशेद, चौधरी इरशाद अहमद गद्दी, जमील अहमद, हाफिज अब्दुल दय्यान, बाकर रज़ा, आमिर निजाम, मेराज अहमद, कलीम सिद्दीकी, अल्ताफ अहमद, मौलाना शोएब, तूफेल, रिजवान अहमद, जिलानी सहित सैकड़ों की संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहे।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."