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28 December 2024 12:47 am

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‘दाग देहलवी’ और नामचीन रक्काशा ‘मुन्नी बाई हिजाब’ के मुहब्बत की दास्तां अब रुपहले परदे पर “दाग ओ हिजाब”

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट 

नवाबी हुकूमत के दौरान बेनजीर बाग से शुरू हुई मशहूर शायर दाग देहलवी और उस दौर की नामचीन रक्काशा मुन्नी बाई हिजाब की मुहब्बत की दास्तां एक बार फिर रूपहले पर्दे पर जीवंत होगी। जाने माने स्क्रिप्ट राइटर और डायरेक्टर सत्येंद्र चौहान ने इस पर न सिर्फ काम शुरू किया है बल्कि, नायक और नायिका के किरदार के लिए कलाकारों का चयन भी कर लिया है।

तुम्हारे खत में नया इक सलाम किस का था, न था रकीब तो आखिर वो नाम किस का था। वो कत्ल कर के मुझे हर किसी से पूछते हैं, ये काम किस ने किया है, ये काम किस का था।।…ऐसे आसान अल्फाजों को शायरी में पिरोने का हुनर रखने वाले नवाब मिर्जा खान दाग को शेरो-शायरी की दुनिया ने दाग देहलवी के नाम से जाना। दाग देहलवी का 1905 में निधन हो गया, लेकिन उनकी रुमानी शायरी को नूरजहां, गुलाम अली, मेहंदी हसन, फरीदा खानम, आबिदा परवीन, बेगम अख्तर, जगजीत सिंह जैसे तमाम नामचीन शायरों ने अपनी आवाज दी। दाग को चाहने वाले सरहदों के पार भी हैं। इसके बाद भी उनके जीवन के कई ऐसे पहलू हैं जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। इसे दुनिया के सामने लाने के लिए ही टेली प्ले ‘दाग-ओ-हिजाब’ की तैयारी है। निर्देशक सत्येंद्र चौहान ने ही इसे लिखा भी है।

सत्येंद्र चौहान बताते हैं कि ‘दाग-ओ-हिजाब’ की कहानी कुछ यूं है-रामपुर के नवाब कल्बे अली खां बेनजीर में मेले का आयोजन करते थे। जिसमें नामचीन शायरों-कवियों समेत तमाम फनकारों को बुलाया जाता था। इसी मेले में दाग देहलवी भी आते थे, जहां उनकी मुलाकात उस दौर की मशहूर तवायफ हमीदन बाई हिजाब ने अपनी बहन मुन्नी बाई हिजाब से कराया। दाग देहलवी मुन्नी बाई हिजाब की खूबसूरती पर दिल दे बैठते हैं और दोनों के बीच मुहब्बत का सिलसिला शुरू हो जाता है। 

…और मुन्नीबाई को करा दिया था नजरबंद

नवाब कल्बे अली खां के छोटे भाई नवाब हैदर अली खां को दाग देहलवी और मुन्नीबाई हिजाब की मुहब्बत रास नहीं आई थी। दो दिलों के दरमियां हुकूमत की ताकत ने अपना काम दिखाया। मुन्नीबाई हिजाब को नजरबंद कर दिया गया। कुछ समय बाद किसी तरह मुन्नी बाई हिजाब कैद से निकल तो जाती है लेकिन उसके कहने के बाद भी दाग निकाह से इनकार कर देते हैं। इससे मुन्नी बाई का दिल टूट जाता है और वह रामपुर से कलकत्ता चली जाती है। और इस तरह मुहब्बत की यह दास्तां अधूरी ही रह जाती है।

दाग-ओ-हिजाब’ को रीलांचिंग की तैयारी

यूं तो ‘दाग-ओ-हिजाब’ जी थियेटर के लिए सत्येंद्र चौहान कुछ समय पहले ही टेलीकास्ट कर चुके हैं, जिसमें लखनऊ के शाहबाज़ खान के अलावा पायल,. गोगा कपूर, सूफी सैय्यद, हेमंत सोनी, सत्येंद्र चौहान, दीप्ति राजवंशी और मिथिलेश चतुर्वेदी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है लेकिन, अब वे इसके बैकग्राउंड में उस दौर की खतो-किताब से ली गईं गजलों की साउंड देते हुए रीलांच की तैयारी में हैं। यह काम काफी तेजी से चल रहा है। इसी क्रम में वह रामपुर के भी चक्कर लगा चुके हैं। नए कलेवर में आने वाले टेली प्ले और वेब शो ‘दाग-ओ-हिजाब’ में दाग देहलवी की भूमिका जाने माने अभिनेता जाकिर हुसैन निभाएंगे जबकि, मुन्नी बाई हिजाब के किरदार में अमजद खान की बेटी अहलम खान दिखेंगी।

लेखक/निर्देशक, सत्येंद्र चौहान ने कहा कि रामपुर के बेनजीर बाग से शुरू हुआ मुहब्बत का यह अफसाना बड़ा ही दिलकश है। जिसे हम टेली प्ले/वेब शो के तौर पर रीलांच की तैयारी में हैं, इसी सिलसिले में रामपुर आए हैं। कास्टिंग पर काम चल रहा है। नायक-नायिका फाइनल हो गए हैं। हमारी दिली इच्छा है कि रामपुर के किसी आडिटोरियम में यह प्ले हो।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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