इरफान अली की रिपोर्ट
देवरिया । भाटपार रानी तहसील क्षेत्र के रानी पोखरा सोहन पार लखना उर्फ डोमडीह मे मनाया गया छठ का त्यौहार। संतान के दीर्घायु और सफलता के लिए माताएं रखती हैं 36 घंटे का व्रत। छठ पर्व को बिहार उत्तर प्रदेश के साथ साथ पूरे भारत में मनाया जाता है और अब तो विदेशों में भी इसका प्रचलन पड़ता जा रहा है।
इस व्रत को माताएं अपनी संतानों के लिए रखती हैं जिसमें वे 36 घंटे निर्जल उपवास करती हैं। इसे सबसे कठिन व्रत कहा जाता है । यहां पर हर साल कार्तिक मास की शक्ल पक्ष की षस्ठी तिथि को मनाया जाता है।
छठ का पहला दिन नहाए खाए दूसरा दिन खरना तीसरा दिन गुप्तेश्वर और चौथा दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है इसके बाद व्रत का समापन किया जाता है। नहाए खाए से छठ पूजा की शुरुआत होती है जिसमें नदी या घर में स्नान करने के बाद छठ व्रतियां प्रसाद बनाती हैं। इस दिन सिर्फ लौकी और कद्दू की सब्जी बनती है और सोंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है।
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नहाए खाए के बाद दूसरा दिन खरना होता है। इस दिन छठ व्रती गुड़ की खीर का प्रसाद बनाती है जिसे रात के समय खाती हैं और बाकी है नहाए खाए और खरना के बाद छठ व्रती का 36 घंटे का व्रत शुरू हो जाता है। छठ पूजा का तीसरा दिन खास माना जाता है। इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है जो इस साल 30 अक्टूबर 2022 की रिपोर्ट शाम 5 बजकर 34 मिनट से शुरू हो जाएगा। छठ पूजा के चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस साल 31 अक्टूबर 2022 की सुबह 6:00 बज कर 27 मिनट से शुरू होगा।
इस पर्व पर साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान दिया जाता है। छठ व्रती मां गंगा यमुना या किसी नदी के किनारे आराधना करती हैं। छठ पर्व पर घरों से लेकर घाटो तक पारंपरिक गीतों की आवाज सुनाई देती है।
Author: samachar
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