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November 22, 2024 4:47 pm

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राज्य स्तर पर पहली बार शैक्षिक चुनौतियों को यादगार बना दिया इस “शोध शैक्षिक यात्रा” ने

15 पाठकों ने अब तक पढा

हंसराज तंवर

राजस्थान राज्य सरकार द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने व शिक्षा प्राप्त करने से कोई वंचित ना रहे इस सोच को सार्थक करने के लिए सरकार ने राज्य स्तर पर पहली बार शैक्षिक चुनौतियों व राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही जन उपयोगी योजनाओं की वर्तमान स्थिति को जानने व उनको और बेहतर करने की संभावनाओं की तलाश हेतु राज्य स्तरीय शोध कराने का साहसिक निर्णय लिया है। इस हेतु पूरे राज्य की 33 डाइट( जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) को 8 समुह में बांटा गया है। प्रत्येक समुह में एक डाइट को लीडर डाइट बनाया गया है।जयपुर लीडर डाइट में पांच डाइट को शामिल किया है।बाकी अन्य सभी में चार डाइट को मिलाकर समूह बनाया गया।

इसी कड़ी में बीकानेर लीडर डाइट के साथ टोंक, राजसमंद व झुंझुनू डाइट को जोड़ा गया है।इस समुह को बीकानेर डाइट के नेतृत्व में NMMS( नेशनल मींस कम मेरिट स्कॉलरशिप) की वर्तमान स्थिति व संभावनाओं का अध्ययन शोध का विषय दिया गया था। प्रत्येक डाइट से चार- चार संभागीय डाइट बीकानेर में दिनांक 10 अक्टूबर से 15 अक्टूबर 2022 तक आकल्प व उपकरण निर्माण हेतु छ: दिवसीय कार्यशाला बीकानेर डाइट में रखी गई। इस शोध कार्यशाला में भाग लेने के लिए टोंक डाइट ने चार शिक्षकों का जिनमें श्री विष्णु दाधीच टोंक, श्री बद्रीलाल गुर्जर मालपुरा, श्री दिनकर विजयवर्गीय पीपलू और मैं हंसराज तंवर उनियारा का चयन किया गया। हम चारों शिक्षक साथी इस शोध विषय पर काम करने के लिए बड़े उत्साहित होकर 9 अक्टूबर वार रविवार को जयपुर रेल्वे स्टेशन पर बड़ी गर्मजोशी के साथ मिले और बीकानेर जाने के लिए ट्रेन का टिकट बुक करवाया। चारों शिक्षक साथियों ने बीकानेर के दृश्य स्थलों को देखने की योजना भी ट्रेन में ही बना ली। ट्रेन में शोध विषय से संबंधित अपने- अपने अनुभव भी एक दूसरे के साथ साझा किए गए।

विष्णु जी दाधीच, बद्रीलाल जी गुर्जर ने विगत वर्षों में जिला स्तरीय शोध के अपने अनुभव भी हमारे साथ साझा किए। साथ ही दिनकर जी विजयवर्गीय ने इस वर्ष राज्य स्तर पर कक्षा 6 से 8 वाले समुह में राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान प्राप्त किया था। उनसे हमने उनके शैक्षणिक नवाचारों के बारे में भी जानकारी ली। मैंने भी सभी साथियों को मेरे द्वारा स्वरचित दो पुस्तकें मन की हूंक व गुरुज्ञान के बारे में अपने अनुभव व चुनौतियों को साझा किया।

ट्रेन में भी ज्यादा भीड़-भाड़ नही थी।मीठी- मीठी सर्दी में यात्रा का हमको भरपूर आनंद आ रहा था।

पुरे सफ़र में हमने एक-दो घंटे की ही नींद निकाली बाकी समय तो कई सारी चर्चाओं में ही कब व्यतीत हो गया पता ही नही चला। हम सभी साथी प्रातः ठीक 5:00 बजे हमारा मुकाम जाट धर्मशाला बीकानेर जहां पर हमारे ठहरने की डाइट बीकानेर द्वारा व्यवस्था की थी।वहां हम टेंपो के द्वारा पहुंच गए।
वहां हमको ठहरने के लिए एक बड़ा कमरा मिला। उसमें हम चारों साथी अपने-अपने बिस्तर पर सफ़र की थकान मिटाने के लिए थोड़ी देर विश्राम करने लगे।

वापस सुबह 6:00 बजे उठ कर अपने दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर, स्नान करके तरोताजा होकर डाइट बीकानेर के लिए प्रस्थान किया। हम चारों साथी ठीक 9:30 बजे डाइट बीकानेर कार्यालय पहुंच गए। वहां के IFIC प्रभारी श्री राजेंद्र जी भामू से मिले। उनसे मिलकर हमें बड़ी खुशी हुई। भामू सहाब बहुत ही विनम्र और सादगी पसंद व्यक्तित्व के धनी थे।चारों डाइट से 16 संभागी 11:00 बजे तक पहुंच गए थे। सबने गर्मागर्म समोसे व चाय का आनन्द लिया। तत्पश्चात कार्यशाला की शुरुआत करने हेतु निश्चित कक्ष में पहुंचे। वह विशेष कक्ष सभी आवश्यक सुविधाओं से युक्त था। R O का पानी बिजली,(मय इनवटर) माइक कुर्सी,टेबल व एयरकंडीशन सभी एवन क्लास की व्यवस्थाएं थी।उसमें बैठकर छः दिन काम करने का बहुत आनंद आया। कार्यशाला की शुरुआत में राजेंद्र जी सर व रविकांत जी सर SRG दोनों ने सभी के हालचाल, सफ़र की परेशानीयों के बारे में जानकारी लेकर की जो सभी साथियों के मन को छू गई। उसके पश्चात छः दिवसीय कार्यशाला का एजेंडा सबके साथ शेयर किया गया। जिसमें बताया गया की शुरू के दो दिन आकल्प निर्माण और बाकी चार दिनों में ‌उपकरण निर्माण पर चिंतन, मनन किया जायेगा। सभी साथियों की राय से प्रतिदिन कार्यशाला का समय सुबह 10:00 बजे से प्रारंभ होकर साय:काल 4:00 बजे तक चलाना तय किया।दोपहर में 1 घंटे का लंच टाइम भी रखा गया।

चारों डाइट से पधारे सभी संभागियो का आपस में परिचय हुआ।सभी संभागी बहुत ही मिलनसार व शोध विषय में एक्सपर्ट थे।यह बात परिचय सत्र से समझने में आई। सबने मिलकर पूरे छ: दिन शोध विषय पर पुरे मनोयोग से गहन चिंतन मनन करके सरकार की मंशा के अनुरूप आकल्प व उपकरण निर्माण का कार्य बेहतर ढंग से किया। उपकरण में तीन तरह की प्रश्नावलियां तैयार की जो संस्थाप्रधान, विद्यार्थी व अभिभावकों के लिए बनाई गई थी। नवंबर माह में सभी सदस्यों को दत्त संकलन का कार्य अपने अपने संभाग के जिलों में अपनी डाइट के माध्यम से करना है। इसके बाद आगामी दिसंबर महिने में दत्त विश्लेषण व प्रतिवेदन लेखन कार्य के लिए पु:न हम सब साथी चार दिवसीय एक और कार्यशाला में वापस बीकानेर मिलने के लिए तैयार रहने को कहा गया।

सबने इस कार्य को पूर्ण सफलता के साथ संपन्न करने का विश्वास दिलाया।
इन छ: दिनों में कार्यशाला के समय के अतिरिक्त सुबह -शाम के समय में हम चारों साथियों ने जो हमारा प्लान था। बीकानेर के दर्शनीय स्थलों का भ्रमण करने का, उसके लिए हम रोज टेंपो लेकर निकल जाते थे।

पहले दिन हमने जूनागढ़ किले का भ्रमण किया। गढ़ गणेश जी महाराज‌ का मंदिर देखा। किले में स्थित म्यूजियम भी देखा।पुरे किले का हमने दो घंटे तक मनोरम भ्रमण किया। वहां के खास- खास स्थानों व वस्तुओं की फोटोग्राफी भी की।उसके बाद हम भांडासर जैन मंदिर गए। बहुत ही सुंदर प्राचीन जैन मंदिर था। मंदिर के बारे में पूरी जानकारी हमारे साथी दिनकर जी ने पुजारी जी से ली। काफी व्यक्ति उस मंदिर को रोज देखने आते है।

उस दिन शाम को ही हमने बीकानेर के प्रसिद्ध रसगुल्ले छोटू मोटू वाले खाए। शुद्ध देशी घी की पुड़ी, दानामेथी की सब्जी का आनंद लिया।

रामपुरिया की हवेलियां देखे

उनकी कलात्मकता को देखकर हमारी दांतो तले उंगली दब गई।
राव बीकाजी का राजकीय संग्रहालय भी देखा। उसमें बहुत ही पुरानी मूर्तियां और उनके अस्त्र-शस्त्र को देखकर मन मुग्ध हो गया। शाम को शानदार केर सांगरी की सब्जी और रोटी का आनंद लिया। 

देवी करणी माता के दर्शन करके अपने आपको धन्य किया

करणी माता के दरबार में हम पूरे दो घंटे रहे।माता के मंदिर का बारीकी से अवलोकन किया। मां की कृपा से हमे वहां चील के दर्शन भी हुए। वहां ऐसी मान्यता है की चील मां का ही रूप मानी जाती है। उसके दर्शन भाग्य से ही होते है। हमने मां की आरती के दर्शन भी किए। देशनोक के प्रसिद्ध भोजनालय पर हमने शानदार सब्जी और रोटी का भरपुर आनन्द लिया। मां के दर्शन कर मन बड़ा प्रसन्न था। वहां से वापस रात के 9:00 बजे बीकानेर धर्मशाला में आ गए।

चौथे दिन हमने केमल सफारी का भरपुर आंनद लिया

राष्ट्रीय अश्व अभ्यारण्य केन्द्र भी देखा। उसके बाद प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बजरंग धोरा बालाजी के दर्शन कर अपने आपको को धन्य किया। शाम को राजस्थानी ढ़ाबे पर बाजरे की रोटी और प्याज-लहसुन की चटनी, सांगरी की सब्जी व पेट भरकर छाछ दही का लुत्फ उठाया।

*पांचवें दिन हम निदेशक महोदय से मिलने माध्यमिक शिक्षा निदेशालय बीकानेर पहुंचे*। वहां पर हमने निदेशक महोदय श्रीमान गौरव अग्रवाल जी से मिले। निदेशक महोदय को मेरे द्वारा स्वरचित पुस्तके भेंट की।

श्री गौरव सर हमारे जिले टोंक में जिला कलेक्टर रहकर आए थे। उनसे मिलकर हमको बहुत खुशी हुई।उनकी नम्रता व सादगी के हम कायल हो गए। उनको भी हमारा इस तरह बिना कोई समस्यां लिए मिलना बहुत अच्छा लगा। उन्होंने हमारे काम की भी बहुत तारिफ की।लेखन कार्य निरंतर करते रहने की उन्होंने हमें सलाह भी दी। उसके बाद हम चारों साथी शिविरा पत्रिका संपादक सहायक श्रीमती संगीता पुरोहित जी से भी मिले। शिविरा पत्रिका में समय समय पर लेख प्रकाशित करने हेतु उनका आभार प्रकट किया। साथ ही मेरे तीनों शिक्षक साथियों ने शिविरा पत्रिका की वार्षिक सदस्यता ग्रहण की। रात्रि 9:00 बजे खाना खाकर हम सभी साथी खुशी- खुशी जाट धर्मशाला आ गए।

आखरी दिन हमने डाइट बीकानेर के सभी आवश्यक कार्य को पूर्ण किया

सभी आवश्यक दस्तावेज प्राप्त किए। डाइट बीकानेर द्वारा शानदार समापन समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में टोंक की ओर से श्री विष्णु दाधिच व मैंने अपनी बात रखी। हमारे सुझावों को सबने अच्छा बताया।साय:काल 6:30 बजे रेल्वे स्टेशन बीकानेर से जयपुर के लिए ट्रेन में बैठकर वापसी की यात्रा शुरू की।

इस शोध शैक्षिक यात्रा का संस्मरण हम सभी साथियों के दिल और दिमाग में जीवन भर बना रहेगा। चारों साथियों में पुरे छ: दिन की शैक्षिक यात्रा में कभी भी निराशा का भाव मन में पैदा नही हुआ।
पुरे छ: दिन सभी साथी आनंद, उमंग व उत्साह से लबरेज रहे।

हमारे लिए यादगार यात्रा बनी है

इस यात्रा का अवसर देने के लिए श्री रामसिंह जी यादव सहाब डाइट प्राचार्य व श्री रवि कुमार विजयवर्गीय प्रभागाध्यक्ष IFIC प्रभाग डाइट टोंक का हम चारों साथी तहेदिल से साधुवाद व आभार प्रकट करते है।

अध्यापक
MGGS BANETHA

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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