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23 February 2025 4:50 pm

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Vedio: कोई तैरकर बच आया, तो कोई कंधे पर लाश लिए भाग रहा था ; 43 साल बाद फिर दहल उठा मोरबी

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निर्मला कपूर की रिपोर्ट 

रविवार को गुजरात में मोरबी शहर की मच्छू नदी पर बना सस्पेंशन ब्रिज टूट गया। इस पर करीब 500 लोग सवार थे, जो नदी में जा गिरे। हादसे में 140 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और 70 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है।

राजकोट के भाजपा सांसद मोहन कुंदरिया की फैमिली के 12 लोगों की जान चली गई। हादसे से जुड़े कुछ VIDEO सोशल मीडिया में वायरल हैं। ब्रिज टूटने से तुरंत बाद का वीडियो दिखाई दे रहा, जिसमें लोग टूटे ब्रिज पर लटके हुए मदद की गुहार लगा रहे हैं। हादसे के बाद कोई तैरकर बच आया तो किसी को वहां पर मौजूद लोगों ने बचाया। वहीं, वीडियो में कुछ लोग एक शव को लिए भाग रहे थे।

इस भयानक हादसे ने मोरबी के लोगों की फिर से एक दर्दनाक घटना की याद दिला दी थी। यह हादसा मच्छू नदी के डैम टूटने से हुआ था। आइए जानते हैं कि किस तरह 11 अगस्त 1979 को यह पूरा शहर किस तरह श्मशान में तब्दील हो गया था।

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ओवरफ्लो हो गया था डैम

लगातार बारिश और स्थानीय नदियों में बाढ़ के चलते मच्छु डैम ओवरफ्लो हो गया था। इससे कुछ ही देर में पूरे शहर में तबाही मच गई थी। 11 अगस्त 1979 को दोपहर सवा तीन बजे डैम टूट गया और 15 मिनट में ही डैम के पानी ने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया था। देखते ही देखते मकान और इमारतें गिर गईं थी, जिससे लोगों को संभलने तक का मौका भी नहीं मिला था।

हादसे में 1400 लोगों की मौत हुई थी

सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस हादसे में 1439 लोगों और 12849 हजार से ज्यादा पशुओं की मौत हुई थी। बाढ़ का पानी उतरने के लोगों ने भयानक मंजर देखा। इंसानों से लेकर जानवरों के शव खंभों तक पर लटके हुए थे। हादसे में पूरा शहर मलबे में तब्दील हो चुका था और चारो ओर सिर्फ लाशें नजर आ रही थीं। इस भीषण हादसे के कुछ दिन बाद इंदिरा गांधी ने मोरबी का दौरा किया था, तो लाशों की दुर्गंध इतनी ज्यादा थी कि उनको नाक में रुमाल रखनी पड़ी थी। इंसानों और पशुओं की लाशें सड़ चुकी थीं। उस समय मोरबी का दौरा करने वाले नेता और राहत एवं बचाव कार्य में लगे लोग भी बीमारी का शिकार हो गए थे।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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