सुहानी परिहार की रिपोर्ट
खरगोन। घर से पानी भरने गई एक युवती पेट्रोल टैंकर में हुए ब्लास्ट की आग में जलकर खाक हो गई। उसकी दूसरी बहन 100% जल चुकी थी। अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया। हादसे में घायल कई लोग अस्पताल में भर्ती हैं।
वो हल्के गड्ढे में खड़े होकर जलता पेट्रोल टैंकर देख रही थी। दूसरे लोग भी ऊपर ही खड़े थे, तभी टैंकर में ब्लास्ट हुआ। पूरा पेट्रोल उड़कर गड्ढे में भर गया। गड्ढे के पेट्रोल से आग बड़ा गोला बन गई। गुड़िया उसी गड्ढे में ही फंस गई। वह चीखते हुए पलभर में खाक हो गई। जैसे कोई कागज का टुकड़ा जलता है। उसका सिर्फ कंकाल बचा। उसके तो इसी साल हाथ पीले करने वाले थे, हमें तो हाथ भी साबुत नहीं मिला, सिर्फ खोपड़ी मिली।
यह दर्द है खरगोन पेट्रोल-डीजल टैंकर ब्लास्ट में कंकाल बनी गुड़िया (20) की ममेरी बहन प्रीतिबाला डाबर (20) का। आपको बता दें, गुड़िया इकलौती युवती थी जो उस हादसे में कंकाल बन गई। शनिवार तक युवती समेत 7 लोगों की मौत हो गई। रविवार को दो और लोगों ने दम तोड़ दिया। 13 लोग अब भी जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं।
पढ़िए हादसे में बहन को खोने वाली ममेरी बहन की आंखों देखी…
बुधवार तड़के गुड़िया रोज की तरह परिवार के साथ पानी भरने के लिए हैंडपंप पर गई थी। वहां पेट्रोल-डीजल से भरा टैंकर जलता हुआ मिला। करीब एक-दो घंटे हो गए थे। मौके पर कोई नहीं था। वहां पर पाइप लाइन के लिए खुदाई हुई थी इसलिए गड्ढा था। गुड़िया उसी गड्ढे में खड़ी हो गई। वो जलते टैंकर को देखने लगी। अचानक ही पेट्रोल टैंकर में ब्लास्ट हो गया।
बहुत सारा पेट्रोल गड्ढे में और गुड़िया पर जा गिरा। गोले की तरह आग भभकी और गुड़िया तिलमिला उठी। वो गड्ढे में ही फंस गई और निकलने के लिए तड़पती रही। वह बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी लेकिन जमीन समतल नहीं मिलने से गड्ढे में ही रह गई। वह चीख रही थी। टैंकर में ब्लास्ट के बाद सब जगह हाहाकर मचा था, लोग भाग रहे थे।
लोग फफकते हुए कह रहे थे ये गुड़िया है…
हमें भी कंकाल देखकर यकीन नहीं हो रहा था कि ये लड़की गुड़िया ही है। पहचान बताई पर आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था। वहां बस एक खोपड़ी दिख रही थी। बाकी सबकुछ चीथड़े-चीथड़े हो चुका था। लोग फफकते हुए हर किसी को बता रहे थे कि ये गुड़िया है…।’ सोशल मीडिया पर गुडिया के कंकाल के फोटो-वीडियो जिंदगीभर हमें सालते रहेंगे।
दिवाली बाद रचना थी मेहंदी
गुड़िया के परिवार में मां, बाप के अलावा बहन सपना और भाई राहुल है। गुड़िया सबसे बड़ी थी और पढ़ना छोड़ चुकी थी। परिवार वाले इसी साल दिवाली बाद उसकी शादी करने वाले थे। कई जगह रिश्ते के बात हो रही थी।
गुरुवार को इस कांड में झुलसी गुड़िया की दूसरी ममेरी बहन मीरा बबलू (28) की भी मौत हो गई। मीरा की कहानी भी बहुत दुखद है। उसकी शादी करीब 5 साल पहले झगड़ी (बिष्टान-खरगोन) में हुई थी। परिवार में पति बबलू, बड़ी बेटी रोशनी (4) और बेटा आकाश (2) है। इस बार उसने कहा था कि मैं दीपावली मायके में मनाऊंगी। वह धनतेरस पर दोनों बच्चों को लेकर अंजनगांव मायके आ गई थी।
दीपावली के दिन सुबह वह भी रिश्तेदारों के साथ पानी भरने हैंडपंप तक गई थी। इस दौरान हल्की सी ठंड थी तो वह स्वेटर पहनकर निकली थी। वह भी अन्य लोगों के साथ रास्ते में पलटे पेट्रोल टैंकर को देखने लगी। टैंकर ब्लास्ट हुआ तो आग का गोला सीने पर टकराया। वह आग की लपटों से घिर गई। इस दौरान काफी चीख-पुकार मची थी। उसे भी अन्य लोगों के साथ अस्पताल पहुंचाया गया। यहां डॉक्टरों ने बताया कि वह 100 पर्सेंट जल चुकी है। यहां एमवाय अस्पताल में चार दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष चला और गुरुवार को उसने भी दम तोड़ दिया।
बर्न यूनिट में सिर्फ कराहती आवाजें गूंज रही हैं, बाहर मुरझाए चेहरे हैं..
इंदौर के एमवाय अस्पताल में बर्न यूनिट में इतनी कराहती आवाजें गूंज रही हैं कि स्टाफ की आंखें भी डबडबा जाती हैं। बाहर बैठे परिवार के लोगों के चेहरे मुरझाए हुए हैं। जैसे कोई आया और जिंदगीभर के लिए सबकुछ खत्म कर गया। शनिवार को हादसे में झुलसे 5 लोगों की उपचार के दौरान मौत हो गई।
जिन लोगों की मौत हुई है उनके नाम अनिल पिता नत्थू, उसके पिता नत्थू पिता नानसिंह (40), हीरालाल पिता सरदार (25), मनु पिता भावसिंह (20) व कन्हैया पिता शेरसिंह हैं।
इसके पूर्व सबसे पहले रंगू उर्फ गुडिया की मौके पर मौत हुई थी जो जलकर कंकाल हो गई थी। फिर उसकी ममेरी बहन मीरा की उपचार के दौरान मौत हो गई। हादसे में कुल 9 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से कन्हैया को छोड़कर सभी आपस में रिश्तेदार हैं। इसके अलावा शिवानी पिता प्रकाश (12), उसकी मां सुरमा, लक्ष्मी पिता गोरेलाल (13), कमला पति कालू (35), बादल पिता मनुसिंह (16) मालूबाई पति वैरतिया (40), सपना पिता गोरेलाल (18) व रामसिंह पिता नानसिंह (30) एडमिट हैं। मृतक अनिल को दो बच्चे हैं जबकि मनुसिंह की तीन माह की बेटी है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."