अरमान अली और जोहरा परवीन की रिपोर्ट
जम्मू : कश्मीर की समृद्ध संस्कृति से रूबरू होेने का सुनहरा मौका आ गया है। यहां तीन सप्ताह तक चलने वाले सांस्कृतिक उत्सव जश्न-ए-कश्मीर का शानदार आगाज किया गया। लोग गीत, लोक नृत्य और पारंपरिधान में सजे कलाकार दर्शकों का मन मोह लिया। कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। उन्होंने कलाकरों का हौसला बढ़ाया और कहा कि ऐसे कार्यक्रम का उद्देश्य अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों को बचाना है। इसमें सभी की भागीदारी होनी चाहिए। सरकार भी ऐसे प्रयास कर रही है।
कश्मीर की परंपरा, संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित करने वलो जश्न-ए-कश्मीर उत्सव का उद्घाटन करने के बाद उपराज्यपाल ने कहा कि हमारी अनूठी विविधता ही हमारा गौरव है। हमारी सबसे बड़ी ताकत है। इस तरह के उत्सव और आयोजन कलाकारों, कारीगरों और शिल्पकारों को एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। यहां आने वाले देश और दुनिया भर के पर्यटकों को भी यहां की संस्कृति से परिचित होने का अवसर मिलेगा।
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उपराज्यपाल ने यह भी कहा कि हमने युवाओं को उनकी जड़ों से फिर से जोड़ने का प्रयास किया है। लोक कलाकारों, दृश्य कलाकारों और लेखकों को हमारे साझा उद्देश्य और मूल्यों को प्रदर्शित करने के लिए एक वातावरण और एक मंच प्रदान करने की पहल की है। लोकगीतों और कहानियों का दस्तावेजीकरण और संरक्षण करने का भी प्रयास किया जा रहा है। सरकार इसके लिए कृत संकल्पित है। ऐसे आयोजनों में उन्होंने ज्यादा से ज्यादा कलाकारों को हिस्सा लेकर अपनी संस्कृति से दुनिया को फिर से रूबरू करवाने का आह्वान किया।
पर्यटन और रोजगार को भी मिलेगा बढ़ावा
तीन सप्ताह तक चलने वाले जश्न-ए-कश्मीर से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इन दिनों लो काफी लोग कश्मीर भ्रमण पर आते हैं। अनुच्छेद 370 की बेड़ियों से जम्मू कश्मीर के आजाद होने के बाद यहां केे प्रति पूरी दुनिया की दिलचस्पी बढ़ी है। इसलिए इस साल रिकार्ड संख्या में पर्यटक कश्मीर आए। इससे पर्यटन उद्योग काफी मजबूत हुआ है। प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण उद्योगों में एक पर्यटन को और बढ़ावा देने का प्रयास सरकार लगातार कर रही है। इससे जम्मू कश्मीर की छवि दुनिया के सामने आएगी और यहां के युवाओं को प्रोत्साहन मिलेगा। लोक संस्कृति और लोक कलाओं में भी रोजगार के अवसर खुलेंगे।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."